Monday, July 22, 2019

नौनिहालों को कुपोषण के गर्त से बचाने की ख़ातिर

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता व्यवस्था के पैरोकारों के रूप में हम सभी ने शून्य में ताकती आँखों को देखा है, आँखें एक ऐसे बच्चे की जिसका शरीर कुपोषण की वजह से हड्डियों ढाँचा भर रह गया है जिसमें जीवन जैसे अंतिम साँसें गिन रहा हो, उसकी धीमी गति से आती-जाती साँसों से ही बस उसके जीवित होने का  पता चलता है." ये शब्द हैं संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता के कार्यों में सक्रिय एजेंसियों के जो दुनिया भर में कुपोषण के शिकार बच्चों का हालत बयान करने के लिए व्यक्त किए हैं.
इन एजेंसियों ने रविवार को जारी एक वक्त्य में कुपोषण के शिकार बच्चों की हालत को कुछ इस तरह बयान किया... जब किसी बच्चे को मौत के मुँह में जाने से नहीं बचाया जा सकता है तो हम सभी उससे बहुत व्यथित होते हैं. लेकिन साथ ही हमने ये भी देखा है कि संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी और पार्टनर किस तरह अथक काम करते हैं – कभी कभी तो बहुत ख़तरनाक हालात में – ताकि मौत के कगार पर पहुँच चुके बच्चों की ज़िन्दगी बचाई जा सके, ताकि भूख से बदहाल और कुपोषित किसी बच्चे को ऐसे हालात का फिर से सामना ना करना पड़े.
संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष गंभीर कुपोषण का शिकार लगभग एक करोड़ बच्चों को ऐसी चीज़ें और सेवाएँ मुहैया कराता है जिनकी उन्हें जीवित रहने के लिए ज़रूरत होती है. इनमें स्वस्थ रहने के लिए भोजन, संक्रमण व बीमारियों से बचाव के लिए इलाज, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता के काम आने वाला सामान व सेवाएँ शामिल हैं. साथ ही पीने का साफ़ पानी और एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए ज़रूरी पोषक ख़ुराक़ भी मुहैया कराए जाते हैं. कुपोषण की शिकार लगभग 20 लाख गर्भवती महिलाओं और पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं को ख़ुद के साथ-साथ अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक ख़ुराकें दी जाती हैं.
इनके साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष ऐसे करोड़ों बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक चीज़ें उपलब्ध कराता है ताकि वो कुपोषण का शिकार ना हों. इसके लिए महिलाओं को अपने बच्चों को अपना दूध पिलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि उन्हें समुचित मात्रा में हर समय स्वस्थ और पोषक ख़ुराक़ें मिलती रहें. फिर भी दुनिया भर में कई दशकों तक भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में कमी आने के बाद अब पिछले कुछ वर्षों में इस संख्या में वृद्धि हुई है. इस समय दुनिया भर में लगभग 82 करोड़ लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता है. इनके अलावा पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 5 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. लगभग 14 करोड़ 90 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार होने की वजह से शारीरिक व मानसिक रूप से अविकसित हैं.
संयुक्त राष्ट्र समाचार

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