उत्तराखंड के रुड़की में भाजपा नेता के भाई और उनके पार्टनर फूड प्रोडक्ट के लाइसेंस की आड़ में नकली दवाएं बना रहे थे। बताया जा रहा है कि यह खेल पिछले कई वर्षों से चल रहा था, लेकिन स्थानीय ड्रग विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। नामी कंपनियों ने दिल्ली विजिलेंस से शिकायत की तो मामले का खुलासा हुआ। माना जा रहा है कि अभी इसमें कई परतें खुलनी बाकी हैं और कई नाम सामने आ सकते हैं। भाजपा नेता के भाई ने अपने दो पार्टनरों के साथ गांव में ही फूड प्रोडक्ट बनाने के नाम से एक कंपनी खोली थी। फूड प्रोडक्ट का लाइसेंस भी फोर्थ क्लास का बनवाया था। इस लाइसेंस की समय सीमा भी 16 फरवरी 2020 को खत्म हो गई थी। पिछले कई सालों से यह फैक्टरी बिना किसी रोकटोक के चल रही थी। सोमवार को विजिलेंस ने छापा मारा तो एक बड़ा खुलासा हुआ। पता चला कि भाजपा नेता के भाई फूड प्रोडक्ट की आड़ में नामी कंपनियों की नकली दवाएं बना रहे थे। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि दिल्ली विजिलेंस की टीम ने मामले का खुलासा किया, लेकिन स्थानीय ड्रग विभाग की टीम को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी?
अब मामला भाजपा नेता के भाई से जुड़ा होने पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। दिल्ली विजिलेंस की टीम ने बताया कि यहां बनने वाली नामी कंपनियों की दवाएं उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि यूपी, हरियाणा और पंजाब में सप्लाई होती थी। अब यह जानकारी जुटाई जा रही है कि दवाएं इन प्रदेशों में किन स्थानों पर बेची जाती थी। साथ ही वहां दवाओं को खरीदने वाले कौन लोग हैं। यह भी जानकारी जुटाई जा रही है कि इन लोगों के संपर्क में कौन-कौन लोग हैं। बताया जा रहा है नकली दवाओं की शिकायत पर दिल्ली विजिलेंस की टीम पिछले एक सप्ताह से भगवानपुर क्षेत्र में डेरा डाले हुए थी। टीम ने पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही सोमवार को गांव में छापा मारकर नकली दवाओं की फैक्टरी का भंडाफोड़ किया। बताया जा रहा है कि सोमवार को टीम की कार्रवाई की बात लीक हो चुकी थी। इसके चलते टीम के पहुंचने से पहले ही फैक्टरी में काम करने वाले फरार हो चुके थे। उधर, जिस जगह दवाएं बनाई जा रही थी, वह गोदाम घेर के अंदर था। किसी को इसकी भनक न लगे, इसलिए घेर के अंदर दीवार भी बनाई गई है। सीढ़ियों से दीवार पार कर दवाएं सप्लाई की जाती थी। Report@AmarUjala
अब मामला भाजपा नेता के भाई से जुड़ा होने पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। दिल्ली विजिलेंस की टीम ने बताया कि यहां बनने वाली नामी कंपनियों की दवाएं उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि यूपी, हरियाणा और पंजाब में सप्लाई होती थी। अब यह जानकारी जुटाई जा रही है कि दवाएं इन प्रदेशों में किन स्थानों पर बेची जाती थी। साथ ही वहां दवाओं को खरीदने वाले कौन लोग हैं। यह भी जानकारी जुटाई जा रही है कि इन लोगों के संपर्क में कौन-कौन लोग हैं। बताया जा रहा है नकली दवाओं की शिकायत पर दिल्ली विजिलेंस की टीम पिछले एक सप्ताह से भगवानपुर क्षेत्र में डेरा डाले हुए थी। टीम ने पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही सोमवार को गांव में छापा मारकर नकली दवाओं की फैक्टरी का भंडाफोड़ किया। बताया जा रहा है कि सोमवार को टीम की कार्रवाई की बात लीक हो चुकी थी। इसके चलते टीम के पहुंचने से पहले ही फैक्टरी में काम करने वाले फरार हो चुके थे। उधर, जिस जगह दवाएं बनाई जा रही थी, वह गोदाम घेर के अंदर था। किसी को इसकी भनक न लगे, इसलिए घेर के अंदर दीवार भी बनाई गई है। सीढ़ियों से दीवार पार कर दवाएं सप्लाई की जाती थी। Report@AmarUjala
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