Monday, July 1, 2019

गजल : नजाकत अमरोही, संगम विहार नई दिल्ली

मैं ढूंडता हूँ उसको मगर मिल नहीं रहा
पहलू मैं मेरे सब है मगर दिल नहीं रहा

मुरझा गया है आपके जाने से जो सनम
ग़ुनचा हमारे दिल का वोही खिल नहीं रहा 

चलकर ज़मीं से चाँद भी हम छूके  आ गऐ
कोई भी काम आज कल मुश्किल नहीं रहा

वो हादसे भी मुझ ही से मनसूब हो गऐ
जिन हादसो में मैं कभी शामिल नहीं रहा

मैं  याद ना करूं उसे ये ओर बात है
रज़ज़ाक़ मुझसे आज तक ग़ाफिल नहीं रहा

देखा हैआसमाँ पे बड़ी देर तक उसे
तारा मेरे नसीब का पर मिल नहीं रहा !

No comments:

Post a Comment

हौजरानी प्रेस एन्क्लेव में बन सकता है फ्लाईओवर: 50 हजार से ज्यादा लोगों को जाम से मिलेगा छुटकारा

दिल्ली वालों को बड़ी राहत मिलने वाली है। साकेत मैक्स अस्पताल के बाहर पंडित त्रिलोक चंद शर्मा मार्ग पर लगने वाले जाम से जल्द मुक्ति मिलेगी। प...