हरियाणा के जींद जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. किसानों को पराली न जलाने को लेकर जागरुक करने पर जिले भर में 40 लाख रुपये का खर्च कर दिया गया. लेकिन जिला दुनिया का अब भी 17वां सबसे प्रदूषित शहर है. कृषि विभाग ने RTI में जो जानकारी दी है उसके अनुसार विभाग ने किसानों (Farmers) को इन पैसे से खाना और मिठाई खिलाई है. विभाग के अनुसार उन्होंने गांव-गांव जाकर किसानों को जागरुक किया गया है. विभाग ने हर गांव में 2 बार मीटिंग ली, टैंट लगवाया, किसानों को इकट्ठा किया. किसान को एक समोसा, 2 लड्डू और 2 गुलाब जामुन खिलाये गए, जिन पर प्रति किसान 57 रुपये खर्चा किया गया. किसान को जो खाना खिलाया गया बिल में उसे 120 प्रति किसान दिखाया गया है. RTIएक्टिविस्ट के अनुसार विभाग ने ये खर्च किया ही नहीं, फ़र्ज़ी बिल बनाये गए: एक्टिविस्ट ने पूरे मामले की शिकायत गृह मंत्री को की है. उन्होंने बताया है कि एक ही दुकान के नाम से दो दो बिल काटे गए हैं जबकि दोनों में से कोई दुकान उपलब्ध नहीं है. इतना ही नहीं एक कार्यक्रम जुलाना में आयोजित किया गया था लेकिन उसके लिए टेंट जींद से 40 किलोमीटर की दूरी से लाया गया, जो सवाल खड़े करता है.
कृषि विभागों ने आरोपों को बताया निराधार: आरटीआई एक्टिविस्ट ने कहा कि एक छोटे से ढाबे में 4 कुर्सियां रखी गई है और उसका खाने के बिल 40,000 से ज्यादा दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि विभाग ने कैम्प के दिखाए है उनसे पता चलता है कि किसी भी गांव में टेंट नहीं लगाया गया है जबकि इसका खर्चा 5 लाख से ज्यादा दिखाया गया है. जबकि कृषि विभाग का कहना है की ये सब आरोप निराधार है. हम किसानों के लिए आगे भी इस तरह के अच्छे आइडिया लाते रहेंगे. सबसे प्रदूषित शहरों में 17वें स्थान पर पहुंचा जींद: कृषि भाग ने ये खर्चा जुलाई 2018 से लेकर अक्टूबर 2018 तक किया. उस समय प्रदूषित शहरों में जींद विश्व भर में 20 वे स्थान पर था. एक तरफ विभाग प्रदूषण कम करने के लिए किसानों को गुलाब जामुन खिला रहा था तो दूसरी और जींद प्रदूषित शहरों में छलांग लगाते हुए इस साल 17वें स्थान पर पहुंच गया है. Report@NEWS18
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