Tuesday, December 31, 2019

मंत्री देने वाली सीट रही है मालवीय नगर

नई दिल्ली: मालवीय नगर विधानसभा सीट को दिल्ली को मंत्री देने वाले विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। अब तक इस सीट से चार विधायक मंत्री रह चुके हैं। आप के अस्तित्व में आने से पहले इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर रहती थी, लेकिन आप के आने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया और यह सीट भी आप की झोली में आ गई। हालांकि पिछली बार इस सीट से जीते आप उम्मीदवार को मंत्री पद नहीं मिला था। इस सीट से एक बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस और दो बार आप को जीत मिली है।
विधानसभा गठन के बाद 1993 में हुए पहले चुनाव में भाजपा के राजेंद्र गुप्ता और कांग्रेस के डॉ. योगानंद शास्त्री के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। जिसमें शास्त्री को महज 258 मतों से शिकस्त मिली थी। राजेंद्र गुप्ता को भाजपा की पहली सरकार में परिवहन मंत्री बनाया गया। लेकिन, 1998 के विधानसभा चुनाव में डॉ. योगानंद शास्त्री ने राजेंद्र गुप्ता को आठ हजार मतों से पराजित किया और वह शीला सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री बने। कांग्रेस ने 2003 के चुनाव में भी डॉ. योगानंद शास्त्री पर ही दांव लगाया, लेकिन भाजपा ने सीट को फिर से हासिल करने के लिए मोनिका अरोड़ा को चुनावी दंगल में उतारा। मोनिका को 4520 मतों से पराजित कर शास्त्री स्वास्थ्य मंत्री बने।
2008 में परिसीमन में इस क्षेत्र का काफी हिस्सा महरौली के साथ जोड़ दिया गया। इसलिए डॉ. योगानंद शास्त्री महरौली से चुनावी किस्मत आजमाने चले गए और कांग्रेस ने मालवीय नगर से प्रोफेसर किरण वालिया को उतारा। भाजपा ने रामभज को यहां से टिकट दिया। लेकिन किरण वालिया 3732 मतों से विजयी होकर विधानसभा में पहुंचीं और मंत्री बनीं।
वर्ष 2013 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने मुकाबले को रोचक बना दिया। कांग्रेस की ओर से एक बार फिर से प्रोफेसर किरण वालिया चुनाव मैदान में थीं। जबकि भाजपा ने आरती मेहरा पर दांव लगाया। वहीं, आप ने सोमनाथ भारती को चुनाव मैदान में उतारा। भारती ने 7772 मतों से जीत हासिल कर कांग्रेस व भाजपा को तगड़ा झटका दिया। उन्हें अर¨वद केजरीवाल की 49 दिनों की सरकार में कानून मंत्री बनाया गया था। 2015 में हुए चुनाव में आप ने फिर से सोमनाथ भारती को मैदान में उतारा। वहीं भाजपा ने एक बार फिर प्रत्याशी बदला और नंदिनी शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस ने भी अपने पुराने दिग्गज डॉ. योगानंद शास्त्री पर दांव खेला, लेकिन जीत फिर से आप की झोली में आ टपकी। सोमनाथ भारती ने भाजपा की नंदिनी शर्मा को करीब 16 हजार मतों से पराजित किया।

Saturday, December 21, 2019

1987 से पहले जन्‍मे लोगों को माना जाएगा भारतीय नागरिक- CAA और NRC पर सरकार की सफाई

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि जन्मतिथि और जन्मस्थान से संबंधित दस्तावेजों से भी भारत की नागरिकता साबित हो सकती है. देश में नागरिकता कानून (Citizenship Act) और एनआरसी (NRC) के विरोध में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों की बीच सरकार ने CAA और NRC पर अपनी सफाई दी है. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा, “भारत में जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ या जिनके माता-पिता 1987 से पहले जन्मे हैं, वे कानूनन भारतीय नागरिक हैं. नागरिकता कानून 2019 के कारण या देशभर में एनआरसी लागू होने पर उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.” माता-पिता में से किसी एक भारतीय होना अनिवार्य : अधिकारियों ने बताया कि नागरिकता कानून (Citizenship Act) में 2004 में किए गए संशोधनों के मुताबिक, असम को छोड़कर शेष देश में अगर किसी के माता-पिता में कोई भी एक भारत का नागरिक है और अवैध अप्रवासी नहीं है तो ऐसे बच्चों को भारतीय नागरिक माना जाएगा.


जन्म तिथि या जन्म स्थान से साबित कर सकते हैं नागरिकता : गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि जन्मतिथि और जन्मस्थान से संबंधित दस्तावेजों से भी भारत की नागरिकता साबित हो सकती है. उन्होंने कहा, “भारत की नागरिकता जन्मतिथि या जन्मस्थान या दोनों से संबंधित कोई भी दस्तावेज देकर साबित की जा सकती है. आने वाले समय में गृह मंत्रालय नागरिकता साबित करने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए काम कर रहा है.” NRC- 1 और NRC -2 में कौन होगा शामिल? गृह मंत्रालय ने साफ किया कि अगर आप 26 जनवरी 1950 के बाद और 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में पैदा हुए हैं तो आप NRC-1 में होंगे. वहीं, अगर आप 1 जुलाई 1987 से 3 दिसंबर 2004 के पहले तक भारत में पैदा हुए हैं तो आप NRC-2 में आएंगे. अगर 3 दिसंबर 2004 को या इसके बाद आप भारत में पैदा हुए हैं और आपके जन्‍म के समय आपके माता-पिता भारतीय नागरिक हैं तो आप भारतीय नागरिक माने जाएंगे.


Wednesday, December 18, 2019

जब महात्मा गांधी ने कहा था ‘मैं कटोरा लेकर भीख मांगूंगा लेकिन जामिया किसी भी हालत में बंद नहीं होनी चाहिए’

जामिया पर बीजेपी के तमाम नेता अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं। मीडिया में यूनिवर्सिटी को लेकर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर ख़बरे़ परोसी जा रही हैं। लेकिन आपको जामिया का इतिहास जानना होगा। क्योंकि जामिया में लगी एक-एक ईंट राष्ट्रवाद और मुल्क़ की मोहब्बत में डूबी हुई हैं। यह सिर्फ़ एक यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि राष्ट्रवाद की मज़बूत ईमारत है। जामिया राष्ट्रवादियों की यूनिवर्सिटी है। जामिया की बुनियाद ही अंग्रेज़ी हुक़ूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत के तौर पर पड़ी थी। महात्मा गांधी के राष्ट्रवाद के आह्वान पर 19 अक्टूबर 1920 में मौलाना हसन अली, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, हकिम अजमल ख़ान, डॉ मुख़्तार अहमद अंसारी अब्दुल माजिद ख़्वाजा ने जामिया की बुनियाद रखी। पूरा नाम रखा “जामिया मिल्लिया इस्लामिया” तीन भाषाओं के इस नाम का अर्थ आप समझिए। जामिया के माने विश्वविद्यालय, मिल्लिया के माने राष्ट्रीय और इस्लामिया के माने इस्लाम। पूरा मतलब आप हिन्दी में समझें तो “राष्ट्रीय मुस्लिम यूनिवर्सिटी”। 1920 में जब देश 550 रियासतों में बंटा था। जब यही तय नहीं था कि राष्ट्र का स्वरूप कैसा होगा। तब राष्ट्र सिर्फ़ एक सपना और उम्मीद के सिवा भारतीयों के लिए कुछ नहीं था। ऐसे वक़्त में “राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय” की स्थापना की गई।

अंग्रेज़ों से बग़ावत करके बनी जामिया तमाम तरह की दिक्कतों से गुजरती रही। पैसों की किल्लत हमेशा रही। कोई सरकारी मदद नहीं मिलती थी। जामिया के संस्थापक तिरपाल के टेंट में यूनिवर्सिटी चला रहे थे। दिक्कतों की वजह से 1925 में जामिया को अलीगढ़ से दिल्ली के करोल बाग़ शिफ्ट किया गया। एक वक़्त ऐसा आया जब जामिया को बंद करने की नौबत आ गई। तब महात्मा गांधी ने कहा था “जामिया किसी भी हालत में बंद नहीं होनी चाहिए। अगर पैसों की दिक्कत होगी तो मैं कटोरा लेकर भीख मांगूंगा लेकिन जामिया को बंद नहीं होने दूंगा। पैसों सहित की तमाम तरह की परेशानियों के बावजूद भी जामिया चलती रही। राष्ट्रवाद की भावनाओं से ओत-प्रोत जामिया के छात्र जंग ए आज़ादी में कूदते रहे। आज़ादी के दीवानों की इस यूनिवर्सिटी का एक-एक छात्र हर उस सत्याग्रह में शामिल हुआ, जो अंग्रेजी हुक़ूमत के ख़िलाफ़ था। 1928 में सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात में बारदोली सत्याग्रह की शुरूआत हुई। इस आंदोलन में जामिया का एक-एक छात्र शामिल रहा। यहां के छात्र पूरे देश में घूम घूमकर लोगों को आज़ादी के लिए जागरूक कर रहे थे।
जामिया परिसर से हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की यादें भी जुड़ी हैं। जामिया परिसर में ही बैठकर प्रेमचंद ने अपनी आख़िरी कहानी “कफ़न” लिखी थी। जामिया स्थित मुंशी प्रेमचंद अभिलेखागार में प्रेमचंद के वो वाक्य भी शिलापट्ट पर लिखे गए हैं, जो उन्होंने जामिया के लिए कहे थे। प्रेमचंद ने कहा था “जामिया राष्ट्र के प्रति सच्ची सेवा का आदर्श रखता है।” भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू‘ के अनुसार उन्होंने ”तिनका-तिनका जोड़कर और तमाम कुर्बानियाँ देकर जामिया का निर्माण किया था।” जामिया का इतिहास पढ़िए और सोचिए। साथ ही मीडिया के फैलाए ग़लत न्यूज़ से प्रभावित मत होइए। यह आंदोलनों से उपजी यूनिवर्सिटी है। यहां की मिट्टी में आंदोलन है, इमारतों में हक़परस्ती है, दर-ओ-दीवार में इंसाफ़ है और यहां पढ़नेवालों के दिल में राष्ट्र है।
(निसार सिद्दीक़ी: लेखक जामिया मिलिया इस्लामिया के रिसर्च स्कॉलर हैं)

Wednesday, December 11, 2019

हौजरानी में अवैध कब्ज़ों से आपात स्थिति में आवगमन मुश्किल

साउथ दिल्ली का मालवीय नगर के हौजरानी जहाँपनाह खिड़की एक्सटेंशन रोड़ पर दुकानों के अवैध कब्ज़ों ओर रेहड़ी ठेलों से पूरा रोड इतना जाम रहता है की आपात स्थिति में आवगमन मुश्किल है होटल, ढाबे, फेक्ट्री ओर छोटी छोटी गालियो की भरमार, जहाँ एम्बुलेंस व फायर ब्रिगेड की गाड़ी कभी आसानी से आ ही नहीं सकती, मिंटो का सफर घण्टो में तय होता है, पिछले दिनों हमारी गली के एक लाइट पोल में आग लगी, मगर फायर बिग्रेड की गाड़ी कॉलोनी में नही आई, मजबूरी में लोगो ने ख़ुद रेत मिट्टी डाल कर आग बुझाई, फायर ब्रिगेड की गाड़ी मेन रोड से ही वापस चली गयी, इन अवैध कब्ज़ों ओर रेहड़ी के बारे में कई बार दिल्ली पुलिस व साउथ नगर निगम को अवगत कराया गया मगर कोई समाधान नही हुआ, हौजरानी इलाका 'फायर एक्सीडेंट' जैसी आपदा के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है प्रशासन को समय रहते उचित करेवाही करनी चाहिए, हमें डर है कि कहीं ये प्रशासन की लापरवाही जान लेवा साबित न हो जाय,  (मालवीय नगर सुरक्षा कवच)


Thursday, December 5, 2019

27 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ था अयोध्या में..?

27 साल पहले आज ही के दिन यानी 6 दिसंबर को अयोध्या में वह सब हो गया, जिसकी सबको आशंका थी. लेकिन कोई ऐसा होते देखना नहीं चाहता था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को लाखों की संख्या में पहुंचे कारसेवकों ने गिरा दिया था, इस घटना के हुए आज 27 साल हो चुके हैं. 6 दिसंबर 1992 का दिन देश ही नहीं विश्व के इतिहास का सबसे काला दिन बन गया. हजारों लोग आपस में लड़े-भिड़े, कत्लेआम हुए, उन घावों की टीस आज भी दिलों में उठती है. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में चारों तरफ धूल ही धूल थी. यहां कोई आंधी नहीं चल रही थी, लेकिन यह मंजर किसी आंधी से कम भी नहीं था. 'जय श्रीराम', 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे', 'एक धक्का और दो... जैसे नारों से अयोध्या गूंज रही थी. मौजूद कार सेवकों के साथ लोगों की बड़ी संख्या विवादित स्थल के अंदर घुस गई थी और विवादित गुंबद पर उनका कब्जा हो गया था. हाथों में बल्लम, कुदाल, छैनी-हथौड़ा लिए उन पर वार पर वार करने लगे. जिस कारसेवक हाथ में जो था, उसी ढांचे को ध्वस्त करने में लगा था और देखते ही देखते वर्तमान, इतिहास हो गया था. केंद्र की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार और राज्य की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार देखती रह गई थी. दिलचस्प बात यह थी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि उसके आदेशों का पूरा पालन होगा, लेकिन मस्जिद के विध्वंस को रोक नहीं सके. इसके चलते कल्याण सिंह को एक दिन की सजा भी हुई थी. फिलहाल 6 दिसंबर के दिन सुबह लालकृष्ण आडवाणी कुछ लोगों के साथ विनय कटियार के घर गए थे. इसके बाद वे विवादित स्थल की ओर रवाना हुए. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और विनय कटियार के साथ उस जगह पहुंचे, जहां प्रतीकात्मक कार सेवा होनी थी. वहां उन्होंने तैयारियों का जायजा लिया था. इसके बाद आडवाणी और जोशी 'राम कथा कुंज' की ओर चल दिए. यह उस जगह से करीब दो सौ मीटर दूर था. यहां वरिष्ठ नेताओं के लिए मंच तैयार किया गया था. यह जगह विवादित ढांचे के सामने थी. उस समय बीजेपी की युवा नेता उमा भारती भी वहां थीं, वो सिर के बाल कटवाकर आई थीं, ताकि सुरक्षाबलों को चकमा दे सकें. सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने 'बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि परिसर' का दौरा किया. इसके बाद भी वहां कारसेवकों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी. दोपहर को अचानक एक कार सेवक किसी तरह गुंबद पर पहुंचने में कामयाब हो गया. इसके बाद जब भीड़ बढ़ी तो बेकाबू हो चुकी थी. विवादित ढांचे को गिराने की बकायदा रिहर्सल भी की गई थी. इसके घटना के बाद देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक दंगे में हुए, जिनके सैकड़ो लोगों की जानें गई. इसी आंदोलन से देश की राजनीतिक दशा और दिशा बदल गई. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था. इस साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 1934, 1949 और 1992 में मुस्लिम समुदाय के साथ हुई ना-इंसाफी को गैरकानूनी करार दिया है..! aajtak.intoday.in

Thursday, November 21, 2019

चिराग दिल्ली चौराहे पर अब मिली जाम से राहत

दक्षिणी दिल्ली : आउटर रिंग रोड पर चिराग दिल्ली फ्लाई ओवर के नीचे उसके समानांतर ट्रैफिक की आवाजाही पुलिस ने बंद कर दी है। इससे अब इस प्वॉइंट पर जाम लगना बंद हो गया है। लोगों को जाम से राहत दिलाने के लिए यातायात पुलिस ने यह पहल की है। यातायात पुलिसकर्मियों का कहना है कि इस रेडलाइट पर लोगों के साथ ही उन्हें भी काफी राहत मिली है। अब इस फ्लाईओवर के नीचे दोनों ओर से सिर्फ लेफ्ट व राइट टर्न लिया जा सकता है। दोनों ओर से पुलिस ने यहां पर अस्थायी सूचक भी लगा दिए हैं। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी ने बताया कि जिन लोगों को अभी इसकी जानकारी नहीं है और वे गलती से सीधे निकल जाते हैं उन्हें समझाकर छोड़ दिया जाता है। पुलिस ने यहां पर दोनों ओर लगे ट्रैफिक सिग्नल में भी स्ट्रेट ग्रीन हटा दिया है। अब यहां पर मुनिरका या नेहरू प्लेस की ओर से आने वाले लोग दाहिने या बाएं मुड़ सकते हैं। सीधे नहीं जा सकते। पुलिस की इस पहल से लाल बहादुर शास्त्री मार्ग (पुराना बीआरटी) पर जाम काफी कम हो गया है। एलबीएस मार्ग हुआ सिग्नल फ्री : यातायात पुलिस ने यह पहल एलबीएस मार्ग को पूरी तरह से सिग्नल फ्री करने के लिए की है। यातायात पुलिस ने इसके तहत सादिक नगर चौराहे से राजाराम मार्ग तिराहे तक पांच चौराहे-तिराहे बंद करके 10 अस्थायी यू-टर्न बनाए हैं। जल्द इन्हें स्थायी रूप से पक्का बनाया जाएगा। सादिक नगर, पुष्प भवन चौराहा व राजा राम मार्ग तिराहा, चिराग दिल्ली व शेख सराय चौराहों पर अब लोगों को जाम से काफी राहत मिली है। इस पहल से दक्षिणी दिल्ली की ग्रेटर कैलाश, मालवीय नगर, पुष्प विहार, डिफेंस कॉलोनी, साकेत, पंचशील, शेख सराय, कृषि विहार, डिफेंस कॉलोनी, एंड्रयूजगंज, लाजपत नगर आदि कॉलोनियों के लोगों को जाम से राहत मिली है। पीक ऑवर में सुबह-शाम यहां लोगों को भारी जाम का सामना करना पड़ता था। एलबीएस मार्ग का सबसे व्यस्त चौराहा : एलबीएस मार्ग के चिराग दिल्ली चौराहे पर यातयात का सबसे ज्यादा दबाव रहता है। दरअसल, चिराग दिल्ली चौराहा एयरपोर्ट और एमबी रोड को जोड़ता है। वहीं, गुरुग्राम और नोएडा जाने आने-जाने के लिए भी लोग इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं। नेहरू प्लेस से मुनिरका व एयरपोर्ट आने-जाने वाले वाहन तो फ्लाइओवर से निकल जाते हैं लेकिन साकेत, जीके व अन्य लोकल कॉलोनियों के लोगों को नीचे से ही निकलना पड़ता है। इसलिए यातायात पुलिस को यह कदम उठाने की जरूरत महसूस हुई।

Tuesday, November 19, 2019

दिल्ली, यूपी समेत उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटके

दिल्ली, यूपी समेत उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि अभी किसी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं है। सोमवार को गुजरात में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप का केंद्र बिंदु भारत-नेपाल बताया जा रहा है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5 मापी गई है।  कुछ जगहों पर भूकंप के झटके महसूस होने के बाद लोग अपने दफ्तर और घरों से बाहर निकल आए। यूनाइटेड स्टेट जिओलॉजिकल सर्वे के मुताबिक भूकंप का इपिसेंटर नेपाल के खपताड़ नेशनल पार्क के करीब रहा। बरेली और पीलीभीत में भूकंप के झटके, मचा हड़कंप | शाम 7 बजकर 2 मिनट पर महसूस किए गए झटके । करीब 10 सेकेंड लगे झटके तो घरों से बहार भागे लोग और किसी जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं, लोग डरे, भूकंप आने से पहले इसकी जानकारी होने की संभावना नहीं होती है। ऐसे समय यह समझना मुश्किल होता है कि क्या करना उचित होगा। आज सुबह दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की खबर लगते ही लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल हो गया। ऐसे में आप कुछ उपाय अपनाकर खुद और अपने परिजनों को इस आपदा से बचा सकते हैं। ऐसे में मकान, दफ्तर या किसी भी इमारत में अगर आप मौजूद हैं तो वहां से बाहर निकलकर खुले में आ जाएं। इसके बाद खुले मैदान की ओर भागें। भूकंप के दौरान खुले मैदान से ज्यादा सुरक्षित जगह कोई नहीं होती। भूकंप आने की स्थिति में किसी बिल्डिंग के आसपास न खड़े हों। अगर आप ऐसी बिल्डिंग में हैं, जहां लिफ्ट हो तो लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। ऐसी स्थिति में सीढ़ियों का इस्तेमाल करना ही उचित होता है। भूकंप के दौरान घर के दरवाजे और खिड़की को खुला रखें। इसके अलावा घर की सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर बिल्डिंग बहुत ऊंची हो और तुरंत उतर पाना मुमकिन न हो तो बिल्डिंग में मौजूद किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं। भूकंप के दौरान लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं, ऐसे में स्थिति और बुरी हो सकती है।

Tuesday, November 5, 2019

साकेत कोर्ट हिंसा के मामले में पुलिस ने दर्ज किए दो मुकदमें

दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. तीस हजारी कोर्ट के बाद सोमवार को साकेत कोर्ट के बाहर वकीलों ने पुलिसकर्मी से बदसलूकी की. इस मामले में दो मुकदमें दर्ज किए गए हैं. पहला मुकदमा पुलिसकर्मी की शिकायत पर बदसलूकी करने वाले वकील पर दर्ज किया गया है, जबकि दूसरा मुकदमा टैक्सी ड्राइवर की शिकायत पर दर्ज किया गया, जिस पर स्टील की रॉड से हमला किया गया था. हालांकि इस एफआईआर में किसी का नाम नहीं दर्ज किया गया है. तीस हजारी कोर्ट में शनिवार को वकीलों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के परिणाम सोमवार को भी देखने को मिले. दिल्ली की सभी जिला अदालतों में वकील हड़ताल पर चले गए. सिर्फ जिला अदालत में ही नहीं बल्कि दिल्ली हाई कोर्ट में भी वकील जज के सामने पेश नहीं हुए. इतना ही नहीं हड़ताल के दौरान वकीलों ने न सिर्फ सड़कों पर प्रदर्शन कर आम लोगों को रोककर ट्रैफिक जाम किया बल्कि पत्रकारों और आम लोगों के साथ मारपीट भी की. इस बीच साकेत कोर्ट के पास वकीलों ने एक पुलिसवाले की पिटाई कर दी. साकेत कोर्ट के पास वकीलों ने एक दिल्ली पुलिस के जवान की पिटाई कर दी. बाइक सवार दिल्ली पुलिस के जवान को वकीलों ने घेर लिया और थप्पड़ जड़ने लगे. जब जवान वहां से भागने लगा तो वकीलों ने उस पर हेलमेट चलाकर मारा. हालांकि हेलमेट उसके बाइक पर लगा. पीड़ित पुलिसवाले ने साकेत थाने में शिकायत दर्ज कराई है. बताया जा रहा है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है.

Wednesday, October 30, 2019

स्तन कैंसर, जो 40 से कम उम्र की महिलाओं को बनाता है निशाना

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रतिवर्ष लगभग 21 लाख महिलाएं स्तन (ब्रेस्ट) कैंसर की चपेट में आ जाती हैं। भारत में हर 28वीं महिला को किसी ने किसी रूप में ब्रेस्ट कैंसर होता है। इस तरह ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को सबसे ज्यादा होने वाली कैंसर की बीमारी है। दुर्भाग्य से इसे लेकर जागरुकता का बहुत अभाव है। कितने लोग जानते हैं कि अकेला ब्रेस्ट कैंसर 12 प्रकार का होता है। कैंसर के प्रकार इस बात पर निर्भर होते हैं कि वह आक्रामक (दूसरे अंगों में फैलने वाला है), गैर-आक्रामक (केवल एक ही अंग तक सीमित रहने वाला) या फिर यूनिफोकल (केवल एक ट्यूमर) या मल्टीफोकल (कई ट्यूमर्स) है।

myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. उमर अफरोज के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले यह जानना जरूरी होता है कि कैंसर किस प्रकार का है। जो महिलाएं स्तनपान करवाती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। बहरहाल, दुनियाभर में अक्टूबर को ब्रेस्ट कैंसर जागरुकता माह के तौर पर मनाया जाता है। जानिए उन ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जो आमतौर पर 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को प्रभावित करते हैं। 

मेडुलरी ब्रेस्ट कैंसर - यह एक दुर्लभ, लेकिन आक्रामक किस्म का ब्रेस्ट कैंसर है। इसकी शुरुआत दुग्ध नलिकाओं (डक्टल कार्सिनोमा) से होती है। इन्हें यह नाम दिया गया है क्योंकि प्रभावित टिश्यूज दिमाग में मौजूद मेडुला की ही तरह मुलायम और मांसल होते हैं। मेडुलरी ब्रेस्ट कैंसर कुल ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में केवल 3-5 प्रतिशत ही होते हैं। यह अधिकतर 40 से 50 वर्ष की महिलाओं को प्रभावित करता है। डॉ. उमर अफरोज के अनुसार, यह धीरे-धीरे फैलता है लेकिन स्तन के बाहर के किसी भी टिश्यू को प्रभावित नहीं करता। इसके लक्षण काफी स्पष्ट होने के कारण इसे पहचान कर इसके इलाज के ज्यादा आसार होते हैं।

पेजेट्स डिसीज ऑफ द ब्रेस्ट - यह बीमारी अधिकतर निप्पल के इर्द-गिर्द मौजूद काले हिस्से (एरोला) की त्वचा को प्रभावित करती है। इसकी पहचान के लिए डॉक्टर्स बड़े सेल्स (पेजेट्स सेल) को खोजते हैं। हालांकि अधिकांश मरीजों को ब्रेस्ट के भीतर भी एक-दो ट्यूमर होते हैं। इस तरह के कैंसर के मरीज 1-4 प्रतिशत होते हैं। पेजेट कैंसर हर उम्र की महिला को अपनी चपेट में ले सकता है। किशोरियों से लेकर 80 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं को। 

ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर -  डॉ. उमर अफरोज के अनुसार, इस प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए जरूरी है कि ट्यूमर में निम्नलिखित तीन लक्षण हो- एस्ट्रोजेन रिसेप्टर्स न हो, प्रोजेस्टेरोन रिसेप्ट्स न हो और एचईआर रिसेप्टर्स न हो।  इनमें से कोई-सा भी रिसेप्टर ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के लिए जिम्मेदार नहीं होता। यह एक किस्म की समस्या है क्योंकि यह कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर के सामान्य इलाज को प्रभावी नहीं होने देता है। यह इलाज है हार्मोन थैरेपी जो एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन रिसेप्टर्स के कामकाज को रोकती है और दूसरी दवा जो एचईआर-2 द्वारा उत्पन्न प्रोटीन को अपना निशाना बनाती है। ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर में इनमें से कोई भी रिसेप्टर्स नहीं होते और इस वजह से उसका इलाज बहुत मुश्किल हो जाता है। युवतियों में ज्यादा होने वाला यह ब्रेस्ट कैंसर तकरीबन 10-20 प्रतिशत में पाया जाता है। इस किस्म का कैंसर आक्रामक (नजदीकी टिश्यूज और लिम्फ नोड्स में फैलने वाला) हो सकता है और इसके दोबारा होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इलाज में कीमोथैरेपी भी शामिल है। हालांकि गांठ को हटाना या समूचे ब्रेस्ट को ही हटा देना सर्वश्रेष्ठ विकल्प होता है। 

बेसल-लाइक ब्रेस्ट कैंसर - इस कैंसर को यह नाम दिया गया है क्योंकि यह दुग्ध वाहिनियों की अंदरुनी परत (बेसल लेयर) में पाया जाता है। ज्यादातर मामले में यह 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है और इसकी पहचान मुश्किल होती है। इस किस्म के कैंसर को अधिकांश मामलों में ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर समझ लिया जाता है,क्योंकि इसमें भी ब्रेस्ट कैंसर के तीनों रिसेप्टर्स में से कोई नहीं होता। कनाडा कैंसर सोसायटी के मुताबिक, सभी बेसल-लाइक ब्रेस्ट कैंसर, ट्रिपल निगेटिव नहीं होते। साथ ही बेसल सेल टाइप कैंसर द्वारा प्रोटीन में कुछ ऐसे परिवर्तन किए जाते हैं जो ट्रिपल निगेटिव टाइप ब्रेस्ट कैंसर में नहीं होते। 
रिसर्च के मुताबिक युवतियों को प्रभावित करने वाले ब्रेस्ट कैंसर ऊंचे ग्रेड के होते हैं, हार्मोन रिसेप्टर निगेटिव और आमतौर पर ज्यादा आक्रामक होते हैं। जिन परिवारों में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास है, वहां कि लड़कियों को समय-समय पर डॉक्टर से संपर्क साधकर अल्ट्रासाउंड या एमआरआई करा लेना चाहिए।

Tuesday, October 29, 2019

जब जामिया के सबसे छोटे बच्चे ने रखी जामिया में नई बिल्डिंग की नींव…

01 मार्च, 1935 को जामिया के सबसे छोटे छात्र अब्दुल अज़ीज़ के हाथों ओखला में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पहली बिल्डिंग की नींव रखी गई. जामिया के सबसे छोटे बच्चे के हाथों नींव रखवाने का ये आईडिया डॉ. ज़ाकिर हुसैन का था. ज़ाकिर हुसैन साहब का ये आईडिया गांधी जी को ख़ूब पसंद आया. इस संबंध में गांधी ने ज़ाकिर हुसैन को एक पत्र लिखा. प्रेस को भी अपना बयान जारी किया और कहा कि ‘यह एक बहुत श्रेष्ठ विचार है कि जामिया की बुनियाद उसके सबसे छोटे बच्चे द्वारा रखी जाए. इस कल्पना की मौलिकता पर मेरी बधाई. मैं जानता हूं कि जामिया का भविष्य उज्जवल है. मैं आशा करता हूं कि इसके द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एकता का बीज एक शानदार वृक्ष के रूप में उगेगा. इसलिए मैं इस साहसिक प्रयास की हर सफलता के लिए कामना करता हूं…’
डॉ. ज़ाकिर हुसैन (8 फरवरी, 1897-3 मई, 1969) 1926 से लेकर 1948 तक जामिया के वाइस चांसलर रहे. 1963 में जामिया के चांसलर बने, बता दें कि जामिया की ‘इस इमारत के चीफ़ आर्किटेक्ट कार्ल हेंज थे. कार्ल तुर्की के एक प्रिंस अब्दुल करीम के साथ हैदराबाद पहुंचे थे. डॉ. ज़ाकिर हुसैन और कार्ल हेंज जल्द ही जर्मन भाषा के अपने सामान्य ज्ञान के कारण दोस्त बन गए. हेंज ने स्वेच्छा से बिना किसी शुल्क के जामिया के लिए इमारतों को डिजाइन किया. कार्ल हेंज के डिजाइनों को व्यावहारिक रूप मिस्त्री अब्दुल्ला ने दिया. इंजीनियर ख़्वाजा लतीफ़ हसन पानीपति ने भी कभी-कभी निर्माण कार्य की देख-रेख के लिए स्वेच्छा से काम किया था.’

डॉ. ज़ाकिर हुसैन आज भी जामिया मिल्लिया इस्लामिया से जुड़े लोगों के लिए एक प्रेरणा-स्त्रोत हैं.  पिछले दिनों जामिया मिल्लिया इस्लामिया में जामिया से पढ़े अफ़रोज़ आलम साहिल की किताब ‘जामिया और गांधी’ का कवर पेज़ रिलीज़ किया गया. ये रिलीज़ जामिया के ‘मुशीर फ़ातिमा नर्सरी स्कूल’ के नर्सरी क्लास की छात्रा नबीहा जहांगीर और छात्र ख़ुर्रम साक़िब के हाथों हुआ. ये दोनों बच्चे कश्मीर के रहने वाले हैं. जब इस किताब के लेखक अफ़रोज़ आलम साहिल से बच्चों द्वारा अपने किताब का कवर रिलीज़ कराने के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ये प्रेरणा उन्होंने डॉ. ज़ाकिर हुसैन साहब से ली है.

साहिल पिछले कई सालों से इस किताब को लेकर रिसर्च कर रहे थे. ये एक रिसर्च आधारित किताब है. उम्मीद है कि जामिया के फ़ाउंडेशन डे पर ये किताब रिलीज़ जाएगी.  ये किताब ख़िलाफ़त आन्दोलन के ‘सरफ़िरों’ व जामिया में ख़ेमाज़न होने वाले उन तमाम ‘दीवानों’ को समर्पित है, जिनके दयार से न जाने अब तक कितने छात्र पढ़कर निकल चुके हैं… अफ़रोज़ साहिल कहते हैं, ‘इंसानों की तरह इदारों की भी उम्र होती है. जामिया ने अपनी ज़िन्दगी के सौ साल पूरे कर लिए हैं. मैं ख़ुश हूं कि मुझे मौक़ा मिला कि सौ साल पूरा होने पर जामिया के असल इतिहास व मक़सद को अपनी पीढ़ी के नौजवानों तक पहुंचा दूं. यक़ीनन मेरे बाद की नस्लें भी इस किताब से फ़ायदा हासिल करेंगी. उम्मीद करता हूं कि इस देश में गांधी और जामिया दोनों के ही इतिहास में रूचि रखने वाले लोगों के लिए ये किताब वरदान साबित होगी.’
beyondheadlines.in

Monday, October 28, 2019

अफरोज आलम साहिल की किताब 'जामिया और गांधी' का विवोचन

अफरोज आलम साहिल की किताब 'जामिया और गांधी' आज जामिया के डॉ. एम.ए.अंसारी ऑडिटोरियम में पूर्व वाइस चांसलर डॉ. सैय्यद शाहिद मेहदी साहब, मौजूदा वाइस चांसलर प्रोफ़ेसर नजमा अख़्तर साहिबा, रजिस्ट्रार ए.पी. सिद्दीक़ी साहब (आईपीएस) और जामिया के जनसंपर्क अधिकारी एवं मीडिया संयोजक अहमद अज़ीम साहब के हाथों खचाखच भरे महफ़िल में रिलीज़ हुआ... किताब कुछ देर में जामिया ऑडिटोरियम के सामने उपलब्ध होगी...!


Sunday, October 27, 2019

मालवीय नगर में हवा की गुणवत्ता हुई ‘बहुत खराब’

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को दिवाली के दिन प्रदूषण की वजह से धुंध छा गई और वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखा छोड़ने के लिए दो घंटे की सीमा तय की थी, लेकिन लोगों ने इसके अलावा भी पटाखे छोड़े. दिल्ली की हवा में पटाखों की तेज आवाज के साथ ही जहरीला धुंआ और राख भर गया और कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर' स्तर को पार गया. लोगों ने मालवीय नगर, लाजपत नगर, कैलाश हिल्स, बुराड़ी, जंगपुरा, शाहदरा, लक्ष्मी नगर, मयूर विहार, सरिता विहार, हरी नगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, द्वारका सहित कई इलाकों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखा छोड़ने के लिए तय दो घंटे की समयसीमा का उल्लंघन करके पटाखे छोड़ने की सूचना दी, मालवीय नगर में भी पटाख़े जल रहे हैं धुएं की वजह सभी गेट ओर विन्डो बंद करनी पड़ी, अजीब सी तबियत हो रही है, मेरी एक महीने की बेटी है धुएं की वजह से उसे कोई प्रॉब्लम हो इसलिये विलेज भेज दिया, जहाँ शुद्ध वातावरण है, ये दीवाली परेशानी वाली, विधाता बचाये पॉल्युशन से,
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Saturday, October 26, 2019

DIWALI 2019: साकेत सेलेक्ट सिटी वॉक मॉल में की गई स्पेशल सजावट

दिवाली पर हर जगह बेहद ही सुंदर सजावट देखने को मिलती है. चाहे बात फिर वह घर की हो ऑफिस हो या फिर बाजार. दिल्ली में बड़े-बड़े मॉल को भी बेहद सुंदर लाइटों और थीम के साथ सजाया जाता है. इसमें से दिल्ली के फेमस मॉल में से एक सिलेक्ट सिटी वॉक मॉल जोकि साकेत में स्थित है. इस मॉल की सुंदरता देखते ही बनती है. दिवाली पर इसे बेहद ही आकर्षक तरीके से सजाया गया है. जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं.

रामायण के थीम पर मॉल में की गई है सजावट: मॉल को अंदर से बेहद खूबसूरत हैंगिंग लैंप और रामायण की थीम पर सजाया गया है. रामायण की झांकियां लगाई गई हैं. जिसमें कि जब भगवान श्री राम 14 साल का वनवास काट कर जिस विमान से अयोध्या लौटे थे. उस पुष्पक विमान को दिखाया गया है. इसके साथ ही भगवान हनुमान को भी संजीवनी बूटी लाते समय पर्वत अपने हाथ में उठाते हुए दर्शाया गया है.

लोगों को बेहद पसंद आ रही सजावट: ईटीवी भारत की टीम जब इस मॉल में पहुंची तो हमने देखा कि हमेशा की तरह काफी लोग मॉल में खरीदारी के लिए और सुंदरता को देखने के लिए पहुंच रहे थे. दिल्ली के प्रीत विहार से आई निशा गर्ग बताती हैं कि इस मॉल में हर फेस्टिवल पर बेहद ही खास सजावट की जाती है. इसी कड़ी में दीपावली को भी बेहद सुंदर बनाने के लिए शानदार डेकोरेशन की गई है.









मॉल में घूमने आए विदेशी मेहमान: कतर से भारत घूमने आए विदेशी मेहमान मुस्तफा बताते हैं कि उन्हें दीपावली का यह त्योहार काफी आकर्षित करता है. जिस तरीके से हर जगह रोशनी ही रोशनी नजर आती है यह बेहद ही खुश करने वाला होती है. वह इसे इंजॉय कर रहे हैं.
लोग दूर-दूर से घूमने आ रहे मॉल: वैसे तो साउथ दिल्ली के मॉल में हमेशा ही लोगों की काफी भीड़ देखने को मिलती है. लेकिन त्योहारों पर खासा लोग यहां घूमने के लिए आते हैं. इसी कड़ी में तमाम लोग दिवाली पर इस मॉल में खरीदारी के लिए और घूमने के लिए आ रहे हैं, जिसके लिए मॉल में बेहद ही सुंदर सजावट की गई है.

Friday, October 25, 2019

हौजरानी मालवीय नगर: खिलौना दिखाकर लूटने वाले दबोचे

दक्षिणी दिल्ली: खिलौना बंदूक दिखाकर लूटने वाले दो बदमाशों को मालवीय नगर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनसे खिलौना बंदूक समेत चोरी की एक बाइक व लूटा गया एक मोबाइल बरामद किया गया है। डीसीपी साउथ अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि आरोपितों की पहचान पंकज निवासी जगदंबा कैंप, सावित्री नगर व जिसान निवासी हौजरानी के रूप में हुई है। दोनों को हौजरानी के पास से गिरफ्तार किया गया है। आरोपितों ने गत 23 अक्टूबर की रात आकाश नामक युवक को खिलौना बंदूक दिखाकर लूटपाट की थी।

Wednesday, October 16, 2019

कर्ज वाली लक्ष्मी

एक 15 साल का भाई अपने पापा से कहा "पापा पापा दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है" अभी जीजाजी ने फोन पर बताया। दीदी मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी। दीनदयाल जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले... हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में #दहेज की  बात करने आ रहे हैं.. बोले... #_दहेज के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है.. बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी दहेज की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?" कहते कहते उनकी आँखें भर आयीं.. घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...लड़की भी उदास हो गयी... खैर.. अगले दिन समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी.. कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने लड़की के पिता से कहा" दीनदयाल जी अब काम की बात हो जाए.. दीनदयाल जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. जो आप हुकुम करें.।लड़के के पिताजी ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनदयाल जी और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनदयाल जी मुझे *दहेज* के बारे बात करनी है! दीनदयाल जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले बताईए समधी जी....जो आप को उचित लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा. समधी जी ने धीरे से दीनदयाल जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा.. आप कन्यादान में कुछ भी देगें या ना भी देंगे... थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब स्वीकार है... पर कर्ज लेकर आप एक रुपया भी दहेज मत देना.. वो मुझे स्वीकार नहीं.. क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी "कर्ज वाली लक्ष्मी" मुझे स्वीकार नही. मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरी सम्पति को दो गुना कर देगी.. दीनदयाल जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा..!

शिक्षा-  कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें न ही कोई स्वीकार करे.

दिल्ली में कटें चालान को माफ करेगी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस: आपका नाम भी हो सकता है शामिल

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस एक मुसीबत में फंस गई है. दिल्ली-यूपी को जोड़ने वाले एनएच-24 और नए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक पुलिस ने स्पीड डिटेक्शन कैमरे लगाए हुए हैं. जिससे कि ओवर स्पीडिंग को रोका जा सके. लेकिन ट्रैफिक पुलिस से यहां पर एक ग़लती हो गई है. उन्होंने कई ऐसे लोगों के चालान काट दिए जिनकी गाड़ी की स्पीड 60 किलो मीटर से ज़्यादा है. जबकि तनया एक्सप्रेस-वे बनने के बाद एनएचएआई ने इस रोड पर अधिकतम स्पीड लिमिट बढ़ाकर 70 किमी प्रतिघंटे की कर दी थी. ऐसे में लोगों को कुछ दिनों बाद जब चालान मिलना शुरू हुआ तो उन्होंने सोशल मीडिया पर शिकायत शुरू की. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अदालत जाने की चेतावनी दी है.
हालांकि मामला बढ़ता देख ट्रैफिक पुलिस को घोषणा करनी पड़ी कि जो भी चालान ग़लत कटे हैं, उन्हें कैंसल किया जाएगा. लेकिन एक दिक्कत यहां भी फंस रही है. हजारों लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने चालान भर दिए. ऐसे में जब 70 से कम स्पीड वालों के चालान कैंसल होने की बात आई, तो लोग सवाल उठाने लगे कि जिन्होंने चालान भर दिए, उनके पैसे भी वापस किए जाएं. ट्रैफिक पुलिस पैसा लौटाने को लेकर अजीब स्थिति में फंस गई है. ट्रैफिक पुलिस के सामने दिक्कत यह है कि उनके पास केवल ट्रैफिक नियमों को लागू करने की ज़िम्मेदारी होती है. जो लोग रूल तोड़ते हैं पुलिस उनसे जुर्माना वसूल करती है. लेकिन जुर्माने की रकम पुलिस के खाते में नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार के खाते में जाती है. ट्रैफिक अधिकारियों का कहना है कि वे चाहकर भी पैसे रिफंड नहीं कर सकते. हालांकि लोगों का बढ़ता बवाल देख, ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने तय किया है कि वे जल्द ही इस बारे में दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखकर मदद मांगेंगे.

हौज़रानी: ग़ज़ल गायकी प्रतियोगिता का आयोजन

साउथ दिल्ली: हौज़रानी के राजा राम मोहन राय सर्वोदय कन्या विद्यालय में उर्दू शायरी का मुकाबला डिस्ट्रिक्ट लेवल पर हुआ, कार्यक्रम में जज उर्दू प्रख्यात कवि व लेखक हबीब सैफ़ी, फरहान बेग ओर तहिराह मंजूर ने ज़िम्मेदारी निभाई, ग़ज़ल ओर कविताओं के माध्यम से डिस्ट्रिक्ट लेवल के बहुत से बच्चों ने अपनी प्रतिभा दिखाई, इस अवसर पर शबनम नाज़, शशि कला इत्यादि ने भी प्रोग्राम में भाग लिया..!

Saturday, October 12, 2019

हौज़रानी निवासी अनस : अल्लाह अनस को ठीक कर दे,

साउथ दिल्ली के मालवीय नगर के हौज़रानी जहांपनाह निवासी मोहम्मद अनस का पिछले दिनों सावित्री नगर में रात के समय एक्सीडेंट हो गया जहाँ प्राथमिक उपचार के लिये ट्रामा सेंटर ले जाया गया, फिलहाल तबियत कुछ बेहतर है आप से दुआ की अपील है, अल्लाहः अनस को बहुत जल्द ठीक कर दे,

मालवीय नगर: तीन कारों के शीशे चोरी

दक्षिणी दिल्ली मालवीय नगर थाना क्षेत्र के पंचशील पार्क इलाके में तीन कारों के साइड मिरर (बगल में लगे शीशे) चोरी हो गए। बुधवार देर रात की घटना इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। लोगों का कहना है कि पॉश इलाका होने के बाद भी लगातार यहां चोरी की वारदात बढ़ती जा रही है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। एक मई को सड़क पर खड़ी कार के चारों टायर चोरी हो गए थे। वही कुछ दिन पहले कार का शीशा तोड़कर उसमें रखा सामान किसी ने चुरा लिया था। मालवीय नगर थाना क्षेत्र में सड़क पर खड़ी कार का साइड मिरर खोलता चोर ’ सीसीटीवी फुटेज

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: बाबा-तांत्रिकों के सहारे 44 फीसदी पीड़ित

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता के लिए चल रहे कार्यक्रमों के बावजूद लगभग हर दूसरे व्यक्ति को अंधविश्वास पर भरोसा है। एक सर्वे के मुताबिक 44 फीसदी मानसिक रोगी इलाज की जगह तांत्रिक, बाबा और नीम-हकीम का सहारा ले रहे हैं जबकि 26 फीसदी ऐसे हैं जिन्हें चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिलती। विश्व मानसिक स्वास्थ्य कासमोस इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेस (सीआईएमबीएस) के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हरियाणा के करीब 10,233 लोगों को अध्ययन में शामिल किया गया था। इसके अनुसार 49% मरीजों को उनके घर के 20 किलोमीटर के दायरे में स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाती हैं। 48% ने माना कि परिजन या दोस्त नशे के आदी हैं लेकिन आसपास नशा मुक्ति केंद्र नहीं है। सीआईएमबीएस के निदेशक डॉ. सुनील मित्तल ने बुधवार को रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि मानसिक रोगों को लेकर लोग बाबा और तांत्रिकों के पास इलाज के लिए चक्कर लगाते रहते हैं। इसकी वजह समाज में गलत धारणाएं, जागरूकता का अभाव व स्वास्थ्य सुविधाओं का सुलभ नहीं होना है। अध्ययन में करीब 87% ने मोबाइल, एप्लीकेशन या फिर टेली मेडिसिन सुविधा के जरिए मानसिक रोगों के उपचार की मांग की है। डॉक्टरों के अनुसार, ऑनलाइन परामर्श से बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 

Monday, October 7, 2019

सजावटी सामान का एक छोटा सा बाजार है हौजरानी मार्केट

अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपको समझ में नहीं आ रहा है कि घर को सजाने के लिए सामान कहां से लिया जाए या फिर खूबसूरत क्रॉकरी के बर्तन इस बार त्योहार शुरू होने से पहले कहां खरीदे जो देखने में खूबसूरत तो हो ही साथ ही उसका दाम भी आपके बजट में हो। तो आज हम आपको दिल्ली के ऐसे बाजार के बारे में बताने जा रहें हैं जहां पर घर को सजाने के लिए सारी चीजें मिलेंगी वो भी बहुत ही आकर्षक दाम पर। नई दिल्ली के मालवीय नगर में एक छोटा सा बाजार है, हौजरानी। ये बाजार करीब 70 साल पुराना है और इसकी खासियत है कि यहां के दुकानदार कुम्हार हैं। पहले ये इन बर्तनों को अपने हाथों से बनाया करते थे, लेकिन आधुनिकीकरण के कारण अब सिर्फ मिट्टी के बर्तन और सेरेमिक पॉट वगैरह बेचते हैं। वैसे तो ये बाजार बहुत बड़ा नहीं है बस बीस से तीस दुकानदार यहां पर स्टाल लगाते हैं। लेकिन इनके पास इतनी सुंदर कलाकृतियां और मिट्टी के बर्तन होते हैं जिन्हें खरीदे बिना आप रह नहीं पाएंगे।

बजट में होती हैं चीजें: यहां पर आने वाले दुकानदार क्योंकि सारे सजावटी सामान खुद से बनाते हैं या फिर बाहर से खरीदकर लाते भी हैं तो इन्हें उन सामानों की बारीकी के बारे में पता होता है। आपको आश्चर्य होगा कि ये सारे सामान यहां बिल्कुल बजट में होते हैं। लेकिन हां थोड़ी मेहनत तो आपको करनी ही पड़ेगी। वैसे तो ये सारे सामान सही दाम में होते हैं लेकिन अगर आपको थोड़ा मोलभाव करना आता है तो और भी अच्छा है क्योंकि कभी-कभी दुकानदार दाम थोड़ा बढ़ा कर बता देते हैं। लेकिन इतने कम दाम में इतने खूबसूरत सामान आपको कहीं और नहीं मिलेंगे। कैसे पहुंचे हौजरानी मार्केट: ये मार्केट बिल्कुल मालवीय नगर मेट्रो स्टेशन के नजदीक है। अगर आप केवल मार्केट देखने के मकसद से भी जाएंगे तो बिना कुछ खरीदे घर नहीं लौटेगें।

Saturday, October 5, 2019

अध्यापकों ने स्वच्छता अभियान रैली निकाली

दक्षिण दिल्ली नगर निगम क हौजरानी उर्दू स्कूल के  अध्यापकों ने हौजरानी कालोनी में स्वच्छता अभियान रैली निकाली, जिसमें प्लासटिक यूज न करने का आग्रेह करा वहीं अपनी कालोनी में सफाई पर विशेष ध्यान देने को कहा, रैली में स्कूल अध्यापक के साथ साथ स्थानीय लोगों ने साथ दिया! 

अल-नूर पब्लिक स्कूल में 150 वीं गाँधी जयंती का आयोजन

गाँधी जयंती के अवसर पर अल-नूर पब्लिक स्कूल, संभल में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ क़ुरान करीम की तिलावत के बाद राष्ट्रीय गीत से हुआ। अल-नूर पब्लिक स्कूल की रिफ़ा नाज़, मुहम्मद हिशाम, नवेद आलम, अब्बास कमाल और मु0 अरसलान ने महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व, चरित्र, उनके उपदेशों, और स्वंत्रता प्राप्त करने के लिए शुरू किये गए अहिंसा पर आधारित आंदोलनों को अपने भाषणों के माध्यम से लोगो के सामने प्रस्तुत किया। नर्सरी कक्षा के बच्चों ने मधुर कवितायेँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम को नया रंग देते हुए स्कूल के विद्यार्थियों ने "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा", "मेरे प्यारे वतन", ताकत वतन की हम से है" और "ऐ वतन आबाद रहे तू" जैसे गीतों को एक्शन के साथ पेश किया जिस को सभी ने खूब सराहा। अल-नूर पब्लिक स्कूल के निदेशक डा0 मुहम्मद नजीब क़ासमी ने उपस्थित लोगो को सम्बोधित करते हुए कहा की आज हमारा देश जिस तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहा है तो ऐसी स्थिति में गाँधी जी के सिद्धांतो पर चलकर देश में व्याप्त हिन्सान्त्मक घटनाओ व पारस्परिक घृणा को समाप्त किया जा सकता है। कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि- ख्याति प्राप्त चिकत्सक व समाज सेवक डा0 यू0 सी0 सक्सेना ने स्कूल प्रबंधन को बहुत ही कम समय में स्कूल को स्थापित किये जाने की बधाई दी और बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम की सराहना करते हुए स्टाफ मेम्बरों की सरहाना की। बच्चों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि आज के युग में बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के साथ बहुत कुछ सीखने के साधन उपलब्ध हैं जबकि उनके ज़माने में आज जैसे साधन उपलब्ध नहीं थे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे श्री मुशीर खान तरीन-ने प्लास्टिक के बॉयकाट के लिए लोगो से आग्रह किया साथ ही लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए लोगो से आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन स्कूल के प्रधानाध्यापक श्री मुहम्मद हयात वारसी ने प्रभावी ढंग से किया। इसी के साथ 31 अगस्त 2019 को आयोजित 'सुलेख लेखन प्रितियोगिता’ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में स्कूल के निदेशक डा0 मुहम्मद नजीब क़ासमी ने कार्यक्रम में आये सभी गणमान्य लोगो का आभार व्यक्त किया। साथ ही सभी स्टाफ मेंबर का आभार प्रकट किया।

हौजरानी प्रेस एन्क्लेव में बन सकता है फ्लाईओवर: 50 हजार से ज्यादा लोगों को जाम से मिलेगा छुटकारा

दिल्ली वालों को बड़ी राहत मिलने वाली है। साकेत मैक्स अस्पताल के बाहर पंडित त्रिलोक चंद शर्मा मार्ग पर लगने वाले जाम से जल्द मुक्ति मिलेगी। प...