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Saturday, September 11, 2021
महिला सिविल डिफेंस कर्मी हत्याकांड : कैंडल मार्च निकालकर CBI जांच की मांग की
Wednesday, September 8, 2021
‘निर्भया, आसिफ़ा, गुड़िया और राबिया, नाम अलग अलग मगर कहानी एक है’ (महिला दिवस मानाने, क़ानून बना देने और नारे लगाने से औरत सुरक्षित नहीं हो जाती)
Saturday, September 4, 2021
दिल्ली दंगे के आरोपी अदालत से हुए बरी, कोर्ट ने भी पुलिस को लगाई थी फटकार
दिल्ली में साल 2020 में हुये दंगों की जांच में पुलिस की भारी लापरवाही सामने आई. यही कारण है कि आरोपी बरी हो रहे हैं. आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने भी मामले में टिप्पणी करते हुए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी.आखिर दिल्ली पुलिस की जांच में क्या झोल है, ये जानने के लिये हमने आरोपियों के वकील दिनेश तिवारी से बातचीत की. 2020 की फरवरी में दिल्ली दंगों की आग में झुलसी थी, लेकिन इस मामले में अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है. वजह है पुलिस की जांच में लापरवाही. कोर्ट ने भी पुलिस की तफ्तीश पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि इतिहास, जब विभाजन के बाद के सांप्रदायिक दंगे को देखेगा, तो वो पाएगा कि दिल्ली दंगों में जांच एजेंसी ने ठीक से जांच नहीं की. कोर्ट की टिप्पणी के बाद ये मामला एक बार फिर सर्खियों में है. आखिर कोर्ट को इस मामले में सख्त टिप्पणी क्यों करना पड़ाये जानने के लिये ईटीवी भारत की टीम ने आरोपियों के अधिवक्ता दिनेश तिवारी से बातचीत की.
अधिवक्ता दिनेश तिवारी ने बताया कि 25 फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग इलाले में दंगे हुए थे. दंगे के दो मामलों में दयालपुर पुलिस ने, उनके तीन क्लाइंट को अप्रैल 2020 में गिरफ्तार किया था. इनमें से एक मामले में फर्नीचर की दुकान में आग लगाकर उसे लूटा गया था. जबकि, दूसरे मामले में पान के खोखे को जलाकर लूटा गया था. उनके क्लाइंट को खजूरी खास में दर्ज एक मामले में 9 मार्च को ही पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन इसके एक महीने बाद दयालपुर पुलिस ने उन्हें अपने चांद बाग में हुई घटना को लेकर दर्ज दो मामलों में गिरफ्तार कर लिया.
अधिवक्ता दिनेश तिवारी ने बताया कि चांद बाग में हुई इन दोनों घटनाओं में पुलिस के पास कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. इसलिए उन्होंने एक मामले में बीट के सिपाही पवन जबकि दूसरे मामले में सिपाही ज्ञान को गवाह बना दिया. दोनों ने अपने बयान में कहा गया कि उन्होंने दंगे में मौजूद लोगों की भीड़ के बीच इन तीन आरोपियों को पहचाना है. लेकिन अदालत के समक्ष वह इस बात को साबित नहीं कर सके कि वह मौके पर मौजूद थे. थाने से न तो कोई ऐसा रिकॉर्ड मिला और ना ही मौके से कोई सीसीटीवी फुटेज जो साबित करे कि दोनों पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे. वह इसे लेकर कोई ठोस सबूत अदालत के समक्ष नहीं रख सके.
अदालत को वह यह भी नहीं बता सके कि जब आरोपियों को उन्होंने मौके पर पहचान लिया था तो इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों नहीं दी. उनकी गिरफ्तारी करने में डेढ़ महीने से ज्यादा का समय क्यों लगा जबकि वह पहले से जेल में थे. अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने यह माना है कि पुलिस ने इस मामले में केस सुलझाने के लिए इन युवकों को आरोपी बनाया जबकि उनके पास कोई साक्ष्य नहीं था. इस आधार पर उनके तीनों क्लाइंट को अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया है. अधिवक्ता दिनेश तिवारी ने बताया कि अदालत ने इन दोनों मामलों की जांच को लेकर पुलिस पर नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ने इस केस के लिए करदाताओं की मेहनत की गाढ़ी कमाई को बर्बाद किया है. आजादी के बाद जब भी साम्प्रदायिक दंगे याद किये जाएंगे तो यह दंगे पुलिस की लचर जांच के लिए याद किये जायेंगे. अदालत ने कहा कि इस तरीके से केस सुलझाने के लिए किसी को झूठे केस में फंसाना ट्रायल के दैरान पीड़ा देने वाला है.
Report@ETV Bharat
Friday, September 3, 2021
'कितनों को दिलवाई सजा, कितने मामले लंबित? पेश करें डेटा', CBI की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
अदालत ने कहा कि हम सीबीआई द्वारा निपटाए जा रहे मामलों के बारे में डेटा चाहते हैं. सीबीआई कितने मामलों में मुकदमा चला रही है? समय अवधि जिसके लिए मुकदमे अदालतों में मामले लंबित हैं. निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों में सीबीआई की सफलता दर क्या है? कोर्ट ने कहा कि हम देखना चाहते हैं कि एजेंसी की सफलता दर क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. एक मामले में CBI द्वारा 542 दिनों की अत्यधिक देरी के बाद अपील दाखिल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने इस केंद्रीय एजेंसी के कामकाज औप उसके परफॉर्मेन्स का विश्लेषण करने का फैसला किया है. शीर्ष अदालत ने एजेंसी द्वारा मुकदमा चलाने वाले मामलों में सजा की कम दर को देखते हुए ये कदम उठाया है.
शीर्ष अदालत ने CBI निदेशक को उन मामलों की संख्या पेश करने का निर्देश दिया है जिनमें एजेंसी निचली अदालतों और हाई कोर्टों में अभियुक्तों को दोषी ठहराने में सफल रही है. अदालत ने ये भी पूछा है कि निचली अदालतों और हाई कोर्टों में कितने ट्रायल लंबित हैं और वे कितने समय से लंबित हैं ? अदालत ने ये भी पूछा है कि निदेशक कानूनी कार्यवाही के लिए विभाग को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एजेंसी के लिए केवल मामला दर्ज करना और जांच करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि अभियोजन सफलतापूर्वक किया जाए. अदालत ने पहले की सुनवाई में कहा था कि "कर्तव्यों को निभाने में घोर लापरवाही की एक गाथा" है , जिसके परिणामस्वरूप अदालतों में मामले दर्ज करने में अत्यधिक देरी हुई और इसके निदेशक से जवाब मांगा था.सीबीआई की ओर से पेश हुए एएसजी संजय जैन ने दलील दी कि भारत जैसी प्रतिकूल मुकदमेबाजी प्रणाली में मुकदमेबाजी में सफलता दर को दक्षता निर्धारित करने वाले कारकों में से एक माना जाना चाहिए लेकिन पीठ ने कहा कि दुनिया भर में एक ही मानदंड का पालन किया जाता है और ऐसा कोई कारण नहीं है कि इसे सीबीआई पर लागू नहीं किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि हम सीबीआई द्वारा निपटाए जा रहे मामलों के बारे में डेटा चाहते हैं. सीबीआई कितने मामलों में मुकदमा चला रही है? समय अवधि जिसके लिए मुकदमे अदालतों में मामले लंबित हैं. निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों में सीबीआई की सफलता दर क्या है? कोर्ट ने कहा कि हम देखना चाहते हैं कि एजेंसी की सफलता दर क्या है?
सिविल डिफेंसकर्मी लड़की की हत्या के विरोध में जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शन, मुआवजे की मांग
दिल्ली की संगम विहार की रहने वाली 21 वर्षीय सिवल डिफेंसकर्मी लड़की से हुई हैवानियत मामले का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है. कैंडल मार्च निकालने के बाद लोगों ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार से 1 करोड़ रुपये और घर के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की.
संगम विहार की 21 वर्षीय लड़की के साथ हैवानियत के मामले का विरोध बढ़ता जा रहा है. अब इसको लेकर शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद जामा मस्जिद के बाहर भी प्रदर्शन किया गया. इस दौरान उन्होंने आरोपियों को फांसी देने की मांग की. साथ ही सरकार से 1 करोड़ रुपये और घर के एक सदस्य को नौकरी देने की गुहार लगाई. पीड़ित लड़की दिल्ली सिविल डिफेंस में कार्यरत थी. उसके साथी ने ही उसे फरीदाबाद के सूरजकुंड पाली रोड पर चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी. इसके बाद दिल्ली के कालिंदी कुंज थाने में आत्मसमर्पण करते हुए बताया था कि मेरी पत्नी सूरजकुंड फरीदाबाद में पड़ी है. इस मामले में मृतका के परिजनों ने इस मामले में लड़की के साथ हैवानियत का आरोप लगाया है. साथ ही इस मामले में और भी लोगों के शामिल होने का आरोप है. इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस ने हरियाणा पुलिस से संपर्क किया था और लड़की के शव को बरामद किया गया था. जिसके बाद फरीदाबाद जिले के सूरजकुंड थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया है और हरियाणा पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. सिविल डिफेंस कर्मी के साथ हुई बर्बरता को लेकर विरोध प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है. इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने और पीड़ित परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा देने की मांग उठ रही है.हौजरानी प्रेस एन्क्लेव में बन सकता है फ्लाईओवर: 50 हजार से ज्यादा लोगों को जाम से मिलेगा छुटकारा
दिल्ली वालों को बड़ी राहत मिलने वाली है। साकेत मैक्स अस्पताल के बाहर पंडित त्रिलोक चंद शर्मा मार्ग पर लगने वाले जाम से जल्द मुक्ति मिलेगी। प...
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समाज में उत्कृष्ट समाजसेवियों और पत्रकारों को सम्मान : 1971 के भारत पाक युद्ध के शहीद आशिक़ अली सैफी की पत्नी व परिवार सम्मानित नई दिल्ली ...
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निर्भया रेप केस में आखिरकार दोषियों को फांसी पर लटका ही दिया गया। इस पूरे केस में सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा कुशवाहा की जमकर तारीफ हो रही ह...