Monday, July 1, 2019

गजल : आर के रस्तोगी,  गुडगाँव हरियाणा

डूबने लगती है जब किश्ती,चूहे भी छोड़ जाते है |
आता है जब बुरा वक्त,अपने भी मुंह मोड़ जाते है ||

समझते थे जिनको अपना,वे भी साथ छोड़ जाते है |
मरने पर रिश्तेदार भी,अकेला मरघट छोड़ जाते है ||

परख होती है दोस्त और बीबी की जब बुरा वक्त आता है |
पता लग जायेगा तुमको,जब वे तुम्हारा साथ छोड़ जाते है ||

जिन्दगी के लम्बी दौड़ में,कब कौन किसका साथ देता है |
मालूम हो जायेगा तुमको,जब वे तुम्हारे साथ दौड़ जाते है ||

सजा लो जिन्दगी का चमन तुम,बेहतरीन ख्श्बूदार फूलो से |
कुछ लोग ऐसे आयेगे,जो फूल ही नहीं गमले भी तोड़ जाते है ||

रस्तोगी की फूटी है किश्मत,उसे और क्या ज्यादा फोडोगे |
मै तो उसको भी पनाह दूंगा,जो मेरी किश्मत फोड़ जाते है|| 

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