देश में इन दिनों कोरोना वाइरस का संकट गहराता नज़र आ रहा है। ऐसे में हर सक्षम शख्स गरीबों की मदद के लिए आगे आ रहा हैं। वहीं मुरादाबाद से सांसद डॉक्टर एस टी हसन अपनी सांसदी के अलावा अपने डॉक्टर होने का कर्तव्य भी बखूबी निभा रहे हैं। दरअसल, मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टरों पर जरूरत से ज़्यादा भार न पड़े इसलिए सांसद डॉक्टर एस टी हसन भी जनता दरबार में लोगों का फ्री चेक अप कर रहे हैं। इस मामले में सांसद एस टी हसन का कहना है कि, इस वक्त चल रही विषम परिस्थितियों में सभी लोगों को चाहिए कि वह अपने-अपने स्तर से सभी परेशान और मजबूर लोगों की मदद करें। हम और सरकार अपने स्तर पर काम कर रहे हैं लेकिन संकट की इस घड़ी में सक्षम लोगों को भी मदद के लिए आगे आना चाहिए। सांसद एस टी हसन इससे पहले शहर के जिला अस्पताल में नए वेंटिलेटर की सौगात के लिए 14 लाख रुपये भी दे चुके हैं। जिससे अस्पताल में वेंटीलेटर लग सके और इमरजेंसी होने पर मरीज को शहर के बाहर किसी अन्य अस्पताल में नहीं जाना पड़े। बता दें कि, कोरोना के खतरे को भांपते हुए सांसद डॉ. एसटी हसन ने जिला अधिकारी को एक पत्र लिख उल्लेख किया था कि चिकित्सालय में वेंटिलेटर की जरूरत है जो के 14,00,000 में आ पाएंगे इसलिए 10 लाख की राशि को बढ़ाकर 14 लाख की राशि जिला चिकित्सालय को सांसद विकास निधि से दी जाए।
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Monday, March 30, 2020
Saturday, March 28, 2020
मरीजों की संख्या बढ़कर हुई 979, अब तक 25 की मौत, 87 लोग हुए ठीक
देश में कोरोनावायरस के मरीजों का आंकड़ा 979 तक पहुंच गया है. वहीं अब तक 25 मरीजों की मौत हो चुकी है. राहत वाली बात ये है कि 87 मरीज ठीक भी हो चुके हैं.अब तक मिल रही जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब, केरल, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, बिहार में एक-एक मरीजों की मौत हुई हैं. वहीं महाराष्ट्र में 6, मध्य प्रदेश में 2, कर्नाटक में 3 और गुजरात में 5 मरीजों की मौत हुई है. इन आंकड़ों से जाहिर है कि आज सुबह ही 61 नए मरीजों की पुष्टि हो चुकी है. उधर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी और केंद्रीय औद्योगिक सुरबक्षा बल (सीआईएसएफ) के एक जवान में शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई. ये अर्धसैनिक बलों में इस बीमारी के शुरुआती मामले हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. बीएसएफ का यह अधिकारी (57) मध्यप्रदेश के ग्वालियर में टकनपुर इलाके में बल की अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में तैनात है. अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित अधिकारी के उनके परिवार के एक सदस्य से संक्रमित होने का संदेह है. यह सदस्य हाल ही में ब्रिटेन से लौटा था. एक अधिकारी ने बताया कि सेंकेंड इन कमांड रैंक के इन अधिकारी को एक स्थानीय अस्पताल मे भर्ती कराया गया है. दो दर्जन से अधिक अधिकारी उनके संपर्क में आये थे जिन्हें पृथक कर दिया गया है. सीआईएसएफ के एक हेड कांस्टेबल को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया. वह मुम्बई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात है. अधिकारियों के अनुसार उन्हें एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। संभवत: व्यस्त हवाई अड्डे पर तैनात रहने के दौरान वह संक्रमित हो गये।
कोरोना से बड़ी जंग, इन चीजों का रखें पूरा ध्यान
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की है लेकिन कहीं ऐसा न हो कि हमारी लापरवाही की वजह से यह योजना विफल हो जाए। जाहिर सी बात है कि बड़े आर्थिक रिस्क को उठाकर 21 दिनों के लॉकडाउन के का फैसला किया गया है। जरूरी सामानों की आपूर्ति के लिए राज्य सरकारों ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। इसके साथ ही खाने-पीने के जरूरी सामान की दुकानें खुली हुई हैं। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकारी कदमों के अलावा जनता के सपॉर्ट की बेहद जरूरी है। कोशिश यही करनी चाहिए कि घर के अंदर ही रहें लेकिन अगर किसी सामान की बेहद जरूरी हो तो उसे खरीदते समय भी सावधानी बरतनी जरूरी है।
कोशिश करें कि जरूरत का सामान हेल्पलाइन पर फोन करके मंगवाएं और स्टोर पर जाने से बचें। स्टोर पर दिनभर में बहुत सारे लोग आते हैं। ऐसे में लेनदेन की प्रक्रिया में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। बिग बाजार और अन्य स्टोर वॉट्सऐप या फोन नंबर पर ऑर्डर ले रहे हैं। अगर आपके घर डिलिवरी बॉय आता है तो भी आपको सतर्क रहने की जरूरत है। सामान लेने से पहले हाथ को साबुन से धोएं या फिर सैनिटाइजर का उपयोग करें। सामान को सुरक्षित रखने के बाद भी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
अगर कोई आवश्यक सामान लेने के लिए आपको बाहर जाना पड़ता है तो मास्क लगाना न भूलें। साथ ही जाने से पहले और आने के बाद अपने हाथ ठीक से साफ करें। बाजार या दुकान पर पहुंचने के बाद भी सोशल डिस्टैंसिंग का पूरा खयाल रखें। अगर भीड़ दिखे तो दूर खड़े रहकर ही अपनी बारी का इंतजार करें। दुकानदार से भी कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें। हो सके तो पेमेंट डिजिटल ट्रांजैक्शन के जरिए करें। नकदी के ज्यादा लेनदेन से भी संक्रमण का खतरा होता है। हालांकि अगर हाथ को ठीक से साफ कर लिया जाए तो बचाव किया जा सकता है। इस लिहाज से भी डिजिटल ट्रांजैक्शन अच्छा होता है क्योंकि आप कैश निकालने के लिए एटीएम जाने से बच जाएंगे। अगर आपको मजबूरी में एटीएम तक जाना भी पड़ता है तो हाथों की सफाई का पूरा ध्यान रखें।
अगर आप दूध, ब्रेड या राशन लेने जाते हैं तो अपना कपड़े का थैला साथ रखें। एक तो यह पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से अच्छा है दूसरा इससे संक्रमण का खतरा कम होता है। रास्ते में ज्यादा मिलने-जुलने के चक्कर में न पड़ें। मास्क लगाने से आपको दोगुना फायदा हो सकता है। वह ऐसे कि यह आपको संक्रमण से बचाएगा और आपको लोग आसानी से पहचान भी नहीं पाएंगे। दुकान से लौटने के बाद कपड़े के थैले को भी गरम पानी से धुलें। इसके अलावा अपने हाथों को ठीक से साफ करें।
कोशिश करें कि जरूरत का सामान हेल्पलाइन पर फोन करके मंगवाएं और स्टोर पर जाने से बचें। स्टोर पर दिनभर में बहुत सारे लोग आते हैं। ऐसे में लेनदेन की प्रक्रिया में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। बिग बाजार और अन्य स्टोर वॉट्सऐप या फोन नंबर पर ऑर्डर ले रहे हैं। अगर आपके घर डिलिवरी बॉय आता है तो भी आपको सतर्क रहने की जरूरत है। सामान लेने से पहले हाथ को साबुन से धोएं या फिर सैनिटाइजर का उपयोग करें। सामान को सुरक्षित रखने के बाद भी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
अगर कोई आवश्यक सामान लेने के लिए आपको बाहर जाना पड़ता है तो मास्क लगाना न भूलें। साथ ही जाने से पहले और आने के बाद अपने हाथ ठीक से साफ करें। बाजार या दुकान पर पहुंचने के बाद भी सोशल डिस्टैंसिंग का पूरा खयाल रखें। अगर भीड़ दिखे तो दूर खड़े रहकर ही अपनी बारी का इंतजार करें। दुकानदार से भी कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें। हो सके तो पेमेंट डिजिटल ट्रांजैक्शन के जरिए करें। नकदी के ज्यादा लेनदेन से भी संक्रमण का खतरा होता है। हालांकि अगर हाथ को ठीक से साफ कर लिया जाए तो बचाव किया जा सकता है। इस लिहाज से भी डिजिटल ट्रांजैक्शन अच्छा होता है क्योंकि आप कैश निकालने के लिए एटीएम जाने से बच जाएंगे। अगर आपको मजबूरी में एटीएम तक जाना भी पड़ता है तो हाथों की सफाई का पूरा ध्यान रखें।
अगर आप दूध, ब्रेड या राशन लेने जाते हैं तो अपना कपड़े का थैला साथ रखें। एक तो यह पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से अच्छा है दूसरा इससे संक्रमण का खतरा कम होता है। रास्ते में ज्यादा मिलने-जुलने के चक्कर में न पड़ें। मास्क लगाने से आपको दोगुना फायदा हो सकता है। वह ऐसे कि यह आपको संक्रमण से बचाएगा और आपको लोग आसानी से पहचान भी नहीं पाएंगे। दुकान से लौटने के बाद कपड़े के थैले को भी गरम पानी से धुलें। इसके अलावा अपने हाथों को ठीक से साफ करें।
Wednesday, March 25, 2020
कोरोना का पता नहीं, लेकिन खाना न मिला, तो भूख से मर जाएंगे : लॉकडाउन में किल्लत झेल रहे मजदूर
दिल्ली-NCR समेत पूरे भारत देश में कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण से एक ओर सैकड़ों लोग बीमार और कुछ लोगो की मौते भी हो रही है, जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है. लेकिन इसके रोकथाम के दौरान दूसरी ओर बेरोजगार मजदूर तबके को किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिलने के कारण अब राजधानी दिल्ली में भूख से एक ही जगह पर लगभग 150 से ज्यादा मजदूर परिवार और उनके बच्चे भूख से परेशान हैं जिसे देखने वाला कोई नहीं.
साउथ दिल्ली के छत्तरपुर स्थित फतेहपुर बेरी के चंदन होला इलाके में मजदूरों का घर है. घर के बाहर हाथ जोड़ खड़े ये महिला मजदूर, पुरुष मजदूर और उनके बच्चे हैं. इनकी माने तो ये सभी लोग पिछले 4 दिनों से कुछ भी नही खाया है. इनका कहना है ये सभी रोजाना कमाते थे और अपने परिवार का पालन पोषण करते थे. बंदी के दौरान जो पैसे बचे थे, उससे एक-दो दिन तो किसी तरह गुजारा चला लिए लेकिन अब न घर में कुछ भी खाने को है और न ही पैसे. इनका कोई राशन कार्ड नहीं है. ये तो यूपी और बिहार से आकर रोजाना मजदूरी कर अपना और अपने बच्चों के पेट को पाल रहे थे. दिल्ली में जनता कर्फ्यू के बाद लॉकडाउन से अब ये अपने गांव भी नहीं जा सकते हैं और न कोई काम कर सकते हैं. इन लोगों के पास पैसे भी नहीं है कि खाने का सामान खरीद सके.
एक बच्चे द्वारा रोते हुए ये कहना कि मैं 4 दिनों से भूखा हूं मुझे खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल रहा है. पिताजी मार्केट में जाते हैं तो पुलिस वाले उनको मारकर भगा देते हैं. नौकरीपेशा वाले को तो उनकी सैलरी उनके एकाउंट में पहुंच जायेगी पर वो लोग जो रोज कमाते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण करतें है उनका क्या. कुछ मजदूर हैं जिनके पास राशनकार्ड है तो उन्हें तो राशन मिल जाएगी लेकिन वो मजदूर जिनके पास कोई राशनकार्ड नहीं है वो क्या खायेंगे, इसपर सरकार ने कुछ भी नहीं किया. यहां के स्थानीय पार्षद, विधायक और सांसद के द्वारा अभी तक कोई मदद नहीं मिली है ये लोग संक्रमण से बाद में मरेंगे पहले भूख से मर जायेगे. आज दिल्ली में 7वां दिन हो गया आज तक इन लोगों के पास नहीं तो कोई सरकारी कर्मचारी न ही किसी एनजीओ ने संपर्क किया. ये सभीलोग हाथ जोड़कर मीडिया के सामने विनती कर रहे हैं कि सर आप ही कुछ कीजिए. Report@NDTV
PM की अपील पर रेलवे ने भी बढ़ाया Lockdown, 14 अप्रैल तक सभी यात्री ट्रेनें रद
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के मद्देनजर सभी यात्री ट्रेनें अब 14 अप्रैल तक रद कर दी गई हैं। रेल मंत्रालय ने दी जानकारी। रेलवे बोर्ड की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। इससे पहले रेलवे बोर्ड की बैठक के बाद रेल मंत्रालय ने 22 मार्च मध्यरात्रि से 31 मार्च तक सभी ट्रेनें रद करने का फैसला किया था। आदेश में कहा गया था कि इस दौरान केवल मालगाड़ी ही चलेंगी। अभी भी मालगाड़ियों के आवागमन पर रोक नहीं लगाई गई है। यानी देश के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए माल गाड़ियों की आवाजाही जारी रहेगी। प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि सभी मेल, एक्सप्रेस एवं पैसेंजर ट्रेनें, उपनगरिय ट्रेनें 14 अप्रैल तक रद रहेंगी। रद ट्रेनों में प्रिमियम ट्रेनें भी शामिल की गई हैं। जारी निर्देश में कहा गया है कि सभी जोनल रेलवे सख्ती से इस आदेश का पालन कराएं। यही नहीं अधिकारियों से अनुपालन की रिपोर्ट को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से लोगों को इसकी जानकारी देने का आदेश दिया है, ताकि यात्रियों और आम लोगों को उक्त आदेश के बारे में जानकारी हो सके।
ज्ञात हो कि पूर्व में ट्रेनें निरस्त करने के बाद रेलवे ने यात्रियों को सहूलियत दी थी कि उनके टिकट का पूरा किराया वापस दिए जाने के साथ-साथ ट्रेनें छूटने की तिथि से 45 दिन तक टिकट रद हो सकेगा। रेलवे की ओर से जारी मौजूदा आदेश के बाद तमाम लोग अपने रेल टिकट कैंसल करा रहे हैं। इस बीच इंडियन रेल कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) ने लोगों से अपील की है कि वे ट्रेन रद होने की स्थिति में साइट के जरिए अपने ई-टिकट को खुद रद न करें। IRCTC के मुताबिक, इससे उन्हें नुकसान हो सकता है। बता दें कि यदि ट्रेन को रेलवे/सरकार की तरफ से रद किया गया है तो ई-टिकट पर रिफंड पूरा मिलेगा और आपका टिकट स्वत: रद भी हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल मंगलवार अभूतपूर्व कदम उठाते हुए देश भर में 21 दिनों का संपूर्ण लॉकडाउन करने का एलान कर दिया। इसके तहत भारत के सभी गांव, शहरों, मुहल्लों में आधी रात के बाद से ही लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। लॉकडाउन का उल्लंघन कर लापरवाही बरतने वालों को चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21 दिनों का यह संपूर्ण लॉकडाउन कर्फ्यू जैसा ही होगा। माना जा रहा है कि इस घोषणा के मद्देनजर ही रेलवे ने यह कदम उठाया है।
ज्ञात हो कि पूर्व में ट्रेनें निरस्त करने के बाद रेलवे ने यात्रियों को सहूलियत दी थी कि उनके टिकट का पूरा किराया वापस दिए जाने के साथ-साथ ट्रेनें छूटने की तिथि से 45 दिन तक टिकट रद हो सकेगा। रेलवे की ओर से जारी मौजूदा आदेश के बाद तमाम लोग अपने रेल टिकट कैंसल करा रहे हैं। इस बीच इंडियन रेल कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) ने लोगों से अपील की है कि वे ट्रेन रद होने की स्थिति में साइट के जरिए अपने ई-टिकट को खुद रद न करें। IRCTC के मुताबिक, इससे उन्हें नुकसान हो सकता है। बता दें कि यदि ट्रेन को रेलवे/सरकार की तरफ से रद किया गया है तो ई-टिकट पर रिफंड पूरा मिलेगा और आपका टिकट स्वत: रद भी हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल मंगलवार अभूतपूर्व कदम उठाते हुए देश भर में 21 दिनों का संपूर्ण लॉकडाउन करने का एलान कर दिया। इसके तहत भारत के सभी गांव, शहरों, मुहल्लों में आधी रात के बाद से ही लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई है। लॉकडाउन का उल्लंघन कर लापरवाही बरतने वालों को चेतावनी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21 दिनों का यह संपूर्ण लॉकडाउन कर्फ्यू जैसा ही होगा। माना जा रहा है कि इस घोषणा के मद्देनजर ही रेलवे ने यह कदम उठाया है।
Tuesday, March 24, 2020
घर में रहें, सुरक्षित रहें : 900 से ज्यादा लोगों पर IPC और DP Act के तहत कार्यवाही
दिल्ली की जनता से अनुरोध है कि #Lockdown का सख्ती से पालन करें। आप की जानकारी के लिए, कल हमने लॉकडाउन का उल्लघंन करने वाले 900 से ज्यादा लोगों पर IPC और DP Act के तहत कार्यवाही की है। घर में रहें, सुरक्षित रहें।
Monday, March 23, 2020
दिल्ली में कोरोना वायरस: शाहीन बाग खाली, पुलिस ने टेंट हटा सड़क खाली करवाई
नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ 15 दिसंबर से शाहीन बाग में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हटाना दिया है। दिल्ली और नोएडा को जोड़नेवाली इस सड़क पर लगे टेंट को भी हटाया गया। कोरोना वायरस के खतरे के बावजूद ये लोग धरने पर थे। कोरोना की वजह से दिल्ली समेत पूरा भारत लॉकडाउन है। बावजूद इसके मंगलवार को महिलाएं फिर से जुटने लगीं। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को हटा वहां से टेंट उखाड़ दिया गया। साथ ही कुछ को हिरासत में भी लिया गया। शाहीन बाग में महिलाएं पिछले 100 दिनों से धरने पर बैठी थीं। इसपर जॉइट सीपी देवेश श्रीवास्तव ने कहा, 'कोरोना वायरस के बढ़ने के कारण लोगों से अपील की जा रही थी। लोकल भी हमसे मांग कर रहे थे। आज सुबह हमने इस कार्रवाई की शुरुआत की सात बजे। शुरुआत में कुछ शरारती तत्व माहौल को बिगाड़ना चाहते थे। वे नहीं माने, तो उन्हें हिरासत में लिया गया है।' जॉइंट सीपी ने बताया कि करीब 10 से 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है। विरोध करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। देवेश श्रीवास्तव ने आगे कहा कि हमारा मकसद इलाके में शांति बहाल करना है। कोरोना को लेकर सख्त आदेश थे कि भीड़ जमा न हो। फिलहाल पुलिस ने धरने वाली जगह से टेंट पूरी तरह हटा दिया है। कोरोना वायरस के मद्देनजर दिल्ली में धारा 144 लागू है। इसके बावजूद वहां कुछ प्रदर्शनकारी जुटे हुए थे। एक पुलिसर्मी ने बताया कि सुबह भी काफी महिलाएं धरने पर बैठी हुईं थी। हमने उनसे कहा कि 144 लगाई गई है, इसलिए धरने को खत्म कर दें। लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद पुलिस को बलपूर्वक उनको हटाना पड़ा। इससे पहले पुलिस ने 31 मार्च तक सिर्फ चार लोगों को बैठने की इजाजत दी थी। यह भी कहा गया था कि चार से फालतू वहां जो भी दिखा उसे अरेस्ट कर लिया जाएगा। प्रदर्शनकारियों को भी अलग-अलग बैठने को कहा गया था। Report@NBT
कोरोना वायरस दिल्ली लॉकडाउन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदेश की जनता से सहयोग की अपील
कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के चलते आज (सोमवार) से दिल्ली लॉकडाउन (Delhi Lockdown) हो गई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने प्रदेश की जनता से सहयोग की अपील करते हुए एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, 'आज से दिल्ली में लॉकडाउन शुरू. मेरे दिल्लीवासियों, आपने व्यक्तिगत परेशानी उठाकर पल्यूशन को हराने के लिए Odd Even कर दिखाया. आपने डेंगू के खिलाफ महा अभियान को अपनाया. मुझे विश्वास है Covid-19 से अपने परिवार को बचाने के लिए आप लॉकडाउन में भी अपना सहयोग दे कर इस लड़ाई को जीतेंगे.' केजरीवाल के इस ट्वीट पर लोग कमेंट कर उन्हें सहयोग देने की बात कह रहे हैं. दिल्ली सरकार ने आश्वस्त किया है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को उनकी जरूरत का सामान मिलने में जरा भी तकलीफ नहीं होगी.
Sunday, March 22, 2020
केजरीवाल सरकार ने 31 मार्च तक दिल्ली को किया लॉकडाउन
कोरोना का कहर जारी, केजरीवाल सरकार ने 31 मार्च तक दिल्ली को किया लॉकडाउन, दिल्ली, लॉकडाउन दिल्ली के बॉर्डर सील रहेंगे,ट्रेनों की आवाजाही बंद, हवाई अड्डे भी बंद, प्राइवेट बस, वाहन आदि भी बंद, DTC की 25% बसें चलेंगी.सभी निर्माण कार्य बंद आवश्यक वस्तुओं ज़रूरतों को छोड़ सभी बाज़ार, दुकानें इंडस्ट्री बंद धारा 144 लागू. लॉक डाउन के दौरान निम्न सुविधाएं जारी रहेगी:- स्वास्थ्य सुविधाएं, किराने तथा फल सब्जियों की दुकानें, दूध के काउंटर्स, एलपीजी सप्लाई, बैंक/एटीएम, दूरसंचार सुविधाएं, इ कॉमर्स, खाने की डिलिवरी, सीमित परिवहन के साधन
Saturday, March 21, 2020
कोरोना के खतरे को देखते हुए रेलवे कर सकता है बड़ा फैसला, 25 मार्च तक नहीं चलेंगी ट्रेनें: सूत्र
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए रेलवे बड़ा फैसला लेने पर विचार कर रहा है. सूत्र के मुताबिक, भारतीय रेल सभी ट्रेनों के परिचालन पर 25 मार्च तक के लिए रोक लगा सकता है. सूत्र ने कहा कि अभी केवल 400 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं. ये ट्रेनें एक बार मंजिल पर पहुंचकर बंद हो जाएंगी. उसके बाद एक भी ट्रेन नहीं चलेगी. जानकारी के अनुसार, सभी बड़े स्टेशनों को खाली किया जाएगा. रेलवे बोर्ड रविवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है. रेलवे बोर्ड 25 मार्च को समीक्षा करेगा कि इस व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाए या नहीं.
बता दें कि कोरोना वायरस को लेकर देश में मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भारत में अब तक कोरोना वायरस से 324 मामले सामने आए हैं. आज 9 मामले बढ़े हैं. कोरोना मामलों की संख्या में एक दिन में 79 की बढ़ोतरी हुई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि शनिवार को रात 10 बजकर 45 मिनट 315 मामलों में 22 लोग इस बीमारी से ठीक हो गए हैं. दुनियाभर में 3 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और करीब 13,000 लोगों की मौत हो चुकी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार रात को शहर से गांव लौट रहे लोगों से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि कोरोना के भय से मेरे बहुत से भाई-बहन जहां रोजी-रोटी कमाते हैं, उन शहरों को छोड़कर अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं. भीड़भाड़ में यात्रा करने से इसके फैलने का खतरा बढ़ता है. आप जहां जा रहे हैं, वहां भी यह लोगों के लिए खतरा बनेगा. आपके गांव और परिवार की मुश्किलें भी बढ़ाएगा. उन्होंने आगे लिखा, "मेरी सबसे प्रार्थना है कि आप जिस शहर में हैं, कृपया कुछ दिन वहीं रहिए. इससे हम सब इस बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं. रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर भीड़ लगाकर हम अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. कृपया अपनी और अपने परिवार की चिंता करिए, आवश्यक न हो तो अपने घर से बाहर न निकलिए." Report@NDTV
कोरोना के दहशत के बीच भूकंप के तेज झटके
कोरोना वायरस के दहशत के बीच आज छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से बस्तर और सुकमा जिलों के कुछ हिस्सों में शनिवार को भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। वहीं, ओडिशा के मलकानगिरी इलाके में भूकंप से लोग समह गए। हालांकि, अभी तक किसी के हताहत होने या संपत्ति को नुकसान की कोई खबर नहीं है। छत्तीसगढ़ के मौसम केंद्र के विज्ञानी ने बताया कि आज सुबह करीब 11:15 बजे बस्तर और पड़ोसी सुकमा जिले में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप का केंद्र जगदलपुर से 42 किमी दूर दक्षिण-पूर्व में छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा के करीब था। उन्होंने बताया कि भूकंप के झटके के बाद लोग घबराकर अपने घरों से बाहर निकल गए थे। इधर स्थानीय प्रशासन के अनुसार, अब तक किसी भी तरह के जानमाल की हानि नहीं हुई है। अधिकारियों को स्थिति पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है। वहीं, वहीं, ओडिशा में भी आज भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। हालांकि, इस भूकंप में किसी तरह के जानमाल की नुकसान की खबर नहीं है। बताया जा रहा है कि भूकंप ओडिशा के मलकानगिरी इलाके में आया। ओडिशा में मल्कानगिरी के जिला कलक्टर मनीष अग्रवाल ने बताया कि राज्य में संपत्ति को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन मल्कानगिरि की कुछ इमारतों में दरार आ गई। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप के झटके खैरापुट और मथिली प्रखंड में महसूस किए गए। Report@Hindustan
Friday, March 20, 2020
गरीबी में पढ़ाई करके बनीं वकील, सीमा कुशवाहा ने निर्भया को न्याय दिलाकर लिया दम
निर्भया रेप केस में आखिरकार दोषियों को फांसी पर लटका ही दिया गया। इस पूरे केस में सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा कुशवाहा की जमकर तारीफ हो रही है। सीमा कुशवाहा ने ही निर्भया का केस लड़ा और दोषियों को उनके किए की सजा दिलाकर ही दम लिया। उत्तर प्रदेश के इटावा की रहने वाली सीमा कुशवाहा आज सबसे ज्यादा चर्चा का विषय हैं लेकिन एक वक्त पर उन्होंने बड़ी गरीबी में दिए बिताए और किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी की। आइए जानते हैं सीमा कुशवाहा के इस संषर्ष भरे जीवन के बारे में... वैसे तो इटावा जिले का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जिसने बुलंदी के झंडे न गाड़े हों। इसी श्रंखला में अब सुप्रीम कोर्ट की युवा वकील सीमा कुशवाहा का नाम भी जुड़ गया। एक छोटे से गांव में अभावों के बीच पढ़ी-पली सीमा ने निर्भया के दरिंदों को फांसी दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। आखिरकार सीमा कुशवाहा को जीत हासिल हुई और चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया। बेटी की इस कामयाबी पर सबसे ज्यादा उनकी मां रामकुअरी खुश हैं। वह कहती हैं कि अब बेटियों को जुल्म के खिलाफ ऐसे ही सीना तानकर खड़ा होना चाहिए। भाई प्रहलाद सिंह और अन्य परिजन भी निर्भया के दोषियों को फांसी मिलने और सीमा कुशवाहा के योगदान पर काफी खुश हैं। सीमा कुशवाहा ने आज जो मुकाम हासिल किया है, उसके लिए उन्होंने लंबी जद्दोजहद की है। बेहद गरीब परिवार की सीमा कुशवाहा ने अभावों के बीच पढ़ाई की। उनमें शुरू से ही ललक थी इसलिए सीमा ने कभी हारना नहीं सीखा। मां कहती हैं कि पढ़ाई के लिए तो वह कितने भी दुख-दर्द उठा लेती थी। शुरू की शिक्षा गांव और आसपास ही हुई। इसके बाद वह लखना कस्बे के कलावती रामप्यारी स्कूल में पढ़ने गईं और वहां से इंटर की पढ़ाई पूरी की। अजीतमल पीजी कॉलेज गईं। सात-भाई बहनों में सीमा सबसे छोटी हैं। अजीतमल पीजी कॉलेज के बाद सीमा कुशवाहा कानपुर गईं और वहां के डीएवी कॉलेज से लॉ किया। लॉ करने के बाद वह कुछ समय हाई कोर्ट इलाहाबाद गईं। आर्थिक तंगी के चलते प्रौढ़ शिक्षा विभाग में अनौपचारिक शिक्षक के रूप में संविदा पर नौकरी भी की। फिर साहस किया और 2012 में सुप्रीम कोर्ट चली गईं। सीमा ने वहीं मास कम्युनिकेशन की भी पढ़ाई की। सीमा कुशवाहा ने निर्भया केस के दरिंदों को सजा दिलाने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगा दी। कानून के क्षेत्र में तमाम तिकड़मबाजी और तर्क-वितर्क से भरा यह केस आखिरी रात तक चला। आखिरकारी निर्भया के दरिंदों को फांसी मिली और सीमा कुशवाहा की की जीत हुई। एक प्रख्यात वकील के रूप में आज सीमा की समृद्धि दुनियाभर में बढ़ गई है। Report@NBT
निर्भया : साकेत सेलेक्ट सिटी मॉल में दोस्त के साथ’ मूवी देखने के बाद छात्र और उसका दोस्त ऑटो से रात नौ बजे मुनिरका पहुंचे थे: रूह कंपाने वाली 16 दिसंबर की काली रात की दास्तां
नई दिल्ली: वह 16 दिसंबर 2012 की तारीख और दिन रविवार था। शाम को साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में दोस्त के साथ ‘लाइफ ऑफ पाई’ मूवी देखने के बाद 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी की छात्र और उसका दोस्त ऑटो में बैठकर रात नौ बजे मुनिरका पहुंचे थे। यहां बस स्टैंड के पास दोनों बस का इंतजार कर रहे थे। तभी 9.15 बजे आइआइटी की तरफ से सफेद रंग की लग्जरी बस इनके पास आकर रुक गई। बस के परिचालक ने महिपालपुर, धौलाकुआं, द्वारका की आवाज लगानी शुरू कर दी थी। दोनों की नजर जब बस पर पड़ी तब परिचालक ने बहन जी कहते हुए उन्हें बस में आ जाने को कहा था। इस पर दोनों बस में सवार हो गए थे। उनके बस में सवार होते ही परिचालक ने दरवाजा बंद कर दिया और चालक बस लेकर चल पड़ा था। अंदर घुसने पर दोनों ने देखा कि बस में चालक समेत छह लोग सवार थे। पीड़िता के दोस्त से 20 रुपये किराया वसूलने के बाद एक आरोपित ने उससे कहा था कि वह इतनी रात को लड़की को लेकर कहां जा रहा है। इस पर उसके दोस्त ने कहा था कि उसे क्या मतलब है। इसी बात पर बहस शुरू हुई थी। इसके बाद दरिंदों ने युवती से छेड़खानी शुरू कर दी थी। विरोध जताने पर एक ने केबिन से रॉड निकाल युवती के दोस्त के सिर पर वार कर दिया। युवती को पीछे की सीट पर ले जाकर दरिंदों ने जब उसकी अस्मत लूटनी शुरू की तब घायल होकर भी उसके दोस्त ने युवती को बचाने की भरपूर कोशिश की। लेकिन उसे युवती तक पहुंचने नहीं दिया और पिटाई करते रहे। उधर, दोस्त को पिटने से बचाने के लिए युवती ने दरिंदों को दांत से काटा और उनके चंगुल से खुद को छुड़ा कर दोस्त के पास जाने की कोशिश की। चलती बस में युवती की अस्मत लूटी जाती रही। दोनों शोर मचाते, कराहते और चिल्लाते रहे। इस बीच बस ने करीब 24 किलोमीटर की दूरी तय की थी। मुकेश बस को लेकर महिपालपुर रोड एनएच-8 से यू टर्न लेकर द्वारका रूट पर गया था और फिर वापस महिपालपुर आ गया था। इसके बाद दरिंदों ने होटल एरिया के सामने चलती बस के अगले गेट से दोनों को नीचे फेंक दिया था और फरार हो गए। ठंड में दोनों को निर्वस्त्र कर बस से नीचे फेंक देने पर युवती अर्धबेहोशी की हालत में पहुंच गई थी। क्योंकि दोनों करीब 20 मिनट तक ठिठुरते रहे थे। तभी वहां से जीप से गुजर रहे इगिस कंपनी के पेट्रोलिंग ऑफिसर की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने पुलिस को सूचना दी। इगिस कंपनी नेशनल हाइवे की सिक्योरिटी देखती थी। 10.22 बजे पहले दिल्ली कैंट थाने को सूचना मिली कि महिपालपुर से दिल्ली कैंट की तरफ आने पर जीएमआर कंपनी के गेट के सामने एक लड़का व एक लड़की बिना कपड़ों के बैठे हुए हैं और लोगों की भीड़ लगी है। थाने की पुलिस जब पहुंची तब तक पीसीआर के कर्मी दोनों को सफदरजंग अस्पताल पहुंचा चुके थे। पीसीआर को लगा कि वह साउथ वेस्ट का इलाका है, इसलिए उन्होंने सफदरजंग पहुंचा दिया था। अस्पताल से साढ़े 11 बजे वसंत विहार पुलिस को सूचना मिली कि इलाका उनका लगता है। इसके बाद 11.35 बजे तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा टीम के साथ अस्पताल पहुंची थीं। रात को ही पूरी दक्षिण जिला पुलिस को बुलाकर तफ्तीश शुरू कर दी गई थी। सुबह होते ही घटना ने इतना तूल पकड़ा कि सरकार व दिल्ली पुलिस का सिर शर्म से झुक गया था। युवती को नग्न हालत में देखकर पीसीआर कर्मियों को समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें जिप्सी में कैसे बिठाएं। क्योंकि जिप्सी में कंबल नहीं था, जिससे युवती को लपेट दिया जाता। पीसीआर कर्मियों को पहले एक होटल से चादर लेनी पड़ी। उसके बाद युवती को ढककर अस्पताल ले जाया गया। काफी देर तक ठंड में पड़े रहने के कारण युवती की हालत ज्यादा बिगड़ गई थी। सफदरजंग अस्पताल में ऑपरेशन भी ठीक से न होने की बात सामने आई थी। इन्हीं कारणों से सिंगापुर के डॉक्टर भी उनकी जान नहीं बचा पाए और 29 दिसंबर 2012 को युवती ने दुनिया को अलविदा कह दिया था
Thursday, March 19, 2020
आखिरकार हुआ इंसाफ, फांसी पर लटकाए गए निर्भया के दोषी
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई. इसके साथ ही देश को झकझोर देने वाले, यौन उत्पीड़न के इस भयानक अध्याय का अंत हो गया. मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी के फंदे पर लटकाया गया. इस मामले की 23 वर्षीय पीड़िता को ‘‘निर्भया'' नाम दिया गया था जो फिजियोथैरेपी की छात्रा थी. तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, ‘‘डॉक्टरों ने शवों की जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया.'' जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे जो जेल नियमावली के अनुसार फांसी के बाद की अनिवार्य प्रक्रिया है. दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई. इस जेल में 16,000 से अधिक कैदी हैं. चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और बृहस्पतिवार की रात तक इस मामले की सुनवाई चली. सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन फांसी टलती गई. अंतत: आज सुबह चारों दोषियों को फांसी दे दी गई. आखिरी पैंतरा चलते हुए एक दोषी ने दिल्ली उच्च न्यायालय और फांसी से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. फांसी से कुछ घंटों पहले पवन कुमार गुप्ता ने राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया. अभूतपूर्व रूप से देर रात ढाई बजे सुनवाई शुरू हुई और एक घंटे तक चली. उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने उसकी याचिका खारिज करते हुए फांसी का रास्ता साफ कर दिया.न्यायालय ने गुप्ता और अक्षय सिंह को फांसी से पहले अपने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करने की अनुमति देने पर भी कोई आदेश देने से इनकार कर दिया.
सात साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अपनी बेटी को आखिरकार न्याय मिलने से राहत महसूस कर रहे निर्भया के माता-पिता ने कहा कि वे ‘‘भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई'' जारी रखेंगे. निर्भया की मां आशा देवी ने फांसी के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें आखिरकार न्याय मिला. हम भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. न्याय में देरी हुई लेकिन न्याय मिला.' उन्होंने कहा कि दोषियों की फांसी के बाद अब महिलाएं निश्चित तौर पर सुरक्षित महसूस करेंगी. उन्होंने कहा कि पूरा देश जाग रहा था और न्याय का इंतजार कर रहा था. तिहाड़ जेल के बाहर शुक्रवार तड़के ही सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए. उनके हाथों में राष्ट्रध्वज था और वे ‘अमर रहो निर्भया' और ‘भारत माता की जय' के नारे लगा रहे थे. जैसे ही फांसी हुई तो उनमें खुशी की लहर दौड़ पड़ी. चलती बस में निर्भया के साथ छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे बुरी तरह पीटा, घायल कर दिया और सर्दी की रात में चलती बस से नीचे सड़क पर फेंक दिया था. 16 दिसंबर 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश की आत्मा को झकझोर दिया था और निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे. करीब एक पखवाड़े तक जिंदगी के लिए जूझने के बाद अंतत: सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया ने दम तोड़ दिया था. Report@NDTV Photo@PunjabKesari
देश की जनसंख्या के 90 फीसद लोगों को जारी किया गया आधार
बायोमेट्रिक पहचान पत्र आधार (Aadhaar) अब देश की 90 फीसद से अधिक जनसंख्या के पास है। गुरुवार को संसद को उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, फरवरी के अंत तक देश के 90 फीसद से अधिक लोगों को आधार जारी किया जा चुका है। राज्य सभा में दिए लिखित जवाब में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि UIDAI शहरी और ग्रामीण आधार धारकों में भेद नहीं करता है, इसलिए इससे जुड़ी सूचना उपलब्ध नहीं है धोत्रे ने कहा, '29 फरवरी 2020 तक देश की जनसंख्या के 90.1 फीसद लोगों को आधार जारी किया जा चुका है।' उन्होंने कहा कि UIDAI देशवासियों की आर्थिक स्थिति के आंकड़े नहीं जुटाता है। एक अन्य प्रश्न कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों के पहचान के लिए निजी कंपनियों के साथ आधार के आंकड़े साझा किए जाते हैं कि नहीं, के जवाब में धोत्रे ने कहा कि UIDAI के संज्ञान में ऐसी कोई घटना नहीं आई है। उन्होंने कहा, 'UIDAI का डाटा पूरी तरह सुरक्षित और एनक्रिप्टेड है। UIDAI के पास मल्टी लेयर बेहतरीन सुरक्षा प्रणाली है और डेटा सिक्योरिटी तथा इंटीग्रिटी के लिए इसे लगातार अपग्रेड किया जाता है।' उन्होंने कहा कि आधार इकोसिस्टम का आर्किटेक्चर सुरक्षा और निजता को सुनिश्चित करता है, जो प्रारंभिक डिजाइन से लेकर अंतिम चरण तक सिस्टम का अहम हिस्सा है। कंप्रिहेंसिव इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी पॉलिसी एंड प्रोसीजर की नियमित तौर पर समीक्षा की जाती है साथ ही अपडेशन किया जाता है जो UIDAI परिसर के भीतर और बाहर लोगों, वस्तुओं और डाटा की गतिविधियों को निगरानी और नियंत्रण सुनिश्चित करता है। Report@Jagran
निर्भया मामला- सभी दोषियों की फांसी बरकरार, कोर्ट ने खारिज की याचिका
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के सभी दोषियों को याचिका खारिज कर दी है. निर्भया के दोषियों को कल सुबह साढ़े 5 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा. इससे पहले निर्भया में दोषी मुकेश की आखिरी चाल भी काम नहीं आई. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी अपने सारे कानून उपचारों का इस्तेमाल कर चुका है. बता दें, उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फांसी पर रोक की मांग की थी. मुकेश ने अपनी अर्जी में मांग की थी कि फांसी से पहले उसे किसी भी कोर्ट में याचिका दाखिल करने की इजाजत दी जाए. मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उसके साथ निष्पक्ष न्याय नहीं हुआ. साथ ही कहा था कि घटना के वक्त वो दिल्ली में मौजूद नहीं था बल्कि राजस्थान में था. मुकेश ने अपनी याचिका में डीएनए और आयरन रॉड दोनों ही थ्योरी पर सवाल उठाए थे. साथ ही कहा था कि इस मामले के दस्तावेज़, रिकॉर्ड और रिपोर्ट सीबीआई से जांच कराई जाए और कोर्ट उन्हें मंगाये. सुप्रीम ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने केस की मेरिट पर सवाल उठाए हैं यानी अभियुक्तों की चिकित्सा स्थिति के बारे में सबूतों पर कोई विचार नहीं किया गया. उसने करोली से आरोपी की गिरफ्तारी का संदेह जताया है. याचिकाकर्ता द्वारा सभी अवसरों और अपील की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, इस अदालत में दायर आपराधिक अपील को लम्बे समय तक सुना गया. आरोपी द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं पर विचार किया गया और अपील खारिज कर दी गई. अपील, पुनर्विचार और क्यूरेटिव याचिका खारिज की गईं. हमें अब इस जनहित याचिका के तहत मामले को दोबारा खोलने के लिए कोई आधार नहीं दिखता. Report@NDTV
Saturday, March 14, 2020
राजस्थान के जोधपुर में सड़क हादसे से 11 की मौत, 3 घायल
राजस्थान के जोधपुर में एक ट्रक और जीप की टक्कर में 11 लोगों की मौत हो गई है और 3 लोग घायल हुए है. घटना बालोत्रा-फलोदी हाइवे पर हुई है. इससे पहले 8 मार्च को जोधपुर- जयपुर राजमार्ग पर बिनवास गांव के पास रविवार की सुबह एक ट्रक और बस में हुई भिड़ंत के बाद बस में सवार दो महिलाओं समेत चार लोगों की मौत हो गई और 14 अन्य घायल हो गए थे. जोधपुर के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) राहुल बारहट ने कहा, 'बस जोधपुर से अजमेर जा रही थी और सामने से आते हुई एक ट्रक से उसकी भिड़ंत हो गई.' दुर्घटनास्थल के पास एक पुल निर्माणाधीन है. Report@ANI
Friday, March 13, 2020
हौजरानी गाँधी पार्क 50 दिन आंदोलन, सुरक्षा व्यवस्था सख्त
केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे अंदोलन का साथ देते हुए साउथ दिल्ली के मालवीय नगर हौजरानी गांधी पार्क में रोष प्रदर्शन के आज 50वें दिन बड़ी संख्या में बेटियों ने एकत्रित होकर महिला शक्ति का प्रदर्शन किया। ज्ञात रहे कि 23 जनवरी से हौजरानी गांधी पार्क में NRC, NPR, CAA, CAB के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था ठीक एक महीने बाद 23 फरवरी को जन विशाल रैली में हिंसा हुई जिसमें आम जनता और पुलिस कर्मी चोटिल हुय, उसके बाद इस गांधी पार्क के आंदोलन में राजनीति से जुड़े लोग सामने आने लगे और आम जनता कम होती गयी मगर 50वे दिन दिल्ली पुलिस की तरफ से गांधी पार्क में बड़ी संख्या में सुरक्षा व्यवस्था करि गयी वहीं कुछ अतिथियों ने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, दलित, सिख, इसाई एकता ही भारत की असल शक्ति है और केंद्र सरकार धर्म की राजनीति कर इसी शक्ति को तोड़ रही है। नाम न शो करने की शर्त पर मीडिया से बात करते हुय गाँधी पार्क में मौजूद लोगों ने कहा कि मोदी को चाहिए कि वह शरणार्थियों को नागरिकता देते समय अपने भारत के नागरिकों के सम्मान का भी ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि देश में कोई भी कानून किसी भी विशेष समुदाय के लिए नहीं बनाया जाना चाहिए। नफरत की राजनीति करने वालों को गाँधी पार्क द्वारा मुहब्बत का ही संदेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी को भड़काना उत्तेजित करना आसान काम है लेकिन सबको साथ लेकर चलना और एक दूसरे का सम्मान करना ही असल भारत की संस्कृति है, जिसे हम कभी नहीं छोडेंगे। देशभर में शाहीन बाग अंदोलन का हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और दलित भाइयों ने जो प्यार और साथ दिया है उसे इतिहास के पन्नों में सुनहरी अक्षरों से लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में से अगर धर्म का आधार हटा दिया जाए तो शरणार्थियों को नागरिकता तो मिल जाएगी, लेकिन इस नाम पर राजनीति करने वालों का विस्तरा भी गोल हो जाएगा, इसीलिए केंद्र की मोदी सरकार ने इस कानून को धर्म आधारित बनाया।
Yes Bank संकट के बाद RBL Bank ने दी सफाई, कहा हम वित्तीय रूप से मजबूत और पर्याप्त पूंजी है हमारे पास
निजी क्षेत्र के येस बैंक संकट के मद्देनजर निजी क्षेत्र के एक अन्य ऋणदाता आरबीएल बैंक ने बुधवार को कहा कि वह अच्छी तरह पूंजीकृत है और उसकी संपत्ति की गुणवत्ता में कोई प्रतिकूल बदलाव नहीं आया है। आरबीएल बैंक का यह बयान येस बैंक संकट के मद्देनजर आया है, जिसके बाद कई बैंकों के शेयरों में तेज गिरावट आई। आरबीएल बैंक ने एक बयान में कहा कि आरबीएल बैंक का प्रबंधन बैंक को लेकर चिंताओं को दूर करना चाहता है, जो गलत सूचनाओं पर आधारित हैं। बैंक ने बयान में आगे कहा कि हम इस बात पर फिर से जोर देना चाहते हैं कि आरबीएल बैंक बुनियादी रूप से एक मजबूत संस्थान है। खासतौर से सोशल मीडिया में संस्था की वित्तीय सेहत और स्थिरता को लेकर अफवाहें गलत हैं, गलत भावना से प्रेरित हैं और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। बैंक ने कहा कि वह अच्छी तरह पूंजीकृत है, उसके पास नकदी की स्थिति अच्छी है, वृद्धि जारी है और प्रबंधन पूरी तरह प्रतिबद्ध है। बैंक ने कहा कि 22 जनवरी 2020 को हमारे तीसरी तिमाही के वित्तीय परिणामों की घोषणा के बाद से परिसंपत्ति की गुणवत्ता में कोई प्रतिकूल बदलाव नहीं हुआ है। बैंक ने आगे कहा कि उसका पूंजी पर्याप्तता अनुपात 16.08 प्रतिशत और टियर-1 पूंजी 15.08 प्रतिशत है (जो निर्धारित नियामक आवश्यकता के मुकाबले काफी अधिक है)। शुरुआती कारोबार में आरबीएल के शेयर 10 प्रतिशत की तेजी के साथ 230.25 के भाव पर थे। बैंक के शेयर में पिछले दो कारोबारी सत्र के दौरान 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ चुकी है। Report@IndiaTv
हाईकोर्ट के बाद अब SC ने लगाई योगी सरकार को फटकार, कहा- किस कानून के तहत पोस्टर लगाए?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालो के पोस्टर लगाना भारी पड़ रहा है। हाईकोर्ट से पोस्टर हटाने का आदेश मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार से जवाब माँगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार करते हुए योगी सरकार से जवाब माँगा है कि किस कानून के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने पोस्टर लगाए है? सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुरक्षित रखते हुए इस मामले को बड़ी बेंच को भेज दिया है। अब इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने योगी सरकार के चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार को कानून के मुताबिक चलना चाहिए और इस समय कोई भी कानून उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम का समर्थन नहीं कर रहा है। आपको बता दे कि कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नागरिकता कानून का विरोध कर रहे लोगो के नाम,फोटो सहित पोस्टर लखनऊ के चौक चौराहे पर लगा दिए थे। जिसको लेकर मामला हाई कोर्ट पंहुचा तो वहा योगी सरकार से कोर्ट ने तुरंत पोस्टर हटाने का आदेश दिया तथा इस तरह की कार्यवाही को निजता का हनन माना जिसके बाद योगी सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन वहा भी इनको मुँह की खानी पड़ी। Report@BoltaHindustan
दिल्ली विधानसभा में NPR और NRC के खिलाफ प्रस्ताव पारित, केजरीवाल ने कहा- मेरी पूरी कैबिनेट के पास बर्थ सर्टिफिकेट नहीं
दिल्ली विधानसभा में आज नेशनस पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया. अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में अध्यक्ष से कहा कि ''अपनी नागरिकता साबित करने के लिए मेरे पास भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है. मेरी बीवी के पास भी नहीं है, मेरे मां-बाप के पास भी नहीं है. बस बच्चों के हैं. क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके परिवार को डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा? मेरी पूरी कैबिनेट के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है. अध्यक्ष महोदय आपके पास भी नहीं है.'' दिल्ली विधानसभा ने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ शुक्रवार को प्रस्ताव पारित किया. एनपीआर और एनआरसी पर चर्चा के लिए बुलाए गए एक दिवसीय विशेष सत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से इन्हें वापस लेने की अपील की. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों से कहा कि वे दिखाएं कि क्या उनके पास सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र हैं? केजरीवाल ने विधानसभा में विधायकों से कहा कि यदि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र हैं, तो वे हाथ उठाएं. इसके बाद दिल्ली विधानसभा के 70 सदस्यों में से केवल नौ विधायकों ने हाथ उठाए. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सदन में 61 सदस्यों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं। क्या उन्हें निरोध केंद्र भेजा जाएगा?''
दिल्ली विधानसभा में NCT दिल्ली की बैठक हुई. यह बैठक इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए की गई कि भारतीय संसद ने हाल ही में CAA के माध्यम से नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए हैं, जिसे 12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार किया गया था. इस तथ्य पर आगे ध्यान देते हुए कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को शुरू करने की कवायद बहुत जल्द शुरू होने वाली है, जिसमें 9 नए बिंदुओं पर डेटा प्राप्त करने का प्रस्ताव है. इस तथ्य पर ध्यान देना होगा कि जनता में आम धारणा है कि भारत सरकार जनता से अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगेगी और प्राप्त दस्तावेजों और नए एनपीआर के आधार पर एक नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) तैयार करेगी. Report@NDTV
Thursday, March 12, 2020
छतरपुर: सुमन कॉलोनी में सड़क की जर्जर हालत से लोगों की समस्याएं बढ़ीं
नई दिल्ली: छतरपुर क्षेत्र की सुमन कॉलोनी की मेन सड़क से स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं. ये सड़क छतरपुर की कई मुख्य कॉलोनियों को जोड़ती है. इस सड़क पर पानी भरने और बड़े-बड़े गड्ढों की वजह से आम जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं. साथ ही सड़क पर मार्किट होने से दुकानदारों को काफी नुकसान भी हो रहा है.
कई कॉलोनी को जोड़ती है ये सड़क: सुमन कॉलोनी की यह मुख्य सड़क कई कॉलोनियों को जोड़ती है जिसमें छतरपुर मेट्रो, छतरपुर भाटी की मेन रोड, छतरपुर गांव, राजपुर गांव, बिरला कॉलोनी, नंदा कॉलोनी, जेवीटीएस गार्डन, डीएलएफ, राम कॉलोनी, माता चौक शामिल हैं. सड़क की जर्जर हालत होने की वजह से यहां के लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस सड़क पर हजारों वाहन प्रतिदिन आवाजाही करते हैं. सड़क से ज्यादा समय लग जाता है: लोगों का कहना है कि अपने घर से छतरपुर मेन रोड तक पहुंचने में उन्हें 30 मिनट से एक घंटा लग जाता है. इतना ही नहीं उनका कहना है कि इस सड़क उनके लिए कई समस्याओं की जड़ बन गई हैं. लोगों का कहना है कि नाली और सीवर ना होने की वजह से सीवर का पानी सड़कों पर बढ़ जाता है. जिस से इस सड़क पर हमेशा पानी भरा रहता है. गंदगी होने की वजह से उन्हें कई बीमारियों का सामना भी करना पड़ रहा है. Report@Etv Bharat
Tuesday, March 10, 2020
दिल्ली दं’गे को ले तेजस्वी का PM मोदी पर ह’मला, पूछा- कपिल मिश्रा को क्यों दी ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं राष्ट्रीय जनता पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने दिल्ली दं’गे को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हम’ला बोला है. दंगे के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार बताते हुए तेजस्वी ने सवाल किया कि दं’गे भड़’काने वाले कपिल मिश्रा को वाई श्रेणी की सुरक्षा क्यों दी गई? तेजस्वी यादव ने दिल्ली में दं’गे के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि जो नेता दं’गा भ’ड़का रहा था, उसे केंद्र सरकार सुरक्षा दे रही थी. तेजस्वी ने भड़’काऊ बयान देने वाले कपिल मिश्रा को वाई श्रेणी की सुरक्षा देने पर सवाल उठाया. तेजस्वी ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रभावित परिवारों से मिलकर उनकी परेशानियों को समझा है. किंतु उनके बारे में क्या कहा जाए जो अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत करने पहुंच गए, लेकिन दं’गा पीडि़तों से मिलने नहीं गए. लोगों को बताना चाहिए कि दं’गा रोकने के लिए केंद्र सरकार ने क्या व्यवस्था की? Report@dailybihar
कविताः होली
भारत… यहां तो हर दिन होली है!
आतंकी खेलते हैं बेगुनाहों के खून से
तथाकथित गौ-रक्षक मुसलमानों के खून से
और ‘देशभक्त’ व ‘दंगाई’ अपनों का ही
लाल रंग बेरंग पानी में बहा देते हैं!
कोई सुबह ऐसी नहीं…
जब ख़बरों में छाया नोटों का रंग
या दहेज़ के सोने का पीलापन
किसी अभागिन की मांग के लाल रंग को
लाल लहू में तब्दील कर न बहता दिखे!
कोई खुद को केसरिया रंग में रंग
तिरंगे पर उन्माद का दाग़ लगा रहा
तो किसी की ज़िंदगी इस क़दर रंगीन है
कि दूसरे रंग की गुंजाइश ही नहीं!
महंगाई की पिचकारी से
कब के धुल चुके हैं…
ग़रीबों की ज़िन्दगी के सारे रंग !
इन बेचारों को तो होली के नज़राने के तौर पर
पीली-गुलाबी रंग की दाल भी नसीब नहीं…
किसी तरह रोज़ के चार दाने जुटा भी लें
तो पकाने को क़ीमती लाल रंग का सिलेंडर कहां से लायें?
किसानों की ज़िन्दगी भी अब बद से बदरंग हो चुकी
सूखे के क़हर ने सोख लिया है खेतों का हरा-पीला रंग
उन किसानों के लिये बाकी है सिर्फ अंधेरे का काला रंग…
वो कोई रंग चढ़ाए क्या कोई रंग छुटाए क्या!
एक बेबस सा सवाल ये भी कि वो घर लाए क्या?
रोटी-दाल… या फिर अबीर गुलाल?
कितनी अजीब दुनिया है… रंगीन सपने दिखा
नेता बदल लेते हैं अपना रंग!
और ग़रीब की क़िस्मत को
उम्र भर जोड़ना होता है
बदले हुए रंगो का हिसाब
जल्द ही छूट जाते हैं होली के रंग
बस बचे रहते हैं देश के सीने पर
दाग़ की तरह चिपके
आम सपनों की गुमनाम मौत के स्याह रंग!
@अफरोज आलम साहिल
RTI से खुलासा: कृषि विभाग ने 4 महीने में लड्डू और समोसों पर खर्च कर डाले 40 लाख
हरियाणा के जींद जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरुक करने पर जिले भर में 40 लाख रुपये का खर्च कर दिया गया. लेकिन जिला दुनिया का अब भी 17वां सबसे प्रदूषित शहर है. कृषि विभाग ने RTI में जो जानकारी दी है उसके अनुसार विभाग ने किसानों (Farmers) को इन पैसे से खाना और मिठाई खिलाई है. विभाग के अनुसार उन्होंने गांव-गांव जाकर किसानों को जागरुक किया गया है. विभाग ने हर गांव में 2 बार मीटिंग ली, टैंट लगवाया, किसानों को इकट्ठा किया. किसान को एक समोसा, 2 लड्डू और 2 गुलाब जामुन खिलाये गए, जिन पर प्रति किसान 57 रुपये खर्चा किया गया. किसान को जो खाना खिलाया गया बिल में उसे 120 प्रति किसान दिखाया गया है. RTIएक्टिविस्ट के अनुसार विभाग ने ये खर्च किया ही नहीं, फ़र्ज़ी बिल बनाये गए: एक्टिविस्ट ने पूरे मामले की शिकायत गृह मंत्री को की है. उन्होंने बताया है कि एक ही दुकान के नाम से दो दो बिल काटे गए हैं जबकि दोनों में से कोई दुकान उपलब्ध नहीं है. इतना ही नहीं एक कार्यक्रम जुलाना में आयोजित किया गया था लेकिन उसके लिए टेंट जींद से 40 किलोमीटर की दूरी से लाया गया, जो सवाल खड़े करता है.
कृषि विभागों ने आरोपों को बताया निराधार: आरटीआई एक्टिविस्ट ने कहा कि एक छोटे से ढाबे में 4 कुर्सियां रखी गई है और उसका खाने के बिल 40,000 से ज्यादा दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि विभाग ने कैम्प के दिखाए है उनसे पता चलता है कि किसी भी गांव में टेंट नहीं लगाया गया है जबकि इसका खर्चा 5 लाख से ज्यादा दिखाया गया है. जबकि कृषि विभाग का कहना है की ये सब आरोप निराधार है. हम किसानों के लिए आगे भी इस तरह के अच्छे आइडिया लाते रहेंगे. सबसे प्रदूषित शहरों में 17वें स्थान पर पहुंचा जींद: कृषि भाग ने ये खर्चा जुलाई 2018 से लेकर अक्टूबर 2018 तक किया. उस समय प्रदूषित शहरों में जींद विश्व भर में 20 वे स्थान पर था. एक तरफ विभाग प्रदूषण कम करने के लिए किसानों को गुलाब जामुन खिला रहा था तो दूसरी और जींद प्रदूषित शहरों में छलांग लगाते हुए इस साल 17वें स्थान पर पहुंच गया है. Report@NEWS18
Monday, March 9, 2020
CBSE के नाम से सोशल मीडिया पर बने फर्जी अकाउंट, बोर्ड ने जारी की पब्लिक एडवाइजरी
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (CBSE) ने सोशल मीडिया पर अपने नाम और लोगो का गलत तरीके से हो रहे इस्तेमाल को गंभीरता से लिया। सीबीएसई से जुड़ा कोई छात्र या व्यक्ति अफवाह का शिकार न हो जाए इसके लिए बोर्ड ने 9 मार्च 2020 को एक पब्लिक एडवाइजरी जारी किया है। सीबीएसई बोर्ड ने सोशल मीडिया पर सीबीएसई के नाम से चल रहे फर्जी अकाउंट्स की तस्वीर को नोटिस में देते हुए कहा है कि तमाम अनाधिकारिक अकाउंट सीबीएसई के नाम से चलाए जा रहे हैं। ऐसे में आवाम को सूचित किया जाता है कि सीबीएसई (CBSE) का ट्विटर के लिए आधिकारिक अकाउंट cbseindia29 है। सीबीएसई के नाम से चल रहे अन्य सोशल मीडिया से शेयर की जाने वाली सूचनाओं के लिए बोर्ड जिम्मेदार नहीं होगा। सीबीएसई ने कहा है कि उसके नाम और लोगो का गलत इस्तेमाल करने सूचनाएं प्रसारित करने वाले शख्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। Report@Livehindustan
दिल्ली दंगा: अंधेरा होते ही दो हफ्ते बाद अब भी मंडराने लगता है खौफ का साया
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित शिव विहार में आज भी सूरज ढलने और रात गहराने के बाद खौफ का मंजर दिलो-दिमाग में ताजा हो उठता है। अब से दो हफ्ते पहले तक हलचल और लोगों की चहल पहल से गुलजार यह इलाका रात होते ही सहम उठता है। मोहम्मद नफीस याद करते हैं कि कुछ रातों पहले उन्होंने अपने 14 साल के भतीजे सैफ से कहा था, “हर किसी को बुला लो। यहां से निकलने का वक्त आ गया है।” उन्होंने सैफ से कहा कि परिवार के सारे लोगों को इकठ्ठा कर लो ताकि अपने 'घर' को छोड़ कर वे अपने रिश्तेदारों के घर में कुछ दिन तक आसरा ले सके।
नफीस एकमात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं। दो सोमवार पहले, उत्तरपूर्वी दिल्ली के तमाम इलाकों में हजारों लोगों की जान अधर में लटक गई थी जबकि 1984 के बाद से शहर में हुए सबसे बुरे दंगों ने 53 लोगों की जान ले ली थी। 24 फरवरी को शुरू होकर 26 फरवरी तक चले इन दंगों में कम से कम 200 लोग घायल हो गए थे, सैकड़ों विस्थापित हो गए और कई के रोजगार के जरिए बर्बाद कर दिए गए थे। और अब, दो हफ्ते बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। लोगों के मन में डर इस तरह से घर कर गया है कि शाम होते ही उन्हें डर सताने लगता है कि कहीं फिर से हिंसा न हो जाए। यहां के निवासी उस इलाके को छोड़ने की जल्दबाजी में थे जो दशकों से उनका घर रहा है। नफीस ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “हम यहां रात बिताने के नाम से बहुत डरते हैं। किसी को नहीं पता कि कब क्या हो जाए।” उनके और उनके परिवार के 14 सदस्य अब से दो हफ्ते पहले शिव विहार के फेज सात की गली नंबर 12 में तीन मंजिला घर में रहते थे जब यह इलाका दंगों की भेंट चढ़ गया। इसी तरह इलाके की कई संपत्तियों को आग के हवाले किए जाने से पहले लूटा गया और तोड़ दिया गया। हिंसा से प्रभावित लोगों ने या तो सरकार के राहत शिविरों में शरण ली है या अपने रिश्तेदारों के घर चले गए। ये लोग हर सुबह नुकसान के आकलन के लिए यहां आते हैं और शाम होते ही अपने अस्थायी घरों को लौट जाते हैं। मौहम्मद गयूर की दो मंजिला इमारत को भी जलाकर खाक कर दिया गया। भूतल पर रखी तीन बाइक को जला दिया गया, ऊपर की मंजिल पर सिलेंडरों में विस्फोट किया गया जिससे तीन में से दो कमरों की छत ढह गई। उनकी तीन बकरियों को चुरा लिया गया।
गयूर ने कहा, “हम सदमे में थे। इसलिए जब पुलिस 26 फरवरी की सुबह हमें निकालने आई, हम तुरंत चल दिए। मैंने अपनी चप्पलें भी नहीं पहनी। मैं इतना डरा हुआ था। जब हम अगली दोपहर लौटे तो सबकुछ बर्बाद हो गया था। उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता हम कब तक लौटेंगे। हमें अपनी सामान्य जिंदगी जीने में कम से कम तीन से चार साल लग जाएंगे। इन दंगों में 700 से ज्यादा मामले दर्ज हुए और करीब 2,400 लोगों को या तो हिरासत में लिया गया या फिर गिरफ्तार किया गया।इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक बयान में बताया कि हिंसा के दौरान 79 घर और 327 दुकानें पूरी तरह जलाकर खाक कर दी गईं। Report@Hindustan
Friday, March 6, 2020
दिल्ली दंगों पर कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव की मीटिंग, अफसरों ने एक-दूसरे पर लगाए ‘विफलता' के आरोप
नॉर्थ ईस्ट जिले में 23 फरवरी से भड़के दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सीआईडी कही जाने वाली स्पेशल ब्रांच से लेकर लोकल पुलिस के अफसर हालात का सही आकलन नहीं कर सके। इससे हालात बिगड़ते चले गए और पैरा मिलिट्री फोर्स के आने तक मामला हाथ से निकल चुका था। पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने गुरुवार को मीटिंग की तो अफसरों ने आंकलन नहीं कर पाने का ठीकरा एक-दूसरे के डिपार्टमेंट के सिर फोड़ दिया।
दिल्ली में दंगों के दौरान आला अफसरों का सारा फोकस जाफराबाद और चांद बाग पर रहा, जबकि उपद्रवी भीतरी इलाकों में तांडव मचाते रहे। पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्सेज की टुकड़ियां जब तक कॉलोनियों के भीतर जाती, तब तक सब कुछ तबाह हो चुका था। श्रीवास्तव की बैठक के बाद पुलिस हेडक्वॉर्टर से जल्द ही कई अफसर के नपने के संकेत मिल रहे हैं।
खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कमिश्नर खुद दंगों के चश्मदीद और पीड़ित रहे पुलिसवालों से मिल रहे हैं। इससे वह खुद भी दंगों के हालात को नजदीक से समझने में लगे हैं। आला अफसरों की गुरुवार सुबह एक मीटिंग बुलाकर कमिश्नर ने पूछा कि क्या दंगे एक साजिश के तहत हुए थे? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र इसके इनपुट हासिल करने में नाकाम रहा? क्या लोकल पुलिस के अफसर हालात का सटीक आकलन करने में विफल रहे? इस पर चर्चा शुरू हुई तो अफसर एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे। स्पेशल ब्रांच के अफसर ने लोकल पुलिस की विफलता करार दिया तो स्पेशल सीपी रैंक के एक अफसर ने स्पेशल ब्रांच की खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी करार दिया।
कमिश्नर दूसरी बैठक के लिए रवानासूत्रों का दावा है कि इससे कमिश्नर का मूड ऑफ हो गया और वह दूसरी मीटिंग के लिए रवाना हो गए। आला अफसरों ने बताया कि लोकल बीट सिस्टम, थाना स्तर पर अमन कमिटियां और जिला स्तर पर स्पेशल ब्रांच का खुफिया तंत्र हालात बिगड़ने के कोई इनपुट नहीं जुटा सके। जिले के पुलिस अफसर भी 23 फरवरी की रात को जाफराबाद और 24 फरवरी की सुबह चांद बाग में धरने पर बैठी महिलाओं के सड़क के बीच में आने के बाद भी हालात का सटीक अनुमान नहीं लगा सके।
पुलिस की रणनीति पर सवालमौजपुर चौक पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और कौशल मिश्रा 24 फरवरी की दोपहर को धरने पर बैठ गए थे। यहां उपद्रवियों ने पत्थरबाजी कर की थी। जिले के अफसरों को यहीं से ऐक्शन में आ जाना चाहिए था। चांद बाग में सोमवार को डीसीपी पर हुए जानलेवा हमले में एसीपी जख्मी हो गए और एक हवलदार की मौत हो गई लेकिन पुलिस के पास रणनीति ही नहीं थी।
गिर सकती है गाजआखिरकार करीब 50 घंटे बाद मंगलवार शाम को पुलिस ने अपना रूप दिखाया, लेकिन तब तक हिंसा बाहर की सड़कों से भीतर की तरफ घुस चुकी थी और हालात बेकाबू हो चुके थे। आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया है कि हिंसा में हीला-हवाली करने वाले, सही आकलन नहीं लगा पाने वाले और खुफिया इनपुट जुटाने में विफल रहने वाले अफसरों पर जल्द गाज गिरेगी। इसकी जद में नीचे से लेकर ऊपर तक के कई अफसरों के आने की आशंका है। होली के आसपास नपने वाले अफसरों को इधर से उधर कर दिया जाएगा। इसे लेकर आला अफसरों में सुगबुगाहट होने लगी है। ऐसे में कई अफसरों की सांसे अटकी हुई हैं।
Report@NBT
दिल्ली में दंगों के दौरान आला अफसरों का सारा फोकस जाफराबाद और चांद बाग पर रहा, जबकि उपद्रवी भीतरी इलाकों में तांडव मचाते रहे। पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्सेज की टुकड़ियां जब तक कॉलोनियों के भीतर जाती, तब तक सब कुछ तबाह हो चुका था। श्रीवास्तव की बैठक के बाद पुलिस हेडक्वॉर्टर से जल्द ही कई अफसर के नपने के संकेत मिल रहे हैं।
खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कमिश्नर खुद दंगों के चश्मदीद और पीड़ित रहे पुलिसवालों से मिल रहे हैं। इससे वह खुद भी दंगों के हालात को नजदीक से समझने में लगे हैं। आला अफसरों की गुरुवार सुबह एक मीटिंग बुलाकर कमिश्नर ने पूछा कि क्या दंगे एक साजिश के तहत हुए थे? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र इसके इनपुट हासिल करने में नाकाम रहा? क्या लोकल पुलिस के अफसर हालात का सटीक आकलन करने में विफल रहे? इस पर चर्चा शुरू हुई तो अफसर एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे। स्पेशल ब्रांच के अफसर ने लोकल पुलिस की विफलता करार दिया तो स्पेशल सीपी रैंक के एक अफसर ने स्पेशल ब्रांच की खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी करार दिया।
कमिश्नर दूसरी बैठक के लिए रवानासूत्रों का दावा है कि इससे कमिश्नर का मूड ऑफ हो गया और वह दूसरी मीटिंग के लिए रवाना हो गए। आला अफसरों ने बताया कि लोकल बीट सिस्टम, थाना स्तर पर अमन कमिटियां और जिला स्तर पर स्पेशल ब्रांच का खुफिया तंत्र हालात बिगड़ने के कोई इनपुट नहीं जुटा सके। जिले के पुलिस अफसर भी 23 फरवरी की रात को जाफराबाद और 24 फरवरी की सुबह चांद बाग में धरने पर बैठी महिलाओं के सड़क के बीच में आने के बाद भी हालात का सटीक अनुमान नहीं लगा सके।
पुलिस की रणनीति पर सवालमौजपुर चौक पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और कौशल मिश्रा 24 फरवरी की दोपहर को धरने पर बैठ गए थे। यहां उपद्रवियों ने पत्थरबाजी कर की थी। जिले के अफसरों को यहीं से ऐक्शन में आ जाना चाहिए था। चांद बाग में सोमवार को डीसीपी पर हुए जानलेवा हमले में एसीपी जख्मी हो गए और एक हवलदार की मौत हो गई लेकिन पुलिस के पास रणनीति ही नहीं थी।
गिर सकती है गाजआखिरकार करीब 50 घंटे बाद मंगलवार शाम को पुलिस ने अपना रूप दिखाया, लेकिन तब तक हिंसा बाहर की सड़कों से भीतर की तरफ घुस चुकी थी और हालात बेकाबू हो चुके थे। आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया है कि हिंसा में हीला-हवाली करने वाले, सही आकलन नहीं लगा पाने वाले और खुफिया इनपुट जुटाने में विफल रहने वाले अफसरों पर जल्द गाज गिरेगी। इसकी जद में नीचे से लेकर ऊपर तक के कई अफसरों के आने की आशंका है। होली के आसपास नपने वाले अफसरों को इधर से उधर कर दिया जाएगा। इसे लेकर आला अफसरों में सुगबुगाहट होने लगी है। ऐसे में कई अफसरों की सांसे अटकी हुई हैं।
Report@NBT
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