नॉर्थ ईस्ट जिले में 23 फरवरी से भड़के दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सीआईडी कही जाने वाली स्पेशल ब्रांच से लेकर लोकल पुलिस के अफसर हालात का सही आकलन नहीं कर सके। इससे हालात बिगड़ते चले गए और पैरा मिलिट्री फोर्स के आने तक मामला हाथ से निकल चुका था। पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने गुरुवार को मीटिंग की तो अफसरों ने आंकलन नहीं कर पाने का ठीकरा एक-दूसरे के डिपार्टमेंट के सिर फोड़ दिया।
दिल्ली में दंगों के दौरान आला अफसरों का सारा फोकस जाफराबाद और चांद बाग पर रहा, जबकि उपद्रवी भीतरी इलाकों में तांडव मचाते रहे। पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्सेज की टुकड़ियां जब तक कॉलोनियों के भीतर जाती, तब तक सब कुछ तबाह हो चुका था। श्रीवास्तव की बैठक के बाद पुलिस हेडक्वॉर्टर से जल्द ही कई अफसर के नपने के संकेत मिल रहे हैं।
खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कमिश्नर खुद दंगों के चश्मदीद और पीड़ित रहे पुलिसवालों से मिल रहे हैं। इससे वह खुद भी दंगों के हालात को नजदीक से समझने में लगे हैं। आला अफसरों की गुरुवार सुबह एक मीटिंग बुलाकर कमिश्नर ने पूछा कि क्या दंगे एक साजिश के तहत हुए थे? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र इसके इनपुट हासिल करने में नाकाम रहा? क्या लोकल पुलिस के अफसर हालात का सटीक आकलन करने में विफल रहे? इस पर चर्चा शुरू हुई तो अफसर एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे। स्पेशल ब्रांच के अफसर ने लोकल पुलिस की विफलता करार दिया तो स्पेशल सीपी रैंक के एक अफसर ने स्पेशल ब्रांच की खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी करार दिया।
कमिश्नर दूसरी बैठक के लिए रवानासूत्रों का दावा है कि इससे कमिश्नर का मूड ऑफ हो गया और वह दूसरी मीटिंग के लिए रवाना हो गए। आला अफसरों ने बताया कि लोकल बीट सिस्टम, थाना स्तर पर अमन कमिटियां और जिला स्तर पर स्पेशल ब्रांच का खुफिया तंत्र हालात बिगड़ने के कोई इनपुट नहीं जुटा सके। जिले के पुलिस अफसर भी 23 फरवरी की रात को जाफराबाद और 24 फरवरी की सुबह चांद बाग में धरने पर बैठी महिलाओं के सड़क के बीच में आने के बाद भी हालात का सटीक अनुमान नहीं लगा सके।
पुलिस की रणनीति पर सवालमौजपुर चौक पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और कौशल मिश्रा 24 फरवरी की दोपहर को धरने पर बैठ गए थे। यहां उपद्रवियों ने पत्थरबाजी कर की थी। जिले के अफसरों को यहीं से ऐक्शन में आ जाना चाहिए था। चांद बाग में सोमवार को डीसीपी पर हुए जानलेवा हमले में एसीपी जख्मी हो गए और एक हवलदार की मौत हो गई लेकिन पुलिस के पास रणनीति ही नहीं थी।
गिर सकती है गाजआखिरकार करीब 50 घंटे बाद मंगलवार शाम को पुलिस ने अपना रूप दिखाया, लेकिन तब तक हिंसा बाहर की सड़कों से भीतर की तरफ घुस चुकी थी और हालात बेकाबू हो चुके थे। आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया है कि हिंसा में हीला-हवाली करने वाले, सही आकलन नहीं लगा पाने वाले और खुफिया इनपुट जुटाने में विफल रहने वाले अफसरों पर जल्द गाज गिरेगी। इसकी जद में नीचे से लेकर ऊपर तक के कई अफसरों के आने की आशंका है। होली के आसपास नपने वाले अफसरों को इधर से उधर कर दिया जाएगा। इसे लेकर आला अफसरों में सुगबुगाहट होने लगी है। ऐसे में कई अफसरों की सांसे अटकी हुई हैं।
Report@NBT
दिल्ली में दंगों के दौरान आला अफसरों का सारा फोकस जाफराबाद और चांद बाग पर रहा, जबकि उपद्रवी भीतरी इलाकों में तांडव मचाते रहे। पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्सेज की टुकड़ियां जब तक कॉलोनियों के भीतर जाती, तब तक सब कुछ तबाह हो चुका था। श्रीवास्तव की बैठक के बाद पुलिस हेडक्वॉर्टर से जल्द ही कई अफसर के नपने के संकेत मिल रहे हैं।
खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कमिश्नर खुद दंगों के चश्मदीद और पीड़ित रहे पुलिसवालों से मिल रहे हैं। इससे वह खुद भी दंगों के हालात को नजदीक से समझने में लगे हैं। आला अफसरों की गुरुवार सुबह एक मीटिंग बुलाकर कमिश्नर ने पूछा कि क्या दंगे एक साजिश के तहत हुए थे? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र इसके इनपुट हासिल करने में नाकाम रहा? क्या लोकल पुलिस के अफसर हालात का सटीक आकलन करने में विफल रहे? इस पर चर्चा शुरू हुई तो अफसर एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे। स्पेशल ब्रांच के अफसर ने लोकल पुलिस की विफलता करार दिया तो स्पेशल सीपी रैंक के एक अफसर ने स्पेशल ब्रांच की खुफिया इनपुट जुटाने में नाकामी करार दिया।
कमिश्नर दूसरी बैठक के लिए रवानासूत्रों का दावा है कि इससे कमिश्नर का मूड ऑफ हो गया और वह दूसरी मीटिंग के लिए रवाना हो गए। आला अफसरों ने बताया कि लोकल बीट सिस्टम, थाना स्तर पर अमन कमिटियां और जिला स्तर पर स्पेशल ब्रांच का खुफिया तंत्र हालात बिगड़ने के कोई इनपुट नहीं जुटा सके। जिले के पुलिस अफसर भी 23 फरवरी की रात को जाफराबाद और 24 फरवरी की सुबह चांद बाग में धरने पर बैठी महिलाओं के सड़क के बीच में आने के बाद भी हालात का सटीक अनुमान नहीं लगा सके।
पुलिस की रणनीति पर सवालमौजपुर चौक पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और कौशल मिश्रा 24 फरवरी की दोपहर को धरने पर बैठ गए थे। यहां उपद्रवियों ने पत्थरबाजी कर की थी। जिले के अफसरों को यहीं से ऐक्शन में आ जाना चाहिए था। चांद बाग में सोमवार को डीसीपी पर हुए जानलेवा हमले में एसीपी जख्मी हो गए और एक हवलदार की मौत हो गई लेकिन पुलिस के पास रणनीति ही नहीं थी।
गिर सकती है गाजआखिरकार करीब 50 घंटे बाद मंगलवार शाम को पुलिस ने अपना रूप दिखाया, लेकिन तब तक हिंसा बाहर की सड़कों से भीतर की तरफ घुस चुकी थी और हालात बेकाबू हो चुके थे। आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया है कि हिंसा में हीला-हवाली करने वाले, सही आकलन नहीं लगा पाने वाले और खुफिया इनपुट जुटाने में विफल रहने वाले अफसरों पर जल्द गाज गिरेगी। इसकी जद में नीचे से लेकर ऊपर तक के कई अफसरों के आने की आशंका है। होली के आसपास नपने वाले अफसरों को इधर से उधर कर दिया जाएगा। इसे लेकर आला अफसरों में सुगबुगाहट होने लगी है। ऐसे में कई अफसरों की सांसे अटकी हुई हैं।
Report@NBT
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