रमजानुल मुबारक का पाक महीना शुरू हो चुका है। इबादतों और दुआओं का सिलसिला भी बढ़ गया है और साथ में बढ़ गया है खुदा की रहमतों का सिलसिला। इस महीने में दुआओं की कुबूलियत में भी बढ़ोत्तरी हो जाती है। लिहाज़ा आप सभी से गुज़ारिश है कि देश और दुनिया में अमन और चैन के लिए ज्यादा से ज्यादा दुआ की जाए। दुआ में बड़ी ताकत (शक्ति) होती है। दुआ से बड़ी बड़ी मुश्किलें आसान हो जाती हैं। दुआ का सहारा लें और याद रखें अल्लाह (ईश्वर) के लिए कोई काम मुश्किल नहीं। न उसे कोई रोकने वाला है न टोकने वाला। वो अपनी बनाई हुई दुनिया से बेपनाह मुहब्बत करता है। याद रखो जब सारी दुनिया थम गई है, उसके कार्यकलाप आज भी समय पर जारी हैं। इस पर मैथिलीशरण गुप्त की कविता "पंचवटी "का एक अंश वर्तमान पर कितना सटीक है :
"बंद नहीं अब भी चलते हैं
नियति नटी के कार्यकलाप
पर कितने एकान्त भाव से
कितने शान्त और चुपचाप। "
हजारों साल में इंसान ने प्रकृति में जो बिगाड़ किया है निश्चित रूप से उसे रिपेयर किया जा रहा है। तभी तो आप को घरों में कैद कर दिया है। लेकिन कुछ भी जो आवश्यक है आप से छीना नहीं गया है। घर में रहिए। इबादत कीजिये और सब के लिए दुआ कीजिये।
फुरकान शाह@शाहजहां पब्लिक स्कूल प्रधान अध्यापक, याकूबपुर जनपद अमरोहा
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