Thursday, August 12, 2021

पूरी दिल्ली घूम चुके? दिल्ली की ये 12 अंजान मगर दिलचस्प जगहें नहीं देखी होंगी!

दिल्ली के कई रंग हैं | इसके गहरे इतिहास और नई उपलब्धियों में कई ऐसे रत्न छुपे हैं जिन्हें स्थानीय लोग भी अनदेखा कर देते हैं | इसलिएआपके लिए दिल्ली की कुछ ख़ास जगहों की सूची लाए हैं जिन्हें सैलानियों और स्थानीय लोगों की भीड़ अनदेखा कर देती है :
दिल्ली की भीड़-भाड़ से दूर सतपुला बाँध का समृद्ध इतिहास और आस-पास के नज़ारे क़ाबिल-ए-तारीफ़ हैं | पुराने समय में पानी को इकट्ठा करने के लिए बनाए गए सात पुलों से इस जगह का नाम सतपुला पड़ा है | वैसे तो ये नदी कबकि सूख चुकी है, मगर वास्तुकला का ये नायाब नमूना आज भी आपको शहर की उबाऊ ज़िंदगी से निज़ात दिलाने के लिए खड़ा है  कहाँ: खिड़की विलेज, मालवीय नगर, कैसे पहुँचे : मालवीय नगर मेट्रो स्टेशन से कैब या टैक्सी कर लें |


खरीदारी, बढ़िया खाना और अनोखी सजावट की वजह से इस जगह को जाना जाता है | संतुष्टि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की गाँव जैसी सजावट इसे दिल्ली के शॉपिंग मॉल्स से काफ़ी अलग और अनोखी पहचान देती है | इस छोटी सी जगह में महँगी खरीदारी का अनुभव और बूटीक दुकानों पर कपड़े, जूते, गहने और यहाँ तक कि आयुर्वेदिक सामान भी खरीद सकते हैं | कहाँ; चाणक्यपुरी, रेस कोर्स रोड कैसे पहुँचे : लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन से कैब या ऑटो पर कर लें |

पास की झील में पड़ने वाली परछाई की वजह से इस महल का नामकरण हुआ। महरौली में बनी इस जगह को लोदी साम्राज्य के समय बनाया गया था और ये ट्रैवेलर और परिवारों के लिए समय बिताने के लिए अच्छी जगह है | दिल्ली की भीड़भाड़ के बिल्कुल करीब ही स्थित इस शांत स्मारक को देखा जा सकता है | कहाँ : तालाब लेन, आम बाग, महरौली कैसे पहुँचे : कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन से ऑटो या कैब करके पहुँचा जा सकता है |


दिल्ली में बनी ऊँची-ऊँची कंक्रीट की इमारतों के जाल और प्रदूषित हवा के बीच एक ऐसी हरी-भरी जगह भी है जहाँ आप खुल कर साँस ले सकते हैं | 780 एकड़ में फैला ये जंगल जॉगिंग करने वालों और साइकिल चलाने वालों के छीच काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है | कहाँ : वसंत कुंज कैसे पहुँचे : छत्तरपुर मेट्रो स्टेशन से कैब या ऑटो कर लें |

गाज़ीपुर फूल मंडी की हवा में हमेशा ही इत्र सी खुशबू फैली रहती है | यहाँ गेंदा, ट्यूलिप, गुलाब, कार्नेशन्स, ऑर्किड, इरिज़ेस, लिली और अन्य प्रजातियों के फूलों की भरमार लगी रहती है | चाहे आपका मन कौड़ियों के भाव में फूल खरीदने का हो रहा हो या फिर रंगीन और खुशबूदार माहौल को जी भर के ताकने का, गाज़ीपुर मंडी पहुँच जाइए | कहाँ : गाज़ीपुर गाँव, गाज़ीपुर कैसे पहुँचे : आनंद विहार आईएसबीटी मेट्रो स्टेशन से एक टैक्सी या ऑटो किराए पर कर लें |आस-पास बने इस मस्जिद और मक़बरे की जोड़ी में महान सूफ़ी संत शेख जमली कम्बोह और अंजान इंसान कमली की क़ब्रें बनी हैं | एक कब्र पर मस्जिद बनी है और दूसरी पर मक़बरा | अगर अंजान इंसान की कब्र से जुड़ी अनसुलझी पहेली आपको इस महान पुरातात्विक स्थल तक खींचने में नाकामयाब रहती है तो यहाँ की नायाब खूबसूरती और क़ुतुब मीनार से नज़दीकी आपको ज़रूर यहाँ जाने पर मजबूर कर देगी | कहाँ : पुरातत्व ग्राम परिसर, महरौली कैसे पहुँचे : कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन से पैदल पहुँचा जा सकता है |

ये जगह बेहद ख़ास है मगर फिर भी उतनी लोकप्रिय नहीं है | ये लोदी साम्राज्य के समय ख़ास हिजड़ों के लिए बनाया गया कब्रिस्तान है | यहाँ के साफ-सुथरे और शांत माहौल में आकर आपका दिल हिजड़ों के प्रति सम्मान से भर जाएगा | कहाँ : वॉर्ड नंबर 6 , महरौली कैसे पहुँचे : कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन से कैब या ऑटो कर लें |

किसी ज़माने में जो जगह बादशाह फ़िरोज़ शाह तुगलक़ की शिकार लॉज हुआ करती थी, अब दयनीय हालत में दिल्ली के सेंट्रल रिज जंगल में अपनी आख़िरी साँसे गिन रही है | वैसे तो इस जगह की वास्तुकला देख कर ही आप खुश हो जाएँगे, लेकिन साथ ही इस किले की भूतहा घटनाओं के बारे में सुनेंगे तो आज ही जाने का दिल कर जायगा | कहाँ : दक्षिणी रिज का जंगल कैसे पहुँचे : झन्डेवाला मेट्रो स्टेशन से कैब या ऑटो कर लें |

अगर आप हौज़ ख़ास के आस-पास रहते हैं तो सुबह की जॉगिंग करने के लिए ये जगह सबसे सही है | 14वीं शताब्दी में बना ये ढाँचा सेना की टुकड़ियों पर निगरानी रखने के लिए बनाया गया था | इस किलेनुमा महल की बनावट थोड़ी अजीब भी है तो रोचक भी | अगर इसकी अच्छे से देखभाल और मार्केटिंग की जाए तो ये दिल्ली का सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक हो सकता था | कहाँ : बेगमपुर कैसे पहुँचे : हौज़ ख़ास मेट्रो स्टेशन से कैब या ऑटो कर लें |

ध्यान रहे कि ये वॉर मेमोरियल नहीं है | 'गुज़रे मगर भुलाए नहीं गए' के विचार से प्रेरित इस सेमेटरी में उन सैनिकों को दफ़नाया हुआ है जो दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश कॉमनवेल्थ के लिए लड़े थे | यहाँ चारों ओर हरियाली और करीने से तराशे हुए बगीचे हैं | यहाँ के ऊँचे स्तंभों और अनोखे स्मारकों से आप अपना सोशल मीडिया सज़ा सकते हैं | कहाँ : दिल्ली छावनी, नई दिल्ली, कैसे पहुँचे : दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन से कैब या ऑटो कर लें |
अभी हाल ही में इंटरनेट पर प्रचलित कुछ लेखों के चलते सैलानियों को इस हवेली के बारे में पता चला है, मगर अभी भी इसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल कहना ग़लत होगा | ये प्राचीन धरोहर उर्दू के मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की याद में बनवाई गयी थी | बताया जाता है कि मिर्ज़ा ग़ालिब अपनी ज़िंदगी के कुछ ग़ुरबत के दिनों में यहाँ रहते थे | ये उस समय की बात है जब भारत पर मुगल शासन का सूरज ढल रहा था | हवेली के अंदर ही एक म्यूज़ियम बना है जिसमें मिर्ज़ा ग़ालिब के कुछ नायाब काम सजाए गये हैं | कहाँ: क़ासिम जान गली, बारादरी, चाँदनी चौक के पास कैसे पहुँचें : चावडी बाज़ार मेट्रो स्टेशन से शाहजहानाबाद तक का ऑटो या टैक्सी कर लें | फिर वहाँ से रिक्शा कर लें या हवेली तक पैदल जाएँ |

अगर आप पुरानी दिल्ली की सैर करने निकले हैं तो हो सकता है कि इस जगह से होकर ज़रूर गुज़रे होंगे | ये भी हो सकता है कि आपने इस जगह की अंदरूनी खूबसूरती और छटा अभी तक नहीं देखी हो | शहर के सबसे व्यस्त रास्तों में से एक पर बनी चूनामल हवेली पुराने समय की याद दिलाती है | इसके आस पास 140 दुकानें हैं तो अगर आप ये हवेली देखने जाते हैं तो आप और भी बहुत कुछ कर सकते हैं | कहाँ : चाँदनी चौक, कटरा नील कैसे पहुँचे : चाँदनी चौक से कटरा नील तक के लिए ऑटो लें और वहाँ से पैदल हवेली तक जाएँ |

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