Monday, July 1, 2019

गीत- धरती माता

बिन मांगे सब कुछ दे डाला ,कोई विश्लेषण नहीं किया !
माता तुमने सब दान दिया , कोई सर्वेक्षण नहीं किया ! !

तुम खुशियों का भंडार गृह , तुम ऋण को धन करने वाली ,
नभ की ऊर्जा को शोधित कर , तुम संवर्धन करने वाली ,
संज्ञा संज्ञा ही रहने दी ,कभी कर्म विशेषण नहीं किया !
बिन मांगे सब कुछ दे डाला ,कोई विश्लेषण नहीं किया !!

दुर्दांत कुमति को बुद्धि दी ,मानस को ज्ञान दिया तुमने ,
इस निराकार चंचल मन को ,साकार निदान दिया तुमने ,
प्राणो को मुक्त मार्ग सौंपा ,अपना अनुमेषण नहीं किया !
बिन मांगे सब कुछ दे डाला ,कोई विश्लेषण नहीं किया !!

लालच से पोषित आदम ने ,देही का दोहन कर डाला ,
सब रत्न निकाले सीने से ,छाती को भेदन कर डाला ,
अपने भावुक संवेदन को ,तुमने सम्प्रेषण नहीं किया !
बिन मांगे सब कुछ दे डाला ,कोई विश्लेषण नहीं किया !!

ना कोई शर्त रखी माता ,ना ही कोई अनुबंध किया ,
आंतों की अनल बुझाने का ,तुमने सबका प्रबंध किया ,
हलधर" को अन्न दिया तुमने ,कोई अंकेक्षण नहीं किया !
बिन मांगे सब कुछ दे डाला , कोई विश्लेषण नहीं किया !!

लेखक: जसवीर सिंह हलधर
देहरादून उत्तराखंड

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