Sunday, July 28, 2019

रहमत का फरिश्ता ..! (लघुकथा )

डाक्टर ने विजिट पे आते ही एक पर्ची पकड़ाते हुए  अनवर से कहा - आज आप बल्ड डोनर का इंतजाम कर लो , जैसा कि आप को बताया था , समय समय पर आपको बल्ड और प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ेगी,  आपके वालिद को एक्यूटलिमिया  है , नीचे बल्डबैंक मे बात कर लो  !  अनवर के आँखो के सामने टीवी चल तो रही थी पर उसकी तस्वीर समझ आ रही थी न आवाज , वो तो विचारो मे खोया था , कि अनजाने शहर मे अपनो से दूर  जहां कोई अपना रिश्तेदार नही , कोई जाननेवाला नही , कौन देगा खून ..? और भला क्यों...?मैने  तो कभी नही और किसी को नही दिया ...? फिर ज़हन में ख्याल आया , चलो मैं ही जाकर बल्ड- डोनेट कर देता हू ! पर ये क्या बल्डबैंक वालो ने कहा - आप बल्ड रिलेशन मे हो , आप तो क्या आपके भाई-बहन,  चाचा -ताऊ , फुफी  दादा भी नही दे सकते ! उक्त वाक्यांश ने मानो अनवर के शरीर के सारे खून को जमा दिया , अब क्या होगा , यह कैसी विडंबना है  , अपना बेटा खून नही दे सकता , तो खून देगा कौन , कहाँ से डोनर  लाऊ ..?अचानक मानस- पटल पे सारे दोस्तो के चेहरे क्लिक करने लगे , हां ये दे सकता है,  हां वो दे सकता है  , नही नही वो नही दे सकता वो ड्यूटी मे होगा ...! पल में ही सैकड़ो विचारों ने जन्म लिया और दम तोड़ दिया !  फिर मन मे विचार आया कंट्रोल रूम को फोन करता हू , ये क्या भाग्यवश फोन रिसीव करने वाला अपना दोस्त अपना बैंचमैट डी के सिंह था , ऊसने डाडास बाँधते हुऐ कहा - भाई तु चिंता मत कर , आधे घंटे का समय दे , रहमत के फरिश्ते तुझे खुद फोन करेगे , मुझे सारे स्टेशन पे मैसेज तो पास करने दे !  आधे घंटे बाद ही डी के सिंह का फोन आया -  बंधु ... अनवर सब कुछ ठीक होगा , चाचा जी की तबीयत कैसी है,  तु चिंता मत कर  , दो डोनर मिल गया है ,  एक सुनील खोट दुसरा शिवपाल सिंह , और ड्यूटी खत्म होने मे एक घंटे बचे है!  ड्यूटी खत्म होते  ही दोनो तुझे फोन करेगें , और कितने यूनिट की जरूरत है  बताना , अशोक भी अरेंज कर रहा है  ...!  अनवर ने  भर्राई हुई आँखो को कुछ देर के लिए  बंद किया और शून्य मे कल्पना कल्पित हो अपने दोस्तो और रहमत के फरिश्तों को एक -एक कर गले लगाने लगा , और खुद मे एक निश्चय किया , कि अब वो भी बनेगा , एक रहमत का फरिश्ता  , दुसरे भाई के लिए,  दुसरे चाचा के लिए  , पुरे देश ही नही दूनिया के लिए  हां - बल्ड डोनर ...एक रहमत का फरिश्ता  ! - अनवर हुसैन अणु भागलपुरी

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