मैं ढूंडता हूँ उसको मगर मिल नहीं रहा
पहलू मैं मेरे सब है मगर दिल नहीं रहा
मुरझा गया है आपके जाने से जो सनम
ग़ुनचा हमारे दिल का वोही खिल नहीं रहा
चलकर ज़मीं से चाँद भी हम छूके आ गऐ
कोई भी काम आज कल मुश्किल नहीं रहा
वो हादसे भी मुझ ही से मनसूब हो गऐ
जिन हादसो में मैं कभी शामिल नहीं रहा
मैं याद ना करूं उसे ये ओर बात है
रज़ज़ाक़ मुझसे आज तक ग़ाफिल नहीं रहा
देखा हैआसमाँ पे बड़ी देर तक उसे
तारा मेरे नसीब का पर मिल नहीं रहा !
पहलू मैं मेरे सब है मगर दिल नहीं रहा
मुरझा गया है आपके जाने से जो सनम
ग़ुनचा हमारे दिल का वोही खिल नहीं रहा
चलकर ज़मीं से चाँद भी हम छूके आ गऐ
कोई भी काम आज कल मुश्किल नहीं रहा
वो हादसे भी मुझ ही से मनसूब हो गऐ
जिन हादसो में मैं कभी शामिल नहीं रहा
मैं याद ना करूं उसे ये ओर बात है
रज़ज़ाक़ मुझसे आज तक ग़ाफिल नहीं रहा
देखा हैआसमाँ पे बड़ी देर तक उसे
तारा मेरे नसीब का पर मिल नहीं रहा !
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