नई दिल्ली. ओखला विधानसभा (Okhla constituency) क्षेत्र की पहचान एक औद्योगिक क्षेत्र की है. ओखला नाम से ही यहां एक बड़ी फल-सब्जी मंडी है. लेकिन बीते कुछ वक्त से अब इस क्षेत्र की एक सियासी पहचान भी उभरकर सामने आई है. देश की नामचीन जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia millia islamia university) भी यहीं पर है. यहां जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-islami) से लेकर मुस्लिम पर्सनस लॉ बोर्ड (Muslim personal law board) और दर्जनों ऐसे संगठनों के दफ्तर भी हैं जो मुसलमानों की नुमाइंदगी करते हैं. इस सीट पर 1977 से 2015 तक 9 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें लगातार सात बार मुस्लिम उम्मीदवार जीते हैं. जाहिर है कि इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों का दबदबा है.
क्षेत्र में कुछ काम हुए हैं लेकिन समस्याएं तो कभी खत्म होने का नाम नहीं लेतीं. सरकार और स्थानीय विधायक दोनों के काम क्षेत्र का सियासी मिजाज तय करते हैं. इसलिए लोग यहां के विकास पर मिली जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं. यहां के बाशिंदे शहज़ाद अली कहते हैं कि शाहीन बाग ठोकर नंबर 9 से लेकर जामिया नगर थाने तक की सड़क का बजट आया लेकिन सड़क नहीं बनी. अबुल फजल, बटला हाउस हो या जामिया नगर आप कहीं भी घूम लिजिए सड़क आपको टूटी हुई ही नज़र आएगी. टूटी सड़क आज अबुल फजल क्षेत्र की पहचान बन चुकी है. कार-बाइक से जब यहां से गुजरो तो ऐसा लगता है कि जैसे हम ऊंट की सवारी कर रहे हैं.
अनवार सिद्दीकी दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं. वो कहते हैं कि ओखला में बच्चे खेलने के लिए कहां जाएं? ओखला में आप कहीं भी निगाह दौड़ाइए कहीं भी आपको बच्चों के लिए खेलने के लिए एक भी मैदान नहीं दिखाई देगा. मजबूर बच्चों ने कूड़ा घरों के आसपास ही छोटी-छोटी जगहों को अपने खेलने का मैदान बना लिया है. जबकि क्षेत्र में यूपी के सिंचाई विभाग की अच्छी खासी ज़मीन है जिसे नियमानुसार अधिग्रहित किया जा सकता है. दूसरी ओर ओखला में कूड़े से बिजली बनाने का एक प्लांट नियमों को ताक पर रखकर आबादी के बीच में चल रहा है. जिसके चलते अंडर ग्राउंड वाटर खराब हो चुका है. हवा के साथ आ रही बदबू से जीना मुहाल है. प्रदुषण के चलते कभी भी कोई गंभीर बीमारी फैल सकती है.
चर्चा में रहे हैं यहां के विधायक ओखला 1977 में विधानसभा बना. इस सीट पर मौजूदा विधायक आम आदमी पार्टी (आप) के अमानतुल्लाह खान हैं. वो किसी न किसी बात को लेकर चर्चा में रहे हैं. यहां के पहले विधायक जनता पार्टी के ललित मोहन गौतम बने थे. जाकिर नगर, अबुल फजल, शाहीन बाग, बटला हाऊस, मदनपुर खादर, जसोला, खिजराबाद, आली गाँव, तैमूर नगर और भरत नगर आदि इस विधानसभा के क्षेत्र हैं.
ओखला का वोट गणित : 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के अमानतुल्लाह खान ने 64 हजार से भी ज्यादा वोट से बीजेपी के ब्रह्रम सिंह को हराया था. यहां वोटरों की संख्या करीब 2.9 लाख है. पिछले चुनाव में करीब 60 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. ओखला विधानसभा लोकसभा की पूर्वी दिल्ली सीट के तहत आती है. 2019 के लोकसभा चुनावों पर नज़र डालें तो ओखला सीट एरिया से कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को 60,000 से ज्यादा वोट मिले थे जबकि आप की उम्मीदवार आतिशी को 43,000 से अधिक वोट मिले. बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर को 35,000 से अधिक वोट मिले थे. लेकिन ये विधानसभा चुनाव है. इसमें खेल के नियम बदल जाते हैं.अबुल फजल की टूटी सड़कें, कब खत्म होगी यह पहचान.
क्षेत्र में कुछ काम हुए हैं लेकिन समस्याएं तो कभी खत्म होने का नाम नहीं लेतीं. सरकार और स्थानीय विधायक दोनों के काम क्षेत्र का सियासी मिजाज तय करते हैं. इसलिए लोग यहां के विकास पर मिली जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं. यहां के बाशिंदे शहज़ाद अली कहते हैं कि शाहीन बाग ठोकर नंबर 9 से लेकर जामिया नगर थाने तक की सड़क का बजट आया लेकिन सड़क नहीं बनी. अबुल फजल, बटला हाउस हो या जामिया नगर आप कहीं भी घूम लिजिए सड़क आपको टूटी हुई ही नज़र आएगी. टूटी सड़क आज अबुल फजल क्षेत्र की पहचान बन चुकी है. कार-बाइक से जब यहां से गुजरो तो ऐसा लगता है कि जैसे हम ऊंट की सवारी कर रहे हैं.
अनवार सिद्दीकी दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं. वो कहते हैं कि ओखला में बच्चे खेलने के लिए कहां जाएं? ओखला में आप कहीं भी निगाह दौड़ाइए कहीं भी आपको बच्चों के लिए खेलने के लिए एक भी मैदान नहीं दिखाई देगा. मजबूर बच्चों ने कूड़ा घरों के आसपास ही छोटी-छोटी जगहों को अपने खेलने का मैदान बना लिया है. जबकि क्षेत्र में यूपी के सिंचाई विभाग की अच्छी खासी ज़मीन है जिसे नियमानुसार अधिग्रहित किया जा सकता है. दूसरी ओर ओखला में कूड़े से बिजली बनाने का एक प्लांट नियमों को ताक पर रखकर आबादी के बीच में चल रहा है. जिसके चलते अंडर ग्राउंड वाटर खराब हो चुका है. हवा के साथ आ रही बदबू से जीना मुहाल है. प्रदुषण के चलते कभी भी कोई गंभीर बीमारी फैल सकती है.
चर्चा में रहे हैं यहां के विधायक ओखला 1977 में विधानसभा बना. इस सीट पर मौजूदा विधायक आम आदमी पार्टी (आप) के अमानतुल्लाह खान हैं. वो किसी न किसी बात को लेकर चर्चा में रहे हैं. यहां के पहले विधायक जनता पार्टी के ललित मोहन गौतम बने थे. जाकिर नगर, अबुल फजल, शाहीन बाग, बटला हाऊस, मदनपुर खादर, जसोला, खिजराबाद, आली गाँव, तैमूर नगर और भरत नगर आदि इस विधानसभा के क्षेत्र हैं.
ओखला का वोट गणित : 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के अमानतुल्लाह खान ने 64 हजार से भी ज्यादा वोट से बीजेपी के ब्रह्रम सिंह को हराया था. यहां वोटरों की संख्या करीब 2.9 लाख है. पिछले चुनाव में करीब 60 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. ओखला विधानसभा लोकसभा की पूर्वी दिल्ली सीट के तहत आती है. 2019 के लोकसभा चुनावों पर नज़र डालें तो ओखला सीट एरिया से कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को 60,000 से ज्यादा वोट मिले थे जबकि आप की उम्मीदवार आतिशी को 43,000 से अधिक वोट मिले. बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर को 35,000 से अधिक वोट मिले थे. लेकिन ये विधानसभा चुनाव है. इसमें खेल के नियम बदल जाते हैं.अबुल फजल की टूटी सड़कें, कब खत्म होगी यह पहचान.
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