केजरीवाल सरकार का मुख्य फोकस एजुकेशन पर रहता है उनका दावा है की वल्ड क्लास एजुकेशन हमने दिल्ली के स्कूलों को दी है वर्ल्ड क्लास एजुकेशन क्या होती है उसका नमूना देखना होतो साउथ दिल्ली के मालवीय नगर विधानसभा के हौज़रानी के सर्वोदय बॉयज स्कूल में देखो, जहाँ पिछले कई महीनों से न तो लाइब्रेरी का पीरड लगा है और न ही कंप्यूटर की कोई क्लास, स्कूल में खेल का मैदान है मगर स्पोर्ट का भी कोई पीरड नहीं, टाइम टेबल किस तरह सेट हुआ है कुछ पता नहीं, स्कूल के अंदर परमानेंट टीचरों की भयंकर समस्या है पुरे स्कूल में सिर्फ गेस्ट टीचर हैँ जो वाइस प्रिंसिपल के आगे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं, 10प्रतिशत भी परमानेंट टीचर नहीं, स्कूल में क्या पढ़ाया जाये इसकी ज़िम्मेदारी प्रिंसिपल की होती है मगर स्कूल में प्रिंसिपल की पोस्ट ही खाली है,
स्कूल के वाइस प्रिंसिपल रमेश बाबू के आगे गेस्ट टीचर हो या परमानेंट टीचर सभी चुप्पी साधे रहते है, बच्चों के माँ बाप कहते है ज़ब से न्यू वाइस प्रिंसिपल आये हैँ स्कूल बर्बाद हो गया, कोरोना टाइम में बच्चे पढ़े नहीं और अब ये स्कूल गंदी राजनीती का अड्डा बनता जा रहा है, पुराने वाइस प्रिंसिपल शक्ति राज जब थे तब परमानेंट टीचर भी ज़्यादा थे पढ़ाई भी अच्छी हुआ करती थी,
पिछले कई दिनों से स्कूल में बच्चे पीने के पानी को तरस रहे है दो दिन से हंगामा करते स्टूडेंट, पढ़ाई छोड़ पानी लेने घर घर जा रहे है बच्चे, क्या यही वर्ल्ड क्लास एजुकेशन सिस्टम है, जहाँ बेसिक ज़रूरत पानी की भी केजरीवाल सरकार पूरी न कर सके, दो दिन में जब छात्रों को पानी नहीं मिला तो बच्चों के दवाब में आकर वाइस प्रिंसिपल रमेश बाबू ने समय से पहले ही बच्चों की छुट्टी कर दी, पढ़ाई का कितना नुकसान हो रहा है इसकी चिंता न तो स्कूल प्रशासन को है और न केजरीवाल सरकार को, दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया जी इक बार स्कूल में आकर स्कूल देखो क्या यही है वर्ल्ड क्लास एजुकेशन सिस्टम? जहाँ न पढ़ाई न मूलभूत सुविधा?
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