Wednesday, July 31, 2019

नियम तोड़ने पर 10 गुना तक जुर्माना, राज्यसभा ने पास किया बिल

मोटर वीइकल बिल जल्द ही कानून की शक्ल लेने जा रहा है। इसके बाद रोड रूल्स तोड़ने पर 10 गुना तक जुर्माना भरना पड़ेगा। सड़क दुर्घटना में कमी लाने के मकसद से तैयार किया गया मोटर वीइकल बिल बुधवार को राज्यसभासे पास हो गया। राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद सड़क पर मनमानी करना बहुत भारी पड़ेगा। बिल में प्रावधान है कि खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाने, हेल्मेट नहीं पहनने, रेड लाइट जंप करने, शराब पीकर गाड़ी चलाने, सीट बेल्ट न लगाने आदि पर पहले से कई गुना जुर्माना भरना पड़ेगा। वैसे, इसके प्रावधानों को लागू करना राज्य सरकारों पर निर्भर है। हादसे में घायल को घंटेभर में कैशलेस इलाज मुहैया कराने के लिए फंड बनेगा। हिट ऐंड रन में मौत होने पर घरवालों को दो लाख रुपये देने का इंतजाम है। पहले यह राशि 25 हजार रुपये थी। अगर किसी गाड़ी से पर्यावरण को नुकसान होता है तो सरकार उस वाहन को वापस ले सकती है। 
नए कानून की तीन बड़ी खासियतें 
नए कानून की पहली खासियत यह होगी कि इसमें आम नागरिकों के मुकाबले अधिकारियों की गलती पर दोगुना जुर्माना लगाने का प्रावधान है। बिल में स्पष्ट कहा गया है कि अगर कानून लागू करने वाले अधिकारी नियमों का उल्लंघन करते पकड़े गए तो उन्हें दोगुना जुर्माना देना होगा। मतलब साफ है कि अगर ट्रैफिक पुलिस ने हेल्मेट नहीं पहनी हो तो उनसे 2,000 रुपये बतौर जुर्माना वसूला जाएगा जो आम नागरिक के लिए 1,000 रुपये ही है।  इस कानून की दूसरी बड़ी खासियत होगी कि जुर्माने की राशि हर वर्ष खुद-ब-खुद 10 प्रतिशत बढ़ जाएगी। यानी, इस वर्ष हेल्मेट नहीं पहनने पर 1,000 रुपये जुर्माना लिया जाएगा तो अगले वर्ष से यह रकम बढ़कर 1,100 रुपये और उसके अगले वर्ष 1,210 रुपये हो जाएगी।  तीसरी खासियत यह है कि पहले नाबालिगों के ड्राइविंग के दौरान हुए हादसों को लेकर कोई कानून नहीं था। अब बच्चे के अभिभावक/वाहन मालिक को दोषी माना जाएगा। उन्हें 25 हजार रुपये जुर्माना और तीन साल की जेल होगी। साथ ही, वाहन का रजिस्ट्रेशन एक वर्ष तक रद्द हो जाएगा। नाबालिग को 25 वर्ष की उम्र पूरा होने से पहले ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। 

बड़ी बातें 
➤ पहले सीट बेल्ट नहीं लगाने पर 100 रुपये फाइन लगता था, अब 1,000 रुपये लगेगा। 
➤ हेल्मेट नहीं पहनने पर पहले 100 रुपये जुर्माना लगता था, अब 1,000 रुपये जुर्माने के साथ तीन महीने तक लाइसेंस रखने के अयोग्य घोषित किया जाएगा। 
➤ आपातकालीन सेवा में लगी वाहनों को रास्ता नहीं देने को लेकर पहले कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन अब 10,000 रुपये जुर्माना या 6 महीने तक जेल की सजा या फिर दोनों हो सकता है। 
➤ लाइसेंस के बिना ड्राइविंग करने पर 500 रुपये जुर्माना या तीन महीने तक जेल या फिर दोनों का प्रावधान है। अब 5,000 रुपये जुर्माना या तीन महीने तक की जेल या फिर दोनों हो सकता है। दोबारा पकड़े गए तो 10 हजार रुपये जुर्माना या 1 वर्ष तक की जेल या फिर दोनों हो सकते हैं। 
➤ अयोग्य होने के बावजूद गाड़ी चलाने पर पहले 500 रुपये जुर्माना या 3 महीने तक जेल की सजा या दोनों का प्रावधान है। अब 5,000 रुपये जुर्मना या तीन महीने तक जेल या फिर दोनों होगा। 
➤ बहुत तेज चलाना या सड़क पर रेसिंग पर 500 रुपये जुर्माना या 3 महीने तक जेल या दोनों हो सकता है। 
अब पहली बार में 5 हजार रुपये जुर्माना या तीन महीने तक जेल या दोनों, लेकिन दूसरी बार पकड़े गए तो 10 हजार रुपये जुर्मना या 1 साल तक की जेल या दोनों हो सकते हैं। 
➤ ओवरलोडिंग- 2 हजार रुपये और 1,000 रुपये अतिरिक्त प्रति टन की दर से जुर्माने का प्रावधान है। अब 20 हजार रुपये और 2 हजार रुपये प्रति टन की दर से जुर्माना। 

फिर से लोकसभा में जाएगा बिल 
हालांकि, छपाई में कुछ गलतियां रह जाने से उन्हें ठीक करने को तीन संशोधन लाए गए। इसलिए, अब यह विधेयक फिर से लोकसभा में जाएगा। हालांकि राज्यसभा में दोबारा रखने की जरूरत नहीं होगी। आरटीआई और तीन तलाक बिल के बाद इस बिल का पास होना मोदी सरकार के लिए बड़ी कामयाबी है। संसद के उच्च सदन, राज्यसभा में सरकार का प्रबंधन फिर कामयाब रहा। बिल के पक्ष में 108, विपक्ष में महज 13 वोट पड़े। विधेयक पर विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज हो गए। 

DU में हॉस्टल्स की कमी के बीच बढ़ता गेस्ट हाउस का व्यापार

दिल्ली वैसे तो हमेशा ही स्टूडेंट्स से भरी होती है मगर आने वाले दिनों में नवांगतुकों से भर जाएगी। दिल्ली के महत्वपूर्ण विश्विद्यालयों में यूजी और पीजी में प्रवेश पाने के लिए अलग-अलग राज्यों से स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी का रुख करते हैं। ऐसे हालात में यूनिवर्सिटी द्वारा स्टूडेंट्स को हॉस्टल मुहैया कराना बेहद ज़रूरी हो जाता है। हॉस्टल ना सिर्फ रहने और खाने का ठिकाना देती है, बल्कि यह विभिन्न भारतीय संस्कृति और समाज को जानने का भी अवसर प्रदान करती है। मसलन, बिहार के किसी सुदूर इलाके से आने वाले स्टूडेंट का रूम पार्टनर अगर असम के किसी गाँव का स्टूडेंट हो, तो वह ना सिर्फ रूम बल्कि संस्कृति भी साझा करेंगे।
एक दूसरे रूम मेट के माध्यम से दो विभिन्न समाज को जानने का मौका मिलेगा। किसी समाज के प्रति स्टीरियोटाइप जैसी धारणाएं भी कम होंगी। दुर्भाग्य है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी हॉस्टल मुहैया कराने में असमर्थ है दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस साल तकरीबन 52,000 स्टूडेंट्स को दाखिला मिला मगर डीयू के विभिन्न कॉलेजों को मिलाकर केवल 17 हॉस्टल्सही हैं। इस परिस्थिति में दिल्ली आकर अच्छी शिक्षा पाने की तम्मना रखने वाले स्टूडेंट्स को सबसे ज़्यादा शहर की भूगोल में दर-ब-दर होना पड़ता है। दुर्भाग्य है कि किसी भी सरकार की नज़र इस समस्या पर नहीं जाती।
शिक्षा को लेकर सरकार की उदासीनता ने पीजी (पेड गेस्ट हाउस) के व्यापार को मज़बूती से पैर फैलाने का अवसर दे दिया है।पीजी में रहना पिछड़े तबके के समाज से आने वाले स्टूडेंट्स के लिए मुश्किल है, क्योंकि सामन्यतः पीजी का चार्ज 6000 से 8000 के बीच होता है, जो कि एक किसान या मज़दूर के बच्चे के लिए दे पाना मुश्किल है। सरकार लगातार हॉस्टल्स की समस्या से मुंह फेर रही है, जिस कारण उन गरीब मज़दूरों और किसानों के सर का बोझ बढ़ा गया है जिनके बच्चे दिल्ली में पढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं।
रामजस कॉलेज में पिछले साल 5237 स्टूडेंट्स में से 1220 यूपी से और 1091 स्टूडेंट हरियाणा से दाखिला ले पाए थे। इसी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कॉलेज में यूपी, बिहार और हरियाणा से आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये प्रदेश आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं, जहां से दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रवेश पाने वाले स्टूडेंट्स अधिकांशतः यहां प्रवेश पाने वाली पहली पीढ़ी होती है। अब ज़रा सोचिए कि वह पहली पीढ़ी, जो किसी तरह से दिल्ली तक पहुंच पाई है, अगर हॉस्टल की कमी की वजह से विश्विद्यालय की देहरी से वापस हो जाए, तो क्या यह शिक्षा के मौलिक अधिकार का गला घोंटना नहीं होगा?
हॉस्टल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर सरकार ना सिर्फ इन्हें शिक्षा के मौलिक अधिकार से दूर कर रही है, बल्कि नागरिक होने के अधिकार का भी दोहन कर रही है। जब कोई स्टूडेंट अपने प्रदेश को छोड़कर पढ़ाई के लिए दिल्ली आता है, तो वह ना केवल अपने सपनों के साथ जीता है बल्कि अपने कंधे पर कई बोझ भी ढोता है परिवार की आशा स्टूडेंट के सपने के साथ कदमताल करते हुए आगे बढ़ती है। होना तो यह चाहिए कि यूनिवर्सिटी प्रशासन सभी स्टूडेंट्स को हॉस्टल की सुविधा मुहैया कराए और प्रवासी स्टूडेंट निश्चिंत होकर अपने सपने को साकार करने में अपना समय लगाएं। साल दर साल फंड कटौती और जगह की कमी की वजह से ‘हॉस्टल फॉर ऑल’ की आशा को अमलीजामा पहनाना मुश्किल है। सरकार को अपनी ज़िम्मेदारी तय करनी चाहिए। ‘हॉस्टल फॉर ऑल’ की सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए ताकि प्रवासी स्टूडेंट बेफिक्री से अपना समय पढ़ाई पर लगाकर शहर की भूगोल में दर-ब-दर होने से बच सके।

Monday, July 29, 2019

सीरिया में त्रासदी पर 'सुरक्षा परिषद भी बेबस'

अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए कड़ा संदेश जारी जारी करते हुए यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने चिंता ज़ाहिर की है कि सीरिया में मृतकों की लगातार बढ़ती संख्या अब अंतरराष्ट्रीय राडार पर नहीं है.उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 से अब तक सीरिया में लाखों बच्चे, महिलाएं और पुरुष मारे जा चुके हैं – इतनी बड़ी संख्या में कि एक विश्वसनीय आंकड़ा दे पाना भी संभव नहीं है. इस घातक हिंसक संघर्ष के शुरुआती सालों में जबकि मृतकों का आंकड़ा लगातार बढ़ने पर वैश्विक स्तर पर चिंता भी ज़ाहिर की गई थी. “लेकिन अब हवाई हमलों में बड़ी संख्या में आम लोगों की मौत होती है तो सामूहिक रूप से बस कंधे उचका लिए जाते हैं. सुरक्षा परिषद भी कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है क्योंकि लड़ाई और ख़ून-ख़राबे को हमेशा के लिए रोकने के लिए पांच स्थाई सदस्यता वाले देश अपनी ताक़त और प्रभाव के इस्तेमाल पर सहमत नहीं हैं.”
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा है कि ये दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के नेतृत्व की हार है जिसका नतीजा इतने बड़े स्तर की त्रासदी के रूप में सामने आया है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र ने बार-बार अपील की है कि हिंसा के दौरान सावधानी बरती जानी चाहिए ताकि आम नागरिक उसकी चपेट में ना आएं लेकिन फिर भी सरकार और उसके सहयोगियों की कार्रवाई में चिकित्सा केंद्रों, स्कूलों, बाज़ारों और बेकरी सहित अन्य नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है. “ये नागरिक प्रतिष्ठान हैं और जिस तरह से इन हमलों में एक पैटर्न दिखाई दे रहा है उससे ये नहीं लगता कि ये सब अनजाने में हो रहा है. हमलों में आम नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाया जाना युद्धापराध है और जिन्होंने इसका आदेश दिया है या जिनका इन हमलों में हाथ है वे अपने इस कृत्य के लिए आपराधिक रूप से ज़िम्मेदार हैं.” अभी तक मिली रिपोर्टों के अनुसार पिछले दस दिनों में दस अलग-अलग इलाक़ों में हवाई हमलों के कारण इदलिब और ग्रामीण अलेप्पो में कम से कम 103 आम लोगों की मौत हुई है जिनमें 26 बच्चे भी हैं. इनमें तीन हमले बुधवार, 25 जुलाई, को हुए. तीन महीने पहले सरकारी सुरक्षा बलों ने पश्चिमोत्तर सीरिया में नए सिरे से कार्रवाई शुरू की थी जिसके बाद अब तक मानवाधिकार कार्यालय को 450 आम लोगों के मारे जाने की ख़बरें मिली हैं. इनमें 100 से ज़्यादा लोगों की मौत पिछले दस दिनों में हवाई हमलों में हुई है. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अपील जारी करते हुए कहा है कि हिंसा में कमी लाने की ज़िम्मेदारी जिन पक्षों ने ली है उन्हें अपने प्रभाव का इस्तेमाल तत्काल सैन्य अभियान को रोकने में करना चाहिए और लड़ाई में शामिल पक्षों को फिर से वार्ता की मेज़ पर लाया जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र समाचार

अमरोहा वालो के नाम


आओ लोगो तुमको सुनाऊ अपने शहर की हालत
सुन कर तुम इस के रखवालो पर भेजोगे लानत!


लूटें, मारे गुंडे सब को, करें हैं सीना ज़ोरी
वरदी वालो की निगरानी में होती है चोरी!

आऐं हैं नेता जितने यहाँ पर सब ने किया है वादा
राशन डीलर वाले अब बाटेंगे गल्ला ज़्यादा!

लेकिन ज़्यादा छोड़ो साहिब आधा मिल नही पाया
भूके बच्चो और बेवाओं का भी हक है खाया!

बिजली यहाँ पे हर मौसम में इतनी अच्छी आऐ
जैसे कोई नई दुल्हनिया घूंघट में शरमाऐ!

बिजली चाहें पूरा सीज़न आऐ कि फिर तड़पाऐ
बिजली का बिल जितना आता है उतना ही आऐ!

सड़को और गलियों में पानी ऐसे यहाँ है भरता
जैसे हर एक घर के आगे बेहता हो कोई दरया!

पानी भरने की दिक्कत हल कोई नही कर पाया
जितना पैसा आया इस पर सब ने मिल कर खाया!

सड़को की हालत है ऐसी बस तुम कुछ मत पूछो
गाड़ी में भी लगे है जैसे घोड़े पर बेठे हो!

सरकारी टन्की का पानी साफ इतना है आऐ
कभी हो रेता, कभी हो कीड़े, कभी तो कीचड़ आऐ!

नेता बाबू इतनी कृपा बस तुम हम पर करदो
अपनी जेबे ऐसे बस तुम भरना बंद अब करदो!

अब तो उठ जाओ रे लोगो कब तक तुम सोओगे
अब तो मांगो अपने हक़ को कब तक ये खोओगे!

होश अभी भी गर नही आया तो होगा ये मन्ज़र
गर्दन होगी हम सब की गैरो के होंगे खंजर!

जनता यहाँ की इतनी प्यारी. सीधी, भोली, भाली
बैचें वोटो को अपने, फिर उम्मी-ए-खुशहाली!

चुने जो नेता उसे चुने हम उसी का लब पे हो नारा
सभी का जीते दिल कामो से बने जो सब का प्यारा!

(मेहरबान अमरोहवी )


Sunday, July 28, 2019

हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिए निवेश बढ़ाने की पुकार

हेपेटाइटिस वायरस संक्रमण पांच प्रकार के होते हैं – ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, ‘डी’ और ‘ई’. 95 फ़ीसदी से ज़्यादा मौतों के लिए लंबे समय तक रहने वाले हेपेटाइटिस ‘बी’ और ‘सी’ संक्रमण ज़िम्मेदार हैं जबकि ‘ए’ और ‘ई’ से ज़िंदगी को आमतौर पर ख़तरा नहीं होता. हेपेटाइटिस ‘डी’ एक ऐसा संक्रमण है जो कई बार हेपेटाइटिस ‘ई’ से पीड़ित लोगों को हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठनकी एक नई रिपोर्ट शुक्रवार को ‘लान्सेट ग्लोबल हेल्थ’ में प्रकाशित हुई है. रिपोर्ट दर्शाती है कि निम्न- और मध्य-आय वाले 67 देशों हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिए हर साल 6 अरब डॉलर का निवेश करन से वर्ष 2030 तक 45 लाख मौतों को रोका जा सकता है. इस निवेश को लंबे समय तक जारी रखने से 2 करोड़ 60 लाख ज़िंदगियों को बचाया जा सकता है.
67 देशों में वायरल हेपेटाइटिस सार्वजनिक स्वास्थ्य पर मंडराता एक ऐसा ख़तरा है जिसके 2030 तक उन्मूलन के लिए 58 अरब डॉलर से ज़्यादा की धनराशि की आवश्यकता है. इन प्रयासों के ज़रिए हेपेटाइटिस के नए संक्रमणों के मामलों में 90 फ़ीसदी और मौतों में 65 फ़ीसदी की कमी लाने का प्रयास किया जाएगा. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने बताया कि, “आज हेपेटाइटिस से पीड़ित 80 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों को बीमारी की रोकथाम, उसके परीक्षण या इलाज की सेवाएं मुहैया नहीं हैं.” “विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर हम साहसिक राजनैतिक नेतृत्व और निवेशों की अपील कर रहे हैं. हम सभी देशों से अपील करते हैं कि हेपेटाइटिस के लिए लाभकारी पैकेज के तौर पर एकीकृत सेवाओं की व्यवस्था की जाए जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में उनकी यात्रा का हिस्सा होंगी.” निदान के लिए ज़रूरी परीक्षणों और हेपेटाइटिस ‘बी’ और ‘सी’ के इलाज के लिए दवाइयों में निवेश के ज़रिए सभी देश मरीजों की जान बचा सकते हैं और सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी बीमारियों के लंबे इलाज में होने वाले ख़र्च में कमी ला सकती हैं. हेपेटाइटिस का सही इलाज न होने पर ये गंभीर बीमारियां होने की आशंका रहती है.
स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुछ देश इस दिशा में ज़रूरी कार्रवाई कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, भारत सरकार ने हेपेटाइटिस ‘बी’ और ‘सी’ के मुफ़्त परीक्षण और इलाज की घोषणा की है जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के तहत उसके प्रयासों का अंग है. इसके अलावा ज़रूरी दवाइयों की क़ीमतों में कमी लाई गई है. भारत में हेपेटाइटिस ‘सी’ के इलाज का ख़र्च प्रति वर्ष 40 डॉलर से भी कम है और हेपेटाइटिस ‘बी’ के इलाज में 30 डॉलर से भी कम का ख़र्च आता है. पाकिस्तान सरकार भी हेपेटाइटिस के इलाज में कम क़ीमतों में इलाज सुनिश्चित करने के प्रयासों में जुटी है. इससे दोनों देशों में तीन सालों के भीतर स्वास्थ्य ख़र्चों में कमी लाई जा सकती है. 
पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जहां हर साल हेपेटाइटिस ‘सी’ वायरस से संक्रमण की दर सबसे ज़्यादा है और जिस पर क़ाबू पाने के लिए इंजेक्शन लगाने का अभियान शुरू किया जा रहा है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की वैश्विक हेपेटाइटिस रणनीति में 2016 और 2030 के बीच हेपेटाइटिस के संक्रमणों में 90 फ़ीसदी और मौतों में 65 फ़ीसदी की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है. यूएन एजेंसी को सदस्य देशों से वैश्विक रणनीति को अपनाए जाने पर समर्थन मिला है और अब तक 194 में से 124 देश उसी पर आधारित योजनाएं तैयार कर रहे हैं. लेकिन उनमें से 40 फ़ीसदी देशों में उन्मूलन प्रयासों के लिए ज़रूरी बजट सुनिश्चित किया जाना अब भी एक चुनौती बना हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र समाचार

भूतपूर्व राष्ट्रपति एवं विश्व विख्यात वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब


ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले! ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है!! आज का दिन हम भारत वासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज ही के दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के नाम से मशहूर एपीजे अब्दुल कलाम की चौथी पुण्यतिथि पर आज (27 जुलाई) पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। साल 2015 में आज ही के दिन शिलॉन्ग  के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमैंट में स्पीच देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था। ए पी जे अब्दुल कलाम को भारतीय मिसाइल प्रणाली और अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में बेहद आम परिवार में हुआ था.जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा!
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता!!आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर पूरा राष्ट्र कृतज्ञता के साथ श्रद्धांजलि दे रहा है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आज 4थी पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, नितिन गडकरी, जितेंद्र सिंह समेत देश के तमाम बड़े नेता और देशवासी उन्हें याद कर रहे हैं और श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने उनको विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है कि उन्हें उनसे निजी और प्रोफेशनल तौर पर जुड़ने का मौका मिला था जो उनके लिए एक बड़ी बात है। वहीं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने  लिखा , 'पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी को नमन' भूपेंद्र सिंह  हूडा ने ट्वीट किया "विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तोहफा है, हमें इसे बिगाड़ना नहीं चाहिए।डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर उन्हें शत् - शत् नमन।
युवा पीढ़ी के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया." भूतपूर्व राष्ट्रपति एवं विश्व विख्यात वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब की पुण्यतिथि पर मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।डॉ. कलाम साहब ने भारत को महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं।उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायी हैं।जय हिंद. आखिर में मैं यही कहना चाहता हूं मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम साहब के योगदान को हर भारतवासी हमेशा याद रखेगा. हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा!!

रहमत का फरिश्ता ..! (लघुकथा )

डाक्टर ने विजिट पे आते ही एक पर्ची पकड़ाते हुए  अनवर से कहा - आज आप बल्ड डोनर का इंतजाम कर लो , जैसा कि आप को बताया था , समय समय पर आपको बल्ड और प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ेगी,  आपके वालिद को एक्यूटलिमिया  है , नीचे बल्डबैंक मे बात कर लो  !  अनवर के आँखो के सामने टीवी चल तो रही थी पर उसकी तस्वीर समझ आ रही थी न आवाज , वो तो विचारो मे खोया था , कि अनजाने शहर मे अपनो से दूर  जहां कोई अपना रिश्तेदार नही , कोई जाननेवाला नही , कौन देगा खून ..? और भला क्यों...?मैने  तो कभी नही और किसी को नही दिया ...? फिर ज़हन में ख्याल आया , चलो मैं ही जाकर बल्ड- डोनेट कर देता हू ! पर ये क्या बल्डबैंक वालो ने कहा - आप बल्ड रिलेशन मे हो , आप तो क्या आपके भाई-बहन,  चाचा -ताऊ , फुफी  दादा भी नही दे सकते ! उक्त वाक्यांश ने मानो अनवर के शरीर के सारे खून को जमा दिया , अब क्या होगा , यह कैसी विडंबना है  , अपना बेटा खून नही दे सकता , तो खून देगा कौन , कहाँ से डोनर  लाऊ ..?अचानक मानस- पटल पे सारे दोस्तो के चेहरे क्लिक करने लगे , हां ये दे सकता है,  हां वो दे सकता है  , नही नही वो नही दे सकता वो ड्यूटी मे होगा ...! पल में ही सैकड़ो विचारों ने जन्म लिया और दम तोड़ दिया !  फिर मन मे विचार आया कंट्रोल रूम को फोन करता हू , ये क्या भाग्यवश फोन रिसीव करने वाला अपना दोस्त अपना बैंचमैट डी के सिंह था , ऊसने डाडास बाँधते हुऐ कहा - भाई तु चिंता मत कर , आधे घंटे का समय दे , रहमत के फरिश्ते तुझे खुद फोन करेगे , मुझे सारे स्टेशन पे मैसेज तो पास करने दे !  आधे घंटे बाद ही डी के सिंह का फोन आया -  बंधु ... अनवर सब कुछ ठीक होगा , चाचा जी की तबीयत कैसी है,  तु चिंता मत कर  , दो डोनर मिल गया है ,  एक सुनील खोट दुसरा शिवपाल सिंह , और ड्यूटी खत्म होने मे एक घंटे बचे है!  ड्यूटी खत्म होते  ही दोनो तुझे फोन करेगें , और कितने यूनिट की जरूरत है  बताना , अशोक भी अरेंज कर रहा है  ...!  अनवर ने  भर्राई हुई आँखो को कुछ देर के लिए  बंद किया और शून्य मे कल्पना कल्पित हो अपने दोस्तो और रहमत के फरिश्तों को एक -एक कर गले लगाने लगा , और खुद मे एक निश्चय किया , कि अब वो भी बनेगा , एक रहमत का फरिश्ता  , दुसरे भाई के लिए,  दुसरे चाचा के लिए  , पुरे देश ही नही दूनिया के लिए  हां - बल्ड डोनर ...एक रहमत का फरिश्ता  ! - अनवर हुसैन अणु भागलपुरी

Saturday, July 27, 2019

नॉन वेज खाने वालों को लगा बुरा रोग, डॉक्टरों ने दी चौंकाने वाली खबर

नॉनवेज (मांसाहार) खाने वाले हो जाएं सावधान। बकरा, मुर्गा और मछली का मांस खाने वालों में हाईग्रेड एंटीबायोटिक्स कोलिस्टिन बेअसर हो रही है। मांस उत्पादन के लिए पशुओं को कोलिस्टिन वाले पौष्टिक आहार खिलाने से उनमें कोलिस्टिन की एंटीबॉडी विकसित हो गई है। केन्द्रीय दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। इसके बाद केन्द्र सरकार ने पशु आहार में कोलिस्टिन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कोलिस्टिन में स्टेरॉयड के गुण पाये जाते हैं। इसके सेवन से पशुओं का विकास तेजी से होता है। वे मांसल होते हैं। इसको देखते हुए ही पशुओं के लिए बनाए जाने वाले ज्यादातर पौष्टिक आहार में इस दवा का उपयोग हो रहा है। मुर्गी पालन केन्द्रों पर इस दवा का सर्वाधिक प्रयोग होता है। यह दवा मुर्गियों को बीमारी से बचाने के साथ ही उनके विकास को तेज कर देती है। मत्स्य पालक भी इसका प्रयोग करते हैं।
इंसानों में मिले दवा के प्रतिरोधक गुण: कोलिस्टिन को हाईग्रेड एंटीबायोटिक्स की श्रेणी में रखा जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग अत्यंत गंभीर बीमारियों में इलाज के लिए किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में हजारों मरीजों की पहचान हुई। केन्द्र सरकार की दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड की जांच में इसकी पुष्टि हुई। इसके बाद बोर्ड ने कोलिस्टीन को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की।
केन्द्र सरकार ने लगाया उपयोग पर प्रतिबंध: केंद्र सरकार ने बीते 19 जुलाई को अधिसूचना जारी करके कोलिस्टिन और इसके फॉर्मूलेशन के दुधारू पशुओं, मुर्गे-मुर्गी, एक्वा फार्मिंग और पशुओं के आहार में प्रयोग करने पर रोक लगा दी है। अधिसूचना में कहा गया की यह फैसला औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिश पर किया गया।
बैक्टीरिया संक्रमण पर असरकारक है कोलिस्टिन: कोलिस्टिन का उपयोग तब होता है जब मरीज में दूसरी सभी एंटीबॉयोटिक्स फेल हो जाती है। यह ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया पर सबसे ज्यादा असरकारक है। यह निमोनिया के अंतिम चरण में सबसे असरकारक दवा है। फिजीशियन डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि देश में कोलिस्टिन का आयात चीन से होता है। चीन में इस दवा का नियंत्रित उपयोग होता है। वहां भी पशुओं पर इस दवा का उपयोग प्रतिबंधित है।
बोले डॉक्टर: कोलिस्टिन का मरीजों में प्रतिरोध बढ़ना खतरनाक संकेत है। यह सबसे अंतिम चरण की उच्चस्तरीय एंटीबायोटिक है। मरीज पर जब अधिकांश एंटीबायोटिक बेअसर हो जाती है तब कोलिस्टिन का प्रयोग किया जाता है। -डॉ. संजीव गुप्ता, फिजीशियन

विचारों में उदारता नहीं तो सुंदरता का कोई मूल्य नहीं

एक अती सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है। जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई। उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस से बोला "मै इस सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊँगी। क्योंकि साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है उसके दोनों हाथ नहीं हैं। उस सुन्दर महिला ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया। असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है..?" सुंदर' महिला ने जवाब दिया "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी।" दिखने में पढी लिखी और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला की यह बात सुनकर एयर होस्टेस अचंभित हो गई। 

महिला ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि "मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती। अतः मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए।" एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी। एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि "मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट खाली नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है अतः मैं विमान के कप्तान से बात करती हूँ कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें।" ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई। कुछ समय बाद लोटने के बाद उसने महिला को बताया, "मैडम! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है |

इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है।" 'सुंदर' महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा  "सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे..? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा कर के परेशान हों। यह बात सुनकर सभी यात्रियों ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अति सुन्दर दिखने वाली महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी। तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा,

"मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ। और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे। सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था। की मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये..? लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों के लिए अपने दोनों हाथ खोये।" और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए। सुंदर' महिला पूरी तरह से अपमानित होकर सर झुकाए सीट पर बैठ गई। अगर विचारों में उदारता नहीं है तो ऐसी सुंदरता का कोई मूल्य नहीं है।

मैरे पास ये कहानी आई थी। मैंने इसे पढ़ा तो हृदय को छू गई इसलिये पोस्ट कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों भी बहुत पसंद आएगी।

सफदरजंग अस्पताल में बुजुर्गों के लिए विशेष ओपीडी की सुविधा

केंद्र द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल में रविवार को बुजुर्गों को स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए एक विशेष बाह्यरोगी विभाग (ओपीडी) खोला गया है। ओपीडी का उद्घाटन शनिवार सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने किया। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता ने कहा कि शुरुआत में यह सेवा पांच विभागों- मेडिसिन, सामान्य सर्जरी, ईएनटी, नेत्र रोग विभाग, अस्थि रोग विभाग में उपलब्ध रहेगी। केंद्रीय मंत्री ने यहां कुछ और चिकित्सा सुविधाओं का भी उद्घाटन किया जिसमें रेडियोलॉजी विभाग में अडवांस्ड 3टी एमआरआई प्रणाली-जीई हेल्थकेयर्स 750डब्ल्यू, एक कैथ लैब और यूरोलॉजी विभाग में लिथोट्रिप्सी मशीन भी शामिल हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि स्वास्थ्य सरकार के एजेंडे में टॉप पर है और नई ओपीडी यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री देश को मौलिक रूप से बदलने और लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह नए सुपर स्पेशिऐलिटी ब्लॉक भी गए और वहां एक पौधा लगाया।  स्वास्थ्य मंत्री ने परिसर में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र का भी दौरा किया। ओपीडी सेवाएं सुबह साढ़े नौ बजे से शुरू होकर साढ़े बारह बजे तक उपलब्ध रहेंगी। डिस्पेंसरी में दवाएं सुबह साढ़े नौ बजे से अपराह्न एक बजे तक मिलेंगी। इमरजेंसी ब्लॉक में डॉयग्नोस्टिक सेवाएं उपलब्ध होंगी। गुप्ता ने कहा कि बुजुर्गों के लिए सप्ताह के कार्यदिवस में भी ओपीडी सुविधा रहती है लेकिन यह सामने आया कि काफी भीड़ की वजह से बुजुर्ग लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है। उन्हें लंबी कतारों से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।


Friday, July 26, 2019

करगिल दिवस पर शहीदों को समर्पित

उतुंग करगिल के रण में क्या भीषण युद्ध नजारा था ।
दुश्मन जिंदा ना बच पाये बस ये अभियान हमारा था ।।

शांति वार्ता की बस में शत्रु भारत में घुस बैठे ,
वीर अटल मक्कार मुसर्रफ के झांसे में फस बैठे ,
सरकारी गहमा गहमी में यूँ समय बीतता चला गया,
नापाक पड़ौसी के हांथों भारत महान फिर छला गया,
जब फौजों को भनक लगी शत्रु ने सरहद पार किया ,
चोटी पर जगह बना बैठा और चौकी पर अधिकार किया ,
तब फोजों को फरमान मिला अब मारो इस पाखंडी को ,
मदिरा शोणित की पिला पिला खुस करो काल रण चंडी को ,
दुश्मन का लाभ निराला था चोटी का उसे सहारा था ।
उतुंग करगिल के रण में क्या भीषण युद्ध नजारा था ।।1

दुश्मन चोटी पर काबिज था सेना घाटी में जमी हुई ,
कैसे हिमगिरी पर कब्जा हो जनरल की सांसें थमी हुई,
चींटी भाँती सैनिक टुकड़ी तोपो को ले के चढ़ती थी ,
तब ताप शून्य से नीचे था ऊँचे पर सांस उखड़ती थी ,
गोलियां बरसती थी रण में हम भारत माता गाते थे ,
गोले नीचे से दाग दाग दुश्मन के होश उड़ाते थे ,
बाहे गुरु जय बोले था कोई बोले था जय जय शंकर ,
तब हर हर महादेव नारों से गूंजे नगपति के कंकर ,
उस बर्फानी मौसम ने उगला शोलों का यलगरा था ।
उतुंग करगिल के रण में क्या भीषण युद्ध नजारा था ।।2

बफोर्स चढ़ी जब पर्वत पर गोले बरसाना शुरू किया ,
उठ गई लपट हिम खंडों में तूफान मचाना शुरू किया ,
इस तरह घनकती थी तोपें क्षण क्षण गोले बरसाती थी ,
अरि खबरदार तब तक बारूदी वज्र गिरातीं थी ,
तोपों से गोले दाग दाग दहलाया दुष्ट बवाली को ,
शोणित की मदिरा पिला पिला कर दिया तुष्ट रण काली को ,
नभ थल सेना थी एक साथ अस्त्रों शास्त्रों का जाल बिछा ,
बंकर में दुश्मन चीख उठा हाय अल्ला हमारी जान बचा ,
तब लहू लुहान हुआ हिम गिरि दिखता शोणित फब्बारा था ।
उतुंग करगिल के रण में क्या भीषण युद्ध नजारा था ।।3

चिड़ियों पर बाज झपटने सा भारत के सैनिक टूट पड़े ,
अल्ला अल्ला की चीख उठी हथियार छोड़ हो गए खड़े ,
नभ थल सेना ने मिला हाथ प्रलयंकर अस्त्र प्रहार किए ,
बंकर के अंदर छुपे हुए सारे दुश्मन संहार किये ,
दहल उठी पूरी घाटी इस तरह युद्ध का हुआ अंत ,
नदियां तरुबर पक्षी रोये खुद साक्ष्य बना अम्बर अनंत ,
इस भीषण युद्ध विभीषिका में हमने भी लाल गंवाए है,
कुछ ऐसे वीर बाँकुरे थे ना घर तक वापस आये है ,
योद्धा का शव आँगन आया दो शब्द गगन में डोल रहे ,
बिटिया तुतला पूंछ रही मेले पाप क्यों नहीं बोल रहे ,
बच्ची की करुण पुकारें सुन टूटा नभ से कोई तारा था ।
उतुंग करगिल के रण में क्या भीषण युद्ध नजारा था ।।

जसवीर सिंह 'हलधर'
देहरादून उत्तराखंड --248001

Thursday, July 25, 2019

विपक्ष के भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में ध्वनि मत से पास हुआ RTI संशोधन बिल

लोकसभा के बाद राज्यसभा में RTI संशोधन बिल भी ध्वनि मत से पास हुआ. इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया. प्रस्ताव के खिलाफ 117, विपक्ष में 75 वोट पड़े. वोटिंग से ठीक पहले हालांकि कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया. बता दें कि सरकार ने इस बिल के लिए ज़रूरी नंबर पहले से ही जुटा लिए थे जब NDA के बाहर की कई पार्टियों का समर्थन उसे हासिल हो गया. TRS, BJD और PDP इस बिल पर सरकार को समर्थन का ऐलान किया था. वहीं, YSR कांग्रेस ने भी RTI संशोधन बिल को लेकर सरकार का समर्थन करने का फैसला किया था. इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने की विपक्ष की साझा मुहिम को इससे ज़ोरदार झटका लगा था. इस बिल के लिए विपक्षी दलों के मनाने के लिए पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी ने सरकार की ओर से मोर्चा संभाला हुआ था. बुधवार रात को सभी नेताओं से बात की थी. उन्होंने चंद्रबाबू नायडू, के चंद्रशेखर राव, जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक सहित कई विपक्षी नेताओं से फोन पर बात की थी.
बिल पर सरकार की दलील: सरकार की दलील है कि आरटीआई बिल से संवैधानिक ढांचे से छेड़छाड़ नहीं की गई है, वहीं राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं किया गया है. वेतन में एकरूपता लाने के लिए संशोधन किया जा रहा है. इस जरिए कार्यकाल में भी एकरूपता लाने की कोशिश होगी. सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा. संबंधित राज्यों को नियुक्ति का अधिकार है. सरकार का दावा, राज्य सभा में बिल पास कराने में नहीं आएगी अड़चन, आसानी से पास हो जाएगा. बता दें, विपक्षी दल आरटीआई कानून में संशोधन का विरोध कर रहे हैं. विपक्षी दलों की मांग है कि सूचना अधिकार (संशोधन) बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए."
नए विधेयक की खास बातें
  • विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आरटीआई अधिनियम की धारा13 मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की पदावधि और सेवा शर्तो का उपबंध करती है. इसमें उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन , भत्ते और शर्ते क्रमश: मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के समान होगी.
  • इसमें यह भी उपबंध किया गया है कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों का वेतन क्रमश : निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव के समान होगी. 
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के वेतन एवं भत्ते एवं सेवा शर्ते सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समतुल्य हैं. ऐसे में मुख्य सूचना आयुक्त , सूचना आयुक्तों और राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन भत्ता एवं सेवा शर्तें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समतुल्य हो जाते हैं. 
  • वहीं केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग , सूचना अधिकार अधिनियम2005 के उपबंधों के अधीन स्थापित कानूनी निकाय है. ऐसे में इनकी सेवा शर्तो को सुव्यवस्थित करने की जरूरत है.  
  • संशोधन विधेयक में यह उपबंध किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन , भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय होगी. 

क्या है सरकार का पक्ष 
  • RTI से जानकारी लेना आसान होगा
  • RTI से जुड़े प्रबंधन में आसानी होगी
  • पारदर्शिता लाना, सरकार की प्राथमिकता
  • 2005 में जल्दबाज़ी में लाया गया बिल
  • क़ानून बनाते वक़्त सही नियम नहीं बने
  • RTI क़ानून को मज़बूत कर रही है सरकार

कौन-कौन सी पार्टियां हैं विरोध में
  • कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, बीएसपी, एसपी

सूचना के अधिकार की क्या हैं मूल बातें
  • सरकारी रिकॉर्ड देखने का मौलिक अधिकार
  • 30 दिन के अंदर देना होता है जवाब
  • देरी पर 250 रुपये प्रति दिन जुर्माना
  • 2005 में UPA सरकार के दौरान बना क़ानून

Tuesday, July 23, 2019

यूजीसी ने जारी की फर्जी विश्वविद्यालयों की लिस्‍ट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी कि यूजीसी (UGC) ने 23 स्वघोषित, फर्जी और गैर-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की एक लिस्‍ट (UGC Fake Universities List) जारी की, जिनमें से सबसे अधिक आठ उत्तर प्रदेश में हैं. यूजीसी ने स्‍टूडेंट्स को इन संस्थानों में एडमिशन लेने के खिलाफ आगाह किया है. यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा, "छात्रों और लोगों को सूचित किया जाता है कि वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों में यूजीसी अधिनियम का उल्लंघन कर 23 स्वघोषित, गैर-मान्यता प्राप्त संस्थान चल रहे हैं." इनमें से आठ विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में हैं, उसके बाद दिल्ली में सात हैं. केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पुडुचेरी में एक-एक फर्जी विश्वविद्यालय हैं.
यूजीसी ने कहा, 'इन विश्वविद्यालयों को फर्जी घोषित किया गया है और उन्हें कोई डिग्री देने का हक नहीं है.' दिल्ली में कॉमर्शियल यूनिवर्सिटी, यूनाईटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, वोकेशनल यूनिवर्सिटी, एडीआर - सेंट्रिक जूरिडिकल यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ सांइस एंड इंजीनियरिंग, विश्वकर्मा ओपेन यूनिवर्सिटी फॉर सेल्फ इम्प्लॉयमेंट और आध्यात्मिक विश्वविद्यालय फर्जी यूनिवर्सिटी की लिस्‍ट में शामिल हैं. 
ये है फर्जी विश्‍वविद्यालयों की पूरी लिस्‍ट:
दिल्‍ली

1.  कॉमर्शियल यूनिवर्सिटी लिमिटेड, नई दिल्‍ली
2. यूनाईटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली
3. वोकेशनल यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली
4. एडीआर - सेंट्रिक जूरिडिकल यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली
5. एडीआर - सेंट्रिक जूरिडिकल यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली
6. विश्वकर्मा ओपेन यूनिवर्सिटी फॉर सेल्फ इम्प्लॉयमेंट, नई दिल्‍ली
7. आध्यात्मिक विश्वविद्यालय, नई दिल्‍ली 
उत्तर प्रदेश

8. वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी (यूपी), नई दिल्‍ली
9. महिला ग्राम विद्यापीठ/ विश्‍व‍विद्यालय (वीमेन्‍स यूनिवर्सिटी), प्रयाग, इलाहाबाद (यूपी)
10. गांधी हिन्‍दी विद्यापीठ, इलाहाबाद
11. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्‍ट्रो कम्‍प्‍लेक्‍स होम्‍योपैथी, कानपुर
12. नेताजी सुभाष चंद्र बोस यूनिवर्सिटी, अचलताल, अलीगढ़
13. उत्तर प्रदेश विश्‍वविद्यालय, कोसीकला, मथुरा
14. महाराणा प्रताप शिक्षा निकतेन विश्‍वविद्यालय, प्रतापगढ़
15. इन्‍द्रप्रस्‍थ शिक्षा परिषद, इन्‍स्‍टीट्यूशनल एरिया, नोएडा 
कर्नाटक 

16. बडागानवी सरकार वर्ल्‍ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी, गोकाक, बेलगाम (कर्नाटक)
केरल

17. सेंट जोन विश्‍वविद्यालय, कृष्‍णट्म, केरल
महाराष्‍ट्र

18. राजा अरेबिक यूनिवर्सिटी, नागपुर 
पश्चिम बंगाल

19. इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ ऑल्‍टरनेटिवमेडिसिन, कोलकाता
20. इंस्‍टीट्यूट ऑफ अल्‍टरनेटिव मेडिसन एंड रिसर्च, कलकत्ता 
ओडिसा

21. न‍व भारत शिक्षा परिषद, राउरकेला
22. नॉर्थ ओडीसा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्‍चर एंड टेक्‍नोलॉजी, उड़ीसा

पुडुचेरी

23. स्‍त्री बोधी एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, पुडुचेरी

Monday, July 22, 2019

डोकलाम विवाद -डोभाल वार्ता

सीमा पर पकड़ बनाने को ,भारत पर अकड़ दिखाने को ।
भूटान देश की सरहद पर , आया  क्यों  हमें डराने  को ।।

खिंच गया माथ संसय लेखा ,टूटी अतिक्रमण की रेखा ।
अपनी सीमा की रक्षा में , ढुकलाम दिखा प्रतीक्षा में ।
राजा भूटान भि दिखे विकल,  सैना भारत की गयी संभल ।
ड्रैगन तन कर के खड़ा हुआ ,दादा बन कर के अड़ा हुआ ।
भारत की सैना पहुँच गयी ,ड्रैगन को सबक सिखाने को ।
भूटान देश की सरहद पर ,आया क्यों हमें  डराने को ।।1

लकिन वो जिद कर बैठा था ,उल्टा भारत पर ऐठा था ।
सेनायें सम्मुख आयी थी ,आपस में हाथा पायी थी ।
लड़ने को  वो तैयार खड़ी,रण चंडी पैर पसार खड़ी ।
डोभाल बीजिंग को धाये,जिंगपिंग को समझा के आये ।
बोले शांति का दूत मान , आया विध्वंश बचाने को ।
भूटान देश की सरहद पर ,आया क्यों हमें  डराने को ।।2

अपना पूरा रुख जता दिया ,सीधे शब्दों में बता दिया ।
भारत ना बासठ वाला है ,अब तेरे लिये उठाला है ।
भारत की टीस बढ़ायेगा ,टुकड़े टुकड़े हो जायेगा ।
यदि मर्यादा तू तोड़ेगा ,अपनी ही किस्मत फोड़ेगा ।
मैं बुद्ध भूमि से आया हूँ, तेरा मन शुद्ध कराने को ।
भूटान देश की सरहद पर , आया क्यों हमें डराने को ।।3

भारत ना रुकने वाला है ,सम्मुख ना झुकने वाला है ।
ना ढोकलाम ले पायेगा ,अक्साई भी दे जायेगा ।
ना चल असाध्य को साधन तू ,ना चल भारत को बांधन तू ।
हम बुद्ध भाव सौदाई हैं ,तू बुद्ध धर्म अनुयायी है ।
मैं रात विताने ना आया ,आया औकात दिखाने को ।
भूटान देश की सरहद पर ,आया क्यों हैं  डराने को ।।4

हमने दुनियां को बुद्ध दिये ,महा भारत जैसे युद्ध दिये ।
तू रख अपनी धरती तमाम ,हम छोड़ेंगे ना डोक लाम ।
यदि बात समझ में ना आयी,तो रोयेंगी चीनी मायी ।
बोटी बोटी कट जायेंगे ,हम इंच नहीं हट पायेंगे ।
बच्चा बच्चा तैयार खड़ा ,भारत माँ पर मिट जाने को ।
भूटान देश की सरहद पर ,आया क्यों हमें डराने को ।।5

जल सैना ताकत जानी नहीं ,थल सेना आफत जानी नहीं !
जाटों का हमला देखा नहीं ,सिक्खों का अमला देखा नहीं !
गढवाली देखे ना लड़ते ,रण चंडी खप्पर ले चढ़ते !
तू मर्द मराठे देख जरा ,यदुवंशी पटठे देख जरा !
गुरखों का टोला आता है , चंडी पर भेंट चढ़ाने को !
भूटान देश की सरहद पर ,आया क्यों हमें डराने को ।।6

तूने भारत को जाना ना ,तू सही सही पहचाना ना !
राणा के वंशज देख खड़े ,अकबर के अंशज देख खड़े !
घट घट में राम की वर्षा है ,हर परशुराम कर फरसा है !
वो धरा लाल हो जाएगी ,कल का सवाल हो जाएगी !
पूरी दुनियाँ फिर कोसेगी ,चीनी की जात मिटाने को !
भूटान देश की सरहद पर  ,आया क्यों हमें डराने को ।।7

ये इतना भीषण रण होगा ,दोनों के लिये क्षरण होगा !
धरती अंबर सब डोलेंगे ,शिव नेत्र तीसरा खोलेंगे !
जब मान सरोवर में शंकर ,फूटेंगे हो कंकर कंकर !
धरती पानी  पानी होगी ,तेरी ज्यादा हानी होगी !
भारत की ताकत का तुझको ,आया अंदाज कराने को !
भूटान देश की सरहद पर , आ गया क्यों हमें  डराने को ।।8

हुंकार तू सुन ले रघुपति की ,फुँकार तू सुन ले नगपति की !
जापान लड़ेगा भारत संग ,दक्षिण कोरिया भी करे जंग !
तेरी गति वापस मोडन को ,तैयार ट्रम्प मुँह तोड़न को !
न चिन्न तेरा बच पायेगा,तू छिन्न भिन्न हो जाएगा !
वंशज हूँ विश्व गुरु का मैं ,आया हूँ पाठ पढाने को !
भूटान देश की सरहद पर ,आया क्यों हमें डराने को ।।9

झगड़ा ना देखे ओर छोर ,ना बात राड की बढ़ा और !
कुछ हासिल ना कर पाएगा ,व्यापार ठप्प हो जाएगा !
दोनों की जनसंख्या भारी ,दोनों की बड़ी ज़िम्मेदारी !
ये धरा हरी सिंह नलवा की ,कविता है "हलधर "जसुवा की !
सब देश ताक में बैठे हैं ,हम दोनों के भिड़ जाने को !
भूटान देश की सरहद पर ,आया क्यों हमें डराने को ।।10

जसवीर सिंह 'हलधर'
देहरादून उत्तराखंड --248001

नौनिहालों को कुपोषण के गर्त से बचाने की ख़ातिर

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता व्यवस्था के पैरोकारों के रूप में हम सभी ने शून्य में ताकती आँखों को देखा है, आँखें एक ऐसे बच्चे की जिसका शरीर कुपोषण की वजह से हड्डियों ढाँचा भर रह गया है जिसमें जीवन जैसे अंतिम साँसें गिन रहा हो, उसकी धीमी गति से आती-जाती साँसों से ही बस उसके जीवित होने का  पता चलता है." ये शब्द हैं संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता के कार्यों में सक्रिय एजेंसियों के जो दुनिया भर में कुपोषण के शिकार बच्चों का हालत बयान करने के लिए व्यक्त किए हैं.
इन एजेंसियों ने रविवार को जारी एक वक्त्य में कुपोषण के शिकार बच्चों की हालत को कुछ इस तरह बयान किया... जब किसी बच्चे को मौत के मुँह में जाने से नहीं बचाया जा सकता है तो हम सभी उससे बहुत व्यथित होते हैं. लेकिन साथ ही हमने ये भी देखा है कि संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी और पार्टनर किस तरह अथक काम करते हैं – कभी कभी तो बहुत ख़तरनाक हालात में – ताकि मौत के कगार पर पहुँच चुके बच्चों की ज़िन्दगी बचाई जा सके, ताकि भूख से बदहाल और कुपोषित किसी बच्चे को ऐसे हालात का फिर से सामना ना करना पड़े.
संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष गंभीर कुपोषण का शिकार लगभग एक करोड़ बच्चों को ऐसी चीज़ें और सेवाएँ मुहैया कराता है जिनकी उन्हें जीवित रहने के लिए ज़रूरत होती है. इनमें स्वस्थ रहने के लिए भोजन, संक्रमण व बीमारियों से बचाव के लिए इलाज, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता के काम आने वाला सामान व सेवाएँ शामिल हैं. साथ ही पीने का साफ़ पानी और एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए ज़रूरी पोषक ख़ुराक़ भी मुहैया कराए जाते हैं. कुपोषण की शिकार लगभग 20 लाख गर्भवती महिलाओं और पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं को ख़ुद के साथ-साथ अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक ख़ुराकें दी जाती हैं.
इनके साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष ऐसे करोड़ों बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक चीज़ें उपलब्ध कराता है ताकि वो कुपोषण का शिकार ना हों. इसके लिए महिलाओं को अपने बच्चों को अपना दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि उन्हें समुचित मात्रा में हर समय स्वस्थ और पोषक ख़ुराक़ें मिलती रहें. फिर भी दुनिया भर में कई दशकों तक भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में कमी आने के बाद अब पिछले कुछ वर्षों में इस संख्या में वृद्धि हुई है. इस समय दुनिया भर में लगभग 82 करोड़ लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता है. इनके अलावा पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 5 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. लगभग 14 करोड़ 90 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार होने की वजह से शारीरिक व मानसिक रूप से अविकसित हैं.
संयुक्त राष्ट्र समाचार

Saturday, July 20, 2019

मलेरिया में भूलकर भी रोगी को खाने के लिए न दें ये 5 चीजें

मलेरिया बुखार मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है. जो फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है. इस मादा मच्छर में एक खास प्रकार का जीवाणु पाया जाता है जिसे डॉक्टरी भाषा में प्लाज्मोडियम नाम से जाना जाता है. यह जीवाणु लिवर और रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करके व्यक्ति को बीमार बना देती है. समय पर इलाज न मिलने पर यह रोग जानलेवा भी हो सकता है.
मलेरिया के लक्षण-
बुखार, पसीना आना, शरीर में दर्द और उल्टी आना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं. इस रोग से बचने के लिए घर के आस-पास गंदगी और पानी इकठ्ठा न होने दें. ऐसी कोई भी चीज जिससे मच्छर पैदा हो सकते हो उसे करने से बचें.  


मलेरिया में क्या खांए-
 - मलेरिया के रोगी को सेब खिलाने से फायदा मिलता है. 
- पीपल का चूर्ण शहद में मिलाकर उसका सेवन करवाने से भी मलेरिया के बुखार में लाभ मिलता है.
- दाल-चावल की खिचड़ी, दलिया, साबूदाना पौष्टिक होने के साथ पचने में भी आसान होते हैं. इसका सेवन करने से फायदा मिलता है. 
- नीबू काटकर उस पर काली मिर्च का चूर्ण व सेंधा नमक डालकर चूसें. ऐसा करने से बुखार की वजह से खराब हुआ मुंह का स्वाद ठीक होगा और रोगी को फायदा भी पहुंचेगा. 
- मलेरिया ज्वर में अमरूद खाने से रोगी को लाभ मिलता है.
- तुलसी के पत्तों के साथ काली मिर्च को पानी में उबालने के बाद इस पानी को छानकर पिएं.


मलेरिया में क्या न खांए-
- ठंडा पानी बिल्कुल न पियें और ना ही ठंडे पानी से नहाएं.
- रोगी को आम, अनार, लीची, अनन्नास, संतरा जैसे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे फायदा नहीं नुकसान होगा. 
- बुखार से पीड़ित व्यक्ति एसी में ज्यादा न रहें.
- दही, शिकंजी, गाजर, मूली जैसी ठंड़ी चीजों का सेवन करने से बचें.- मिर्च-मसाले व अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.


मलेरिया से बचाएंगी ये सावधानियां-
-मच्छरों को घर के अंदर या बाहर पनपने से रोकें. इसके लिए अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें.
-ठहरे हुए पानी में मच्छर न पनपे इसके लिए बारिश शुरू होने से पहले ही घर के पास की नालियों की सफाई और सड़कों के गड्ढे आदि भरवा लें. 
-घर के हर कोने पर समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें. 
-बारिश के मौसम में मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें. 



3 बार मुख्यमंत्री, एक बार राज्यपाल और सांसद रहीं शीला दीक्षित का निधन, जानें उनके राजनीतिक सफर के बारे में

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित का निधन हो गया. पूर्व सीएम की आकास्मिक मौत से पार्टी में शोक की लहर है. कांग्रेस ने शीला दीक्षित के निधन पर शोक प्रकट किया है. बताया जा रहा है कि दिल का दौरा पड़ने की वजह से आज दोपहर 3 बजकर 55 मिनट उनका निधन हुआ. शीला दीक्षित के निधन के बाद उनके आवास पर बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं. वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहीं थी और अस्पताल में भी भर्ती थीं.

 शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर
15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने वालीं शीला दीक्षित इससे पहले 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उप्र) से सांसद रह चुकी हैं. इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वह राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी थीं. शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को मिली अप्रत्याशित जीत के बाद शीला दीक्षित ने राजनीति से दूरी बना ली थी. लेकिन लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी की अगुवाई में उन्होंने दिल्ली की कमान संभाली थी. हाल ही में प्रदेश स्तर पर शीला दीक्षित बनाम पीसी चाको के बीच अनबन की खबरें भी सामने आई थी. पीसी चाको ने अपने पत्र में जिक्र किया था कि शीला दीक्षित बीमार चल रही हैं.  

शीला दीक्षित की पढ़ाई
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था. शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीलाजी एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. उनके बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद रह चुके हैं. दरअसल, मिरांडा हाउस से पढ़ाई के दौरान ही उनकी राजनीति में रुचि थी. 

दिल्ली की 3 बार मुख्यमंत्री
शीला दीक्षित अपनी काम की बदौलत कांग्रेस पार्टी में पैठ बनाती चली गईं थी. सोनिया गांधी के सामने भी शीला दीक्षित की एक अच्छी छवि बनी और यही वजह है कि राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें खासा महत्व दिया था. साल 1998 में शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गईं थी. 1998 में ही लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ीं, मगर जीत नहीं पाईं थी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि तीन-तीन बार मुख्यमंत्री भी रहीं!

Friday, July 19, 2019

निजामुददीन में गन्दगी की भरमार

एक ओर पुरे भारत में स्वच्छ भारत अभियान चालू है दुसरी तरफ देष की राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक क्षेत्र हजरत निजामुद्दीन की सुन्दर नरसरी डीपीएस मथूरा रोड मे बढती सीवर के पानी और गन्दगी ने लोगों का जीना हराम कर दिया है लोगों ने क्षेत्र के किसी भी अधिकारी तथा कोई विभाग को नहीं छोडा है जिससे समस्या के बारे में अवगत न कराया हो, लेकिन हमारे क्षेत्रीय अधिकारी सिर्फ आषवासन देते हैं
गोल चक्क्र की मस्जिद के पास सबसे बुरी हालत है,  इस गन्दगी से लोगों को जूझते हुए 2 साल से ज्यादा का समय हो गया परन्तू इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा, प्रषासन भी पुरी तरह से इस क्षेत्र में कोई भी कार्य करने में लापरवाही कर रहा है, अब हालात ये चुके हैं कि लौग बिमारी का षिकार बन रहे हैं, क्षेत्र में सफाई की समस्या दिन प्रदिन बढती जा रही है, लेकिन प्रषासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा, 

Thursday, July 18, 2019

हज़रत सुल्तान गारी का उर्स इतवार को

(mtmediadelhi.blogspot.com) दिल्ली के वसंत कुंज इंक्लेव में 21 जुलाई इतवार 2019 को सालाना उर्स पाक हज़रत सुल्तान गारी रहमतुल्ला होगा, मखदूम खिदमत सोसायटी ने बताया कि ग़ुस्ल 9 बजे, चादर पोशी 10 बजे, कुल शरीफ की फातिहा 11 बजे, लंगरे आम 12 बजे होगा, मोहम्मद रईस अहमद साबरी चिश्ती साबरी ने सभी से उर्स में पहुंचने की अपील करी है..!

Wednesday, July 17, 2019

सरकारी अव्यवस्था से त्रस्त लोगों ने कर दिया गड्ढों का नामकरण संस्कार

(mtmediadelhi.blogspot.com) नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र के ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र में पंचशील विहार के लोगों ने बिना बरसात के उनके इलाके में गाद से भरी सड़कों, गड्ढों पर विरोध प्रदर्शन किया। इस अनूठे प्रदर्शन में उन्होंने गड्ढों को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं आप सरकार के मंत्रियों, विधायकों के नाम पर नामकरण कर दिया। दिल्ली सरकार व स्थानीय प्रशासन के खिलाफ आज पंचशील विहार के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन बताया कि क्षेत्रीय विधायक सौरभ भारद्वाज पूरी तरह से विफल रहे हैं। चिराग दिल्ली के पंचशील विहार के लोगों का कहना था कि बड़े-बड़े गढ्ढों के कारण इस रोड में आये दिन हादसे होते हैं और सीवर का पानी भी यहां की सड़कों में भरा रहता है बच्चे स्कूल जाते हैं तो उनके स्कूल की यूनिफॉर्म खराब हो जाती है और  आवागमन में लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। लेकिन इन सबके वाबजूद भी  इस समस्या के प्रति न तो सरकार और न ही उसके कोई नुमांइदे इस बात की सुध लेने आते हैं।आज स्थानीय लोगों ने प्रतिभा सूरज चौहान के इस असुविधा से परेशान होकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके मंत्रियों एवं विधायक के पोस्टर लगा कर सभी गढ्ढों का नामकरण कर दिया। सभी गढ्ढों को केजरीवाल समेत उनके मंत्री, विधायकों के नाम दे दिए गए । सूरज चौहान और श्रीमती प्रतिभा चौहान की अगुवाई में स्थानीय लोगों ने पंडित को बुलाकर सभी गढ्ढों के नाम अरविंद और उसकी टीम के नाम पर रख दिए। स्थानीय लोगों का कहना था कि आने वाले बरसात के मौसम में यह समस्या और भी बढ़ जाएगी इसीलिए वो यह प्रदर्शन कर रहें हैं उन्हें उम्मीद है की शायद केजरीवाल के बहरे कान इस प्रदर्शन की गूंज से खुल जायें और वह उनकी समस्या का निदान करवाएं। स्थानीय लोगों ने कहा कि समस्या  वर्षों से बनी हुई है अगर यह समस्या जल्द दूर नहीं की गई तो इस क्षेत्र के लोग हाइवे को जाम कर वहां धरने पर बैठेंगे।

हौजरानी प्रेस एन्क्लेव में बन सकता है फ्लाईओवर: 50 हजार से ज्यादा लोगों को जाम से मिलेगा छुटकारा

दिल्ली वालों को बड़ी राहत मिलने वाली है। साकेत मैक्स अस्पताल के बाहर पंडित त्रिलोक चंद शर्मा मार्ग पर लगने वाले जाम से जल्द मुक्ति मिलेगी। प...