रविवार की देर शाम दक्षिण दिल्ली के हौज़ रानी के इलाक़े में हुए पुलिस लाठी चार्ज में बच्चों और महिलाओं सहित कई लोग घायल हुए हैं. घायलों को मालवीय नगर के मदन मोहन मालवीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अस्पताल के बाहर मौजूद घायलों के परिजनों का कहना है कि ये घटना तब घटी जब नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में स्थानीय लोगों ने जुलूस निकाला था. दक्षिण दिल्ली के पुलिस उपायुक्त अतुल ठाकुर ने लाठी चार्ज की बात स्वीकार भी नहीं की और उसका खंडन भी नहीं किया है. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि लाठी चार्ज के आरोपों की वो जांच कर रहे हैं.
लेकिन पुलिस उपायुक्त का कहना था कि मालवीय नगर के हौज़ रानी के इलाक़े से नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ लोगों ने जुलुस निकाला था. वो कहते हैं, "जुलूस निकालने के लिए पहले से अनुमति नहीं ली गयी थी. उनका यह भी आरोप था कि प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर यातायात को बाधित करने की कोशिश भी की थी. इसके अलावा पुलिस का आरोप है कि प्रदर्शन में शामिल कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों और ख़ास तौर पर महिला पुलिसकर्मियों के साथ बदसुलूकी भी की." दिल्ली के शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून का जब से विरोध शुरू हुआ था उसके कुछ ही दिनों के बाद ही हौज़ रानी के गांधी पार्क में भी उसी तरह का प्रदर्शन जारी है जिसमे महिलाएं अगुवाई कर रही हैं.
जमीला भी रविवार को उसी जुलूस में थीं जिस वक़्त पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किये जाने का आरोप लगा है. वो स्ट्रेचर पर हैं और उनके परिजन अब उन्हें मदन मोहन मालवीय अस्पताल से लेकर दूसरे अस्पताल जा रहे हैं क्योंकि उनको कमर और पैरों में गंभीर चोटें आयीं हैं. बीबीसी से बात करते हुए वो कहती हैं, "जब से हौज़ रानी में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हुआ है तब से हर रविवार की शाम सभी महिलाएं इकठ्ठा होकर जुलूस निकालती हैं. इस बार भी उसी तरह से सभी महिलाएं जुलूस की शक्ल में निकलीं थीं." अस्पताल के बाहर मेरी मुलाक़ात मुबीना से हुई जो 'व्हीलचेयर' पर थीं.
उनका कहना था, "हम जुलूस की शक्ल में निकले थे और वापस गांधी पार्क पहुँच गए थे जहाँ कई दिनों से हमारा प्रदर्शन चल रहा है. मगर जब हम वापस पहुंचे तो पुलिस ने पहले ही वहाँ बैरियर लगा दिए थे. हम जैसे ही पहुंचे उन्होंने हम पर लाठियां बरसाना शुरू कर दीं. कई पुलिस वालों ने महिलाओं के पेट पर लात भी मारीं." रोशन जहां को भी इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले जाया जा रहा है. उनका कहना है कि उन्हें भी पैरों, सिर और पीठ पर चोटें आयीं हैं. मदन मोहन मालवीय अस्पताल के बाहर मौजूद भेद का कहना था कि कई बच्चों को भी चोट आयी है जो अस्पताल में भर्ती हैं.
उनका आरोप था कि मदन मोहन मालवीय अस्पताल के डाक्टर उनका मेडिकल नहीं कर रहे हैं यानी वो रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं जिससे पता चले कि उन लोगों को कितनी चोटें आयीं हैं. ये एक क़ानूनी दस्तावेज़ है. वो बताते हैं कि यही वजह है जिसके चलते वे अपने घायल परिजनों को दूसरे अस्पतालों में ले जा रहे हैं. वहीं कुछ ही दूर गांधी पार्क भी है जहां प्रदर्शन जारी है. इस बार भीड़ थोड़ी अनियंत्रित है क्योंकि लोग लाठी चार्ज के ख़िलाफ़ आक्रोश में नज़र आ रहे हैं. उनका आरोप था कि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन के बावजूद उनपर लाठियां बरसाई गयीं. गांधी पार्क में भी प्रदर्शन की कमान महिलाओं के हाथों में ही नज़र आयी जो मंच से लोगों को सम्बोधित कर रहीं थीं.
मंच पर उन महिलाओं ने भी बारी बारी से अपनी बात रखी जिन्होंने पुलिस पर लाठी बरसाने का आरोप लगाया. उनका ये भी आरोप था कि महिला प्रदर्शनकारियों को पुरुष पुलिसकर्मी मार रहे थे. कुछ का कहना था कि मारने वाले पुलिसकर्मियों ने वर्दी पर लगे अपनी नामों की प्लेटों को छुपा दिया था. मगर पुलिस के अधिकारी मामले की जांच कराने की बात कह रहे हैं. मालवीय नगर के हौज़ रानी के इलाक़े में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गयीं हैं ताकि किसी हिंसक वारदात से निपटा जा सके, ऐसा मौके पर मौजूद अधिकारियों का कहना है. मगर घटना के बाद से पूरे इलाक़े में तनाव का माहौल है. (बीबीसी संवाददाता)
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