अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए कड़ा संदेश जारी जारी करते हुए यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने चिंता ज़ाहिर की है कि सीरिया में मृतकों की लगातार बढ़ती संख्या अब अंतरराष्ट्रीय राडार पर नहीं है.उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 से अब तक सीरिया में लाखों बच्चे, महिलाएं और पुरुष मारे जा चुके हैं – इतनी बड़ी संख्या में कि एक विश्वसनीय आंकड़ा दे पाना भी संभव नहीं है. इस घातक हिंसक संघर्ष के शुरुआती सालों में जबकि मृतकों का आंकड़ा लगातार बढ़ने पर वैश्विक स्तर पर चिंता भी ज़ाहिर की गई थी. “लेकिन अब हवाई हमलों में बड़ी संख्या में आम लोगों की मौत होती है तो सामूहिक रूप से बस कंधे उचका लिए जाते हैं. सुरक्षा परिषद भी कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है क्योंकि लड़ाई और ख़ून-ख़राबे को हमेशा के लिए रोकने के लिए पांच स्थाई सदस्यता वाले देश अपनी ताक़त और प्रभाव के इस्तेमाल पर सहमत नहीं हैं.”
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा है कि ये दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के नेतृत्व की हार है जिसका नतीजा इतने बड़े स्तर की त्रासदी के रूप में सामने आया है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र ने बार-बार अपील की है कि हिंसा के दौरान सावधानी बरती जानी चाहिए ताकि आम नागरिक उसकी चपेट में ना आएं लेकिन फिर भी सरकार और उसके सहयोगियों की कार्रवाई में चिकित्सा केंद्रों, स्कूलों, बाज़ारों और बेकरी सहित अन्य नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है. “ये नागरिक प्रतिष्ठान हैं और जिस तरह से इन हमलों में एक पैटर्न दिखाई दे रहा है उससे ये नहीं लगता कि ये सब अनजाने में हो रहा है. हमलों में आम नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाया जाना युद्धापराध है और जिन्होंने इसका आदेश दिया है या जिनका इन हमलों में हाथ है वे अपने इस कृत्य के लिए आपराधिक रूप से ज़िम्मेदार हैं.” अभी तक मिली रिपोर्टों के अनुसार पिछले दस दिनों में दस अलग-अलग इलाक़ों में हवाई हमलों के कारण इदलिब और ग्रामीण अलेप्पो में कम से कम 103 आम लोगों की मौत हुई है जिनमें 26 बच्चे भी हैं. इनमें तीन हमले बुधवार, 25 जुलाई, को हुए. तीन महीने पहले सरकारी सुरक्षा बलों ने पश्चिमोत्तर सीरिया में नए सिरे से कार्रवाई शुरू की थी जिसके बाद अब तक मानवाधिकार कार्यालय को 450 आम लोगों के मारे जाने की ख़बरें मिली हैं. इनमें 100 से ज़्यादा लोगों की मौत पिछले दस दिनों में हवाई हमलों में हुई है. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अपील जारी करते हुए कहा है कि हिंसा में कमी लाने की ज़िम्मेदारी जिन पक्षों ने ली है उन्हें अपने प्रभाव का इस्तेमाल तत्काल सैन्य अभियान को रोकने में करना चाहिए और लड़ाई में शामिल पक्षों को फिर से वार्ता की मेज़ पर लाया जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र समाचार
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