Friday, July 5, 2019

गीत - मौत और जिंदगी

मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।
नींद सपने सजाकर कलह बो गयी ।।

मोड़ पे हम मिलेंगे ये वादा किया ।
हमने पूरा नहीं सिर्फ आधा किया ।
सिलसिला जीवनी का शुरू हो गया,
जिंदगी की हमारी वजह खो गयी ।
मौत और जिन्दगी में सुलह हो गयी ।।

उम्र स्वागत में उसके खड़ी हो गयी ।
हम को ऐसा लगा वो बड़ी हो गयी ।
देह गलती रही साथ चलती रही ,
देख जिंदा झमेले वो खुद रो गयी ।
मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।।

मैं कहाँ हूँ गलत यह मुझे तू बता ।
सामने वार कर यूँ न मुझको सता ।
हौसलों का शजर मान मेरा सफ़र ,
छोड़  दावे  पुराने  वहीं  सो गयी ।
मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।।

गम मुझे जो मिला मैंने माना सिला ।
नहीं अपनो परायों से मुझको गिला ।
दर्द पीता रहा घाव सीता रहा ,
पाप "हलधर"के सारे कलम धो गयी ।
मौत और जिंदगी में सुलह हो गयी ।।

जसवीर सिंह 'हलधर'
ए-30 एम डी डी ए कालोनी 
चंदर रोड डालनवाला देहरादून 
उत्तराखंड --248001

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