प्रधान मंत्री ने देश में बढ़ते जल संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की और देशवासियों को इस बारे में चेताया भी। देश वासियों में इस भयंकर विषय को लेकर कोई चिंता व्याप्त है भी कहीं ऐसा नजर नहीं आता। इस विषय पर सिर्फ गर्मियों में ही चिंता व्यक्त की जाती है जैसे ही बारिश का मौसम आता है सब शांत हो जाता है। जिस देश के महानगरों में एक बार मूत्र विसर्जन के बाद 10 लीटर का वाटर टैंक एक ही बार में खाली कर दिया जाता हो उन महानगरों में जल संचय पर बात करना भी मूर्खता है। ये सही है कि भारत में वर्षा जल को संचय करने की कोई व्यवस्था नहीं है और राज्य और केंद्र सरकारें और जनता इस विषय पर कभी गंभीर नहीं होती।
देश के महानगरों में भू जल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है और वर्ष 2020 तक देश के 21 शहरों में भू जल पूरी तरह से खत्म हो जायेगा और 2030 तक देश की 40 फीसदी आबादी इस गंभीर समस्या की चपेट में होगी। भू जल संरक्षण को आज एक जन आंदोलन बनाने की सख्त जरुरत है है। यदि समय रहते न चेता गया तो हमें एक एक बून्द पानी के लिए तरसना होगा। कहीं ये भविष्यवाणी सत्य साबित न हो जाये कीं अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा।
देश के महानगरों में भू जल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है और वर्ष 2020 तक देश के 21 शहरों में भू जल पूरी तरह से खत्म हो जायेगा और 2030 तक देश की 40 फीसदी आबादी इस गंभीर समस्या की चपेट में होगी। भू जल संरक्षण को आज एक जन आंदोलन बनाने की सख्त जरुरत है है। यदि समय रहते न चेता गया तो हमें एक एक बून्द पानी के लिए तरसना होगा। कहीं ये भविष्यवाणी सत्य साबित न हो जाये कीं अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा।
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