दिल्ली ट्रैफिक पुलिस एक मुसीबत में फंस गई है. दिल्ली-यूपी को जोड़ने वाले एनएच-24 और नए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक पुलिस ने स्पीड डिटेक्शन कैमरे लगाए हुए हैं. जिससे कि ओवर स्पीडिंग को रोका जा सके. लेकिन ट्रैफिक पुलिस से यहां पर एक ग़लती हो गई है. उन्होंने कई ऐसे लोगों के चालान काट दिए जिनकी गाड़ी की स्पीड 60 किलो मीटर से ज़्यादा है. जबकि तनया एक्सप्रेस-वे बनने के बाद एनएचएआई ने इस रोड पर अधिकतम स्पीड लिमिट बढ़ाकर 70 किमी प्रतिघंटे की कर दी थी. ऐसे में लोगों को कुछ दिनों बाद जब चालान मिलना शुरू हुआ तो उन्होंने सोशल मीडिया पर शिकायत शुरू की. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अदालत जाने की चेतावनी दी है.
हालांकि मामला बढ़ता देख ट्रैफिक पुलिस को घोषणा करनी पड़ी कि जो भी चालान ग़लत कटे हैं, उन्हें कैंसल किया जाएगा. लेकिन एक दिक्कत यहां भी फंस रही है. हजारों लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने चालान भर दिए. ऐसे में जब 70 से कम स्पीड वालों के चालान कैंसल होने की बात आई, तो लोग सवाल उठाने लगे कि जिन्होंने चालान भर दिए, उनके पैसे भी वापस किए जाएं. ट्रैफिक पुलिस पैसा लौटाने को लेकर अजीब स्थिति में फंस गई है. ट्रैफिक पुलिस के सामने दिक्कत यह है कि उनके पास केवल ट्रैफिक नियमों को लागू करने की ज़िम्मेदारी होती है. जो लोग रूल तोड़ते हैं पुलिस उनसे जुर्माना वसूल करती है. लेकिन जुर्माने की रकम पुलिस के खाते में नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार के खाते में जाती है. ट्रैफिक अधिकारियों का कहना है कि वे चाहकर भी पैसे रिफंड नहीं कर सकते. हालांकि लोगों का बढ़ता बवाल देख, ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने तय किया है कि वे जल्द ही इस बारे में दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखकर मदद मांगेंगे.
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