Wednesday, July 3, 2019

कविता: आर के रस्तोगी, गुडगाँव हरियाणा

नजर को नजर की नजर ना लगे |
दोनों ही काला टीका लगाने लगे ||
आपको देखा है बस उस नजर से |
इस नजर से आपको नजर ना लगे ||

नजर मिलाते ही उनकी नजर झुक गयी |
झुकते ही नजर बात कुछ आगे बढ गयी ||
बात इतनी बढ़ चुकी थी अब दोनों की |
सबकी नजरे हमारे ऊपर ही उठ गयी ||

नजर ने नजर को इशारा कर दिया |
दोने ने मिलने का वादा  कर दिया ||
मिल न सके वे दोनों वादा करने पर ||
किसी ने नजर को था कैद कर दिया ||

जब नजरों से नजरों की बात होने लगी |
दोस्ती दोनों की इस कदर बढ़ने लगी |
चाँद के बहाने दोनों छतो प् मिलने लगे ||
इस तरह प्यार की पींग आगे बढने लगी ||

No comments:

Post a Comment

हौजरानी प्रेस एन्क्लेव में बन सकता है फ्लाईओवर: 50 हजार से ज्यादा लोगों को जाम से मिलेगा छुटकारा

दिल्ली वालों को बड़ी राहत मिलने वाली है। साकेत मैक्स अस्पताल के बाहर पंडित त्रिलोक चंद शर्मा मार्ग पर लगने वाले जाम से जल्द मुक्ति मिलेगी। प...