Sunday, May 29, 2022

काश मुझे एक जन्म और मिल जाता

एक जवान इस वतन के लिए अपनी जान कुर्बान कर शहीद हो जाता है उसका जिस्म या तो अग्नि में विलीन हो जाता है या वतन की मिट्टी को चादर की तरह ओढ़ कर सो जाता है मगर उसकी आत्मा से उसकी रूह से फिर भी यही लफ्ज़ निकलते है की...

काश मुझे एक  जन्म और मिल जाता ।

जो बाकी था वो फर्ज भी पूरा कर जाता ।

इस बार तो में लड़ते लड़ते शहीद हो गया ।

अगले जन्म दुश्मन की छाती पर चढ़ जाता ।


काश मुझे एक जन्म और मिल जाता ।

वो जन्म भी इस वतन के नाम लिख जाता ।

जिस तिरंगे में लिपटा हुआ है आज जिस्म ।

वही तिरंगा दुश्मन के सरहद पर फहरा जाता ।


काश मुझे एक जन्म और मिल जाता ।

उस में भी भारत मां का बेटा बन रह जाता ।

तेरे दामन पर जिस ने खून के छींटे डाले है ।

कसम उस दमन की खून से उस को नहला जाता ।


काश मुझे एक जन्म और मिल जाता ।

तो तेरे हर आंख के आंसू का बदला ले जाता ।

जिस जमीं में पांव रख नापाक किया जालिम ने ।

उसी जमी की मिट्टी में दुश्मन को दफन कर जाता ।


काश मुझे एक जन्म और मिल जाता ।

जो कर्ज था सर पर वो कर्ज चुका जाता ।

बारूद से जिस ने वार किया है तेरे सीने पर ।

उसकी हर नस्ल के जिस्म में बारूद मैं भर जाता ।


काश मुझे एक जन्म और मिल जाता ।

फिर तेरी रक्षा को तेरी सरहद पर मैं जाता ।

दुश्मन के घर में घुस कर उसको सबक सिखाता ।

बन कर शहीद फिर मैं तेरी गोद में हमेशा के लिए सो जाता ।


अब्बास खान

चूरू राजस्थान

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